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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी चाल चरित्र और कर्तव्य निष्ठा मिट गयी कूरता पर नारी उतर आयी है परिवारों में पुरुषों का दोहन ममता की देवी का पागलपन दिखता है स्वार्थो की पराकाष्ठा हो गयी पुरुत्त्व इनके वश में होकर तड़पता है मर्यादा सब खण्डित हो गयी वहाँ पर जहाँ करवा चौथ छट पूजा के व्रतों से पति का आयु बढ़ता है मगर लालचों ने आज हर हद तोड़ दी अतुलसुभास सुसाइड कर कानून और नारी की उदण्डता का शिकार होता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #karwachouth कूरता पर नारी उतर आयी है
#karwachouth कूरता पर नारी उतर आयी है
read moreAvinash Jha
White याद आती है वो शाम याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था, आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था। हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी, हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी। गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल, उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल। दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं, वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं। सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे, हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे। खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून, जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून। वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था, हर बात में बस अपनापन था। मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था, कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था। अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है, उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है। याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन, जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम। ©Avinash Jha #याद #शाम
Arjun Singh Rathoud #Gwalior City
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
read moreF M POETRY
White आजा मेरे ख्वाबों की महज़बीन शाम है.. आ देख मेरे साथ क्या हसीन शाम है.. तन्हाँ न समझ आएंगे रंगीन नज़ारे.. आ मैं तुझे दिखाता हुँ रंगीन शाम है.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #शाम है...
#शाम है...
read moreShiv Narayan Saxena
White ढलता सूरज शाम का, रह रह दे आवाज़। सुबह नयी नये लक्ष्य का, करिये फिर आगाज़।। ढलता सूरज शाम का, कह बतलाये बात। समय चुके पछताय क्या, मत कर आलस तात।। कठिन समय से जीतना, सबसे कठिन मुकाम। बिना समय के एक भी, बने न बिगड़े काम।। ©Shiv Narayan Saxena #GoodMorning ढलता सूरज शाम का... hindi poetry
#GoodMorning ढलता सूरज शाम का... hindi poetry
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White ज़ाम लेते हैं तेरी यादों में.. सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
#सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
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