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छैलू चारण छैल
#NoTobaccoDay कितना भी भागो भले,बहुत हो गई लेट। जीवन होता खुशनुमा,पीते न सिगरेट।। ~छैल धुंए में लिपटी जिंदगी
PAVITRA KUMAR
धुंध में लिपटी जिंदगी आस करे पाने की इस धुंध के साथ साथ कहीं दिलरुबा के मिल जाने की जो मिल जाए मुझको भी तो आशियाना पेड़ों पर बना लूगा आएगी तू जब भी तुफां बनकर हसरत होगी बस टकराने की। @pavitra धुंध में लिपटी जिंदगी
poetic me..❤️
धुंध में लिपटी जिंदगी ना राह दिखाई देता ना राहगीर दिखाई देता हर तरफ हैं सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा छाया ढूँढ सी रही हू मैं रोशनी की किरणें इस घनघोर अँधेरों के बीच हैं नजर आता मुझको दूर खड़ा कोई जो बने शायद मेरा कोई राहगीर पर अफसोस इन अँधेरों ने जकर सा रखा हैं मुझको अपने बेड़ियों से जिससे चाह कर भी नहीं तोड़ सकू मैं बस एक आश हैं... एक उम्मीद हैं... हर शाम के बाद सुबह आती हैं हर शाम के बाद सुबह आती हैं धुंध में लिपटी जिंदगी.....
Writer L B Yadav
स्याह कफ़न में लिपटी यादें, सर्द रात का सन्नाटा, अंधेरों की ये खामोशी चीर रही कलेजे को, तेरे जाने के बाद तेरी याद कफ़न बनकर लिपटी है दिलों दिमाग से। सन्नाटे की इस छाती में, गहरे बहुत गहरे धंस जाती है, आवाज़ तेरी कानों में अनुगूंज बन गूंज जाती है, दूनियां से छुपछुपकर रोती हूं, मन की बात तन्हाई में कहा करती हूं सुनकर तारे रो पड़ते हैं, रजनी सिहर सिहर उठती है, जी तो हल्का हो जाता है, लेकिन पीर कहां? मिटती है!! जाने मेरे ह्रदय में ये तेरे प्रीत की कैसी ज्वाला जलती है। अपने ही सांसों से अपनी दूनियां जलती जाती है, पर हाय ! ये मेरी किस्मत,कैसी, कैसा शाप ,कि छूते पानी भी पत्थर बन जाए, जल के पास पहुंचकर प्यासा प्यासे का प्यासा रह जाए!! बीती बातें ,बीती रातें ,सर्द हवा में घुलती जाए कफ़न की चादर में लिपटी यादें सर्द रात की गलबहियां करती जाए। ©Writer L B Yadav #Dark कफ़न में लिपटी यादें,
Abhiraj kumar
ना मोह जगत की फिक्र मुझे ना माया मुझको प्रेम का, अध्यात्म जगे है चहुओर मैं किस दिशा का राही हूं, मन के हर वेग की खबर मुझे बस चिंता अंदर चिता बनी, शांत शांत सब ऊपर से अंदर से खुद में त्राहि हूं, है कौन सुकून की चादर में मुझको भी तो छाया वो मिले, कभी खुद से बातें हजार हुई लगता खुद का हमराही हूं, ये डगर मेरी खामोशी की मुझको अंदर से जला रही, जैसे कागज़ है खत्म हुआ में जमीन से लिपटी स्याही हूं। ©Abhiraj Kumar ज़मीन से लिपटी स्याही हूं। #holdmyhand
Rubi kumari Pradhan
बरसात मे लिपटी तेरी यादे अक्सर मुझे भीगाती है। तुम्हारा ऐहसास कराती है। मेरे टुटे दिल को यू ही बिखेर देती है। ©Rubi kumari Pradhan #Remember बरसात मे लिपटी तेरी यादे
Bhupendra Singh Solanki
फुटपाथ पर पड़ी देह एक फटी पुरानी कंबल में, लिपटी पड़ी देह, फुटपाथ पर सिमटी हुई यूं, लेकर अपने पैर, ठंड भी होले - होले बढ़ती है, ओंस की बूंदे भी पड़ती है, हवा का झोंका भी आता है, सिहरा कर, जाता है, अपने आलीशान महल में, जनता के सेवक सो रहें है, बेफिक्र पूंजी के भक्त तो करते ही नहीं, सिमटी देह का ज़िक्र, न ख़बर है किसी को,ना चिंता ही ना आग है, ना आसरा ही ,खाने के भी लाले है, कल के सूरज की आस हैं, फुटपाथ पर सिमटी पड़ी इस देह को, आख़िर ऐसा क्यों? द्वारा - भूपेंद्रसिंह सोलंकी ©Bhupendra Singh Solanki फुटपाथ पर लिपटी पड़ी एक देह! #Hope
BROKENBOY
लिपटी रहती है तेरी याद ,यूँ एहसासों से , जैसे रूह लिपटी रहती है ,जिन्दगी भर साँसों से ..!! ©BROKENBOY #Kaarya लिपटी रहती है तेरी याद ,यूँ एहसासों से , जैसे रूह लिपटी रहती है ,जिन्दगी भर साँसों से ..!!