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Stories related to बलभद्र सहस्त्रनाम

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Anamika


     ममता की छांव में आये दोनों माखनचोर करके हल्ला,
    एको है बलभद्र , तो दूजो ठहरा छलिया लल्ला #माखनचोर 
#बलभद्र#छलिया
#राधेराधे 🙏🙏
#शुभरात्रि 
#योरकोटभक्ति 
#तूलिका

Birendra k Mishra

#sitarmusic श्री विष्णवे नमः श्रीमद्भागवत गीता विष्णु सहस्त्रनाम सहित जय श्री कृष्ण #समाज

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omparkash joshi

श्रीराम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने 🌹🌹💐📿🚩🚩🚩🌹🪴 Ramleela #पौराणिककथा #NojotoRamleela

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किसी ने मुझसे पूछा मजे में हो मैंने कहा आनंद में हूं तो उन्होंने कहा कि दोनों में फर्क क्या है तो उनको बताना पड़ा कि मजे के लिए पैसा चाहिए और आनंद के लिए प्रभु कि कृपा  चाहिए

©omparkash joshi श्रीराम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने 🌹🌹💐📿🚩🚩🚩🌹🪴

#NojotoRamleela

Ashish Singh

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।। राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं। The name of Lord Ram is #nojotophoto

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 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। 
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।। 

राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं।

The name of Lord Ram is

Shubham Gupta😊

पावन पर्व इस दिन भगवान श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 7 दिवस की छुट्टी मनाने अपनी मौसी के यहाँ गुंडीचा मंदिर जाते हैं। #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes #yqsahitya #poetrybyshubh #festivspcl

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मिल जाएगी हर मन्नत बिना मांगे ही,
उसके आगे अपनी झोली फैला के तो देख,
मिट जाएँगे पल भर में जीवन के सारे दुःख,
एक बार भक्ति से उसको मना के तो देख,

भर जायेगा तेरा जीवन खुशियों से सदा,
मन में श्रद्धा का भाव जगा के तो देख,
बदल जाएगी पल भर में किस्मत तेरी,
एक दफा पुरी में सर झुका के तो देख,

Happy RathYatra.. पावन पर्व 
इस दिन भगवान श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 7 दिवस की छुट्टी मनाने अपनी मौसी के यहाँ गुंडीचा मंदिर जाते हैं।

||स्वयं लेखन||

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥   (शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ क #जय_श्री_राम #कविता

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राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

  (शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं | मैं सदा राम का स्तवन करता हूँ और राम-नाम में ही रमण करता हूँ |












🙏💐 जय श्री राम💐🙏 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

  (शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ क

PRATIK BHALA (pratik writes)

19:-nature poem series"पर्यावरण " For other parts of series #pratikwriteseries कुछ शब्दों का अर्थ : 1..गिरिराजजी :-श्री गोवर्धन पर्वत, वृंद #Nature #India #Love #Earth #Festival #कविता #PratikBhala #DawnSun

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🌏🌎🌏🌎🌏0, 19:-nature poem series"पर्यावरण "
For other parts of series 
#pratikwriteseries
कुछ शब्दों का अर्थ :
1..गिरिराजजी :-श्री गोवर्धन पर्वत, वृंद

Vikas Sharma Shivaaya'

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। ” ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट “ “मैया मोहि दाऊ बहुत #समाज

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ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।


” ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट “


“मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ-मोसौं कहत मोल कौ लीन्हौ, तू जसुमति कब जायौ?

कहा करौं इहि के मारें खेलन हौं नहि जात-पुनि-पुनि कहत कौन है माता, को है तेरौ तात?

गोरे नन्द जसोदा गोरी तू कत स्यामल गात-चुटकी दै-दै ग्वाल नचावत हँसत-सबै मुसकात।

तू मोहीं को मारन सीखी दाउहिं कबहुँ न खीझै-मोहन मुख रिस की ये बातैं, जसुमति सुनि-सुनि रीझै।

सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई, जनमत ही कौ धूत-सूर स्याम मौहिं गोधन की सौं, हौं माता तो पूत॥ “


इस दोहे में, श्रीकृष्ण ने अपनी माँ यशोदा से शिकायत की कि उनके बड़े भाई बलराम उन्हें बहुत चिढ़ाते हैं। वे अपनी मां से कहते हैं कि आपने मुझे पैसे देकर खरीदा है, मैंने जन्म नहीं दिया है। इसलिए मैं बलराम के साथ खेलने नहीं जाऊंगा। बलराम बार-बार श्री कृष्ण से पूछते हैं कि आपके असली माता-पिता कौन हैं? वह मुझे बताता है कि नंद बाबा और मैया यशोदा गोरे हैं लेकिन मैं काला कैसे हूं? वह बार-बार नाचता है। यह सुनकर सभी चरवाहे भी हंस पड़े।


🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।


” ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट “


“मैया मोहि दाऊ बहुत

N S Yadav GoldMine

#MainAurChaand आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey} #पौराणिककथा

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Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 16 प्रभु राम की कृपा से सब कुछ संभव सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल। प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल॥16 #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 16
प्रभु राम की कृपा से सब कुछ संभव
सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल।
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल॥16॥
हनुमानजी ने कहा कि हे माता! सुनो,
वानरों मे कोई विशाल बुद्धि का बल नहीं है।परंतु प्रभु का प्रताप ऐसा है की उसके बल से छोटा सा सांप गरूड को खा जाता है(अत्यंत निर्बल भी महान् बलवान् को मार सकता है)॥16॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

माता सीता का हनुमानजी को आशीर्वाद
मन संतोष सुनत कपि बानी।
भगति प्रताप तेज बल सानी॥
आसिष दीन्हि रामप्रिय जाना।
होहु तात बल सील निधाना॥1॥
भक्ति, प्रताप, तेज और बल से मिली हुई हनुमानजी की वाणी सुनकर
सीताजी के मन में बड़ा संतोष हुआ फिर सीताजी ने हनुमान को श्री राम का प्रिय जानकर आशीर्वाद दिया कि
हे तात! तुम बल और शील के निधान होओ॥

हनुमानजी – अजर, अमर और गुणों के भण्डार
अजर अमर गुननिधि सुत होहू।
करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥
करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना।
निर्भर प्रेम मगन हनुमाना॥2॥
हे पुत्र! तुम अजर (जरारहित – बुढ़ापे से रहित),अमर (मरणरहित) और गुणों का भण्डार हो और रामचन्द्रजी तुम पर सदा कृपा करें॥प्रभु रामचन्द्रजी कृपा करेंगे, ऐसे वचन सुनकर हनुमानजी प्रेमानन्द में अत्यंत मग्न हुए॥

हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है
बार बार नाएसि पद सीसा।
बोला बचन जोरि कर कीसा॥
अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता।
आसिष तव अमोघ बिख्याता॥3॥
और हनुमानजी ने वारंवार सीताजीके चरणों में शीश नवाकर,हाथ जोड़ कर, यह वचन बोले॥हे माता! अब मै कृतार्थ हुआ हूँ,क्योंकि आपका आशीर्वाद सफल ही होता है,यह बात जगत् प्रसिद्ध है॥

अशोकवन के फल और राक्षसों का संहार
हनुमानजी अशोकवन में लगे फलों को देखते है
सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा।
लागि देखि सुंदर फल रूखा॥
सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी।
परम सुभट रजनीचर भारी॥4॥
हे माता! सुनो, वृक्षोंके सुन्दर फल लगे देखकर मुझे अत्यंत भूख लग गयी है,
सो मुझे आज्ञा दो॥तब सीताजीने कहा कि हे पुत्र! सुनो,इस वन की बड़े बड़े भारी योद्धा राक्षस रक्षा करते है॥

हनुमानजी सीताजी से आज्ञा मांगते है
तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं।
जौं तुम्ह सुख मानहु मन माहीं॥5॥
तब हनुमानजी ने कहा कि हे माता !
जो आप मनमे सुख माने (प्रसन्न होकर आज्ञा दें),तो मुझको उनका कुछ भय नहीं है॥

आगे शनिवार को ...

विष्णु सहस्त्रनाम (एक हजार नाम) आज 634 से 645 नाम 
634 अर्चितः जो सम्पूर्ण लोकों से अर्चित (पूजित) हैं
635 कुम्भः कुम्भ(घड़े) के समान जिनमे सब वस्तुएं स्थित हैं
636 विशुद्धात्मा तीनों गुणों से अतीत होने के कारण विशुद्ध आत्मा हैं
637 विशोधनः अपने स्मरण मात्र से पापों का नाश करने वाले हैं
638 अनिरुद्धः शत्रुओं द्वारा कभी रोके न जाने वाले
639 अप्रतिरथः जिनका कोई विरुद्ध पक्ष नहीं है
640 प्रद्युम्नः जिनका दयुम्न (धन) श्रेष्ठ है
641 अमितविक्रमःजिनका विक्रम अपरिमित है
642 कालनेमीनिहा कालनेमि नामक असुर का हनन करने वाले
643 वीरः जो शूर हैं
644 शौरी जो शूरकुल में उत्पन्न हुए हैं
645 शूरजनेश्वरः इंद्र आदि शूरवीरों के भी शासक

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 16
प्रभु राम की कृपा से सब कुछ संभव
सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल।
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल॥16
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