Find the Latest Status about सूरजमुखी के बीज कैसे खाएं from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सूरजमुखी के बीज कैसे खाएं.
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
प्रातः काल से संध्या काल तक तुम यों ही निहारते हो मुझको। मैं जलता हूं जलाता हूं, नहीं इसकी भी परवाह तुझको। बस मेरी तरफ ही मुड़ते हो, तुम मौन तपस्वी साधक से। प्रकाश पुंज का अंश हो क्या, तुम सूरजमुखी आराधक से। ©डॉ वीणा कपूर "वेणु"... सूरज के साधक सूरजमुखी #sunflower
Madhusudan Shrivastava
हो रवि जिस ओर को मुख को उधर वो कर लिया🌹 प्रकृति से वो रंग ले खुद को सुनहरा कर लिया🌹 चाँद को देखे चकोरी आसमा तुम देख लो🌹 देखना सूरज को तुम सूरजमुखी से सीख लो🌹 ज्वालामुखी था नाम उसका आग वो बोता गया🌹 अनल बनकर जल गया फिर राख वो होता गया🌹 आग बनकर राख होने से भी तुम कुछ सीख लो🌹 धूप में खिलना व जलना सूरजमुखी से सीख लो 🌹 ©Madhusudan Shrivastava सूरजमुखी
Amit Singhal "Aseemit"
सूरजमुखी के फूलों की बगिया में जब मैं जाऊं, मन करे कि बस इस बसंती दुनिया में बस जाऊं। ©Amit Singhal "Aseemit" #सूरजमुखी
Shishpal Chauhan
चिड़ियों की चहक, फूलों की महक। मन को शांति प्रदान करती है, जिनका श्रृंगार तितलियां करती है। मानो पंखुड़ियां हंसती मुस्कुराती है, जो मानव को खुश रहने की सीख दे जाती है। ©Shishpal Chauhan #सूरजमुखी
Madhusudan Shrivastava
सूर्य की स्वर्णिम विभा को, देखकर ही जो सुखी है ! प्रेम की पाती स्वयं वह, प्रेमिका सूरजमुखी है ! आदि से अवसान तक बस, एक ही है कर्म जिसका! प्रानप्रिय का ज्वलित आनन, देखना ही धर्म जिसका! जिसकी हर चेष्टा सिमट कर, प्रेम पर ही आ रुकी है ! प्रेम की पर्याय सुमनस, प्रेयसी सूरजमुखी है ! ............. 😊😊 कलम: श्री अंकित सिंह सोमवंशी ©Madhusudan Shrivastava सूरजमुखी-2
Babita Buch
सूरज की तरह दमक रहो तुम्हारा नाम ही सूरजमुखी है अपनी चमक से संसार से केह रहे हो मानो जब तक जिन्दा हो मेरी तरफ ताजगी बनाये रखना ©Babita Buch #सूरजमुखी #sunflower
Amit Singhal "Aseemit"
जिनसे हम मोहब्बत करते हैं, अपने तो वही होते हैं, हमारी ज़िंदगी में अपने ही खुशियों के बीज बोते हैं। वे हम से नाराज़ न हो जाएं, यह अपनों का ख़ौफ़ है, परायों की परवाह नहीं होती, तभी ज़िंदगी बेख़ौफ़़ है। ©Amit Singhal "Aseemit" #खुशियों #के #बीज
Parasram Arora
कई वर्ष पहले जो बीज परम्पराओ के हमने बोये थे आज वो विकसित हो कर फल फूल रहे हैँ क्योंकि हमने सही समय पर दिया था उन्हें खाद पानी का पाथेय और मौसम के हर ज़ुल्म से उन्हें बचाये भी रखा था दुख सुख के अनुपातिक सौंदर्य. को समझने की उन्हें सोच भी दी थी इसीलिए आज वे आत्मनिर्भर हैँ स्वछंद हैँ पर एक नियंत्रित शालीन शैली से अनुबंधित भी हैँ l परम्पराओ के बीज
Gautam_Anand
कभी ये जिस्म ढोता हूँ कभी ये साँस ढोता हूँ मैं रूह की बंजर ज़मीं पे उम्मीदों के बीज बोता हूँ नमी मिलती रहे रिश्तों की सूखी कोंपलों को इसी खातिर अक्सर ही अपनी पलकें भिगोता हूँ #उम्मीदों के बीज