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Ujjawal Singh
उनकी बातों को उन रातों को उनकी साथों को उन छोटी पडने वाली रातों को जब भी याद करता हूँ तो तडप सा जाता हूँ ।। #gif कया तड़पाता हैं?
कया तड़पाता हैं? #Gif
read moreSachin Ratnaparkhe
आह! क्या खूब है तेरा 'हुस्न-ओ-शबाब', 'तड़पाता' ही रहता है मुझे हर वक्त 'बेहिसाब'। #आह #हुस्न_ओ_शबाब = beauty and Jawani #तड़पाता #बेहिसाब #erotica_hindi
#आह #हुस्न_ओ_शबाब = beauty and Jawani #तड़पाता #बेहिसाब #erotica_hindi
read moreNeeraj Sagar
अब ये लम्हा बोहोत तड़पाता है तेरे बिना एक पल ना जिया जाता है यूं तो सारा शहर है मेरे पास फिर ये दिल तन्हा क्यूं रह जाता है अब तो याद करलो मुझे, इस कोरोना के चक्कर में घर में ना रहा जाता है खुद को कैद कर लिया है मैने घर में तुम बिन ये घर में मुझे सताता है ! सागर साब ! अब ये लम्हा बोहोत तड़पाता है #सागर साब
अब ये लम्हा बोहोत तड़पाता है #सागर साब
read moreNegi Girl Kammu
White समाज सुनने में जितना ही सरल है ,समझने में उतना ही कठिन है। कहते हैं, कोई भेदभाव नहीं है हमारे समाज के अंदर । पर देखो ना, यहां तो पत्थर से बने हुए दो भवनों में भी अंतर है । एक को समाज घर समझ लेता है ,तो दूसरे को मंदिर । मुझे तो हर चीज में भेदभाव नजर आता है। हरी घास में ,हरे पेड़ों में ,सुंदर से खिले हुए फूलों में । यहां तक कि इंसान के पैदा किए हुए छोटे-छोटे बच्चों में भी । प्रकृति के दिए हुए सुंदर से जल में भी यहां भेदभाव ही किया जाता है। देखो ना कैसे बांट दिया है इंसान ने हर एक चीज को। कहते हैं कि मानव जीवन को सुलझा हुआ होना चाहिए । जब उलझे समाज में मानव पैदा होगा, तो सोचो उसका जीवन कैसे सुलझेगा। ©Negi Girl Kammu समाज
समाज #कविता
read moreSarita Malik Berwal
समाज किस दिशा में जाएगा इसका निर्धारण शिक्षा, संस्कार और सत्ता द्वारा होता है। तीनों की दशा और दिशा को सही करने की आवश्यकता है। किसी की सोच उसकी व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि शक्ति के ताने-बाने में बने उसके पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अनुभवों का परिणाम है। यदि समाज स्वतः ही आदर्श स्थिति प्राप्त कर सकता तो सरकारों और संस्कारों दोनों की ज़रूरत ही क्या थी? शक्ति का संचार ऊपर से नीचे की ओर होता है, नीचे से ऊपर की ओर नही। नीतियाँ नीयत तय करती हैं और नीयत अपने अनुरूप नीतियों को गति देती हैं। शिक्षा समाज के चिंतन को बदलने का हुनर रखती है और सरकार सामाजिक और आर्थिक हालात को बदलने की औकात। -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal #समाज