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Ankit Singh
कल शाम की बात है फिर वही जज़्बात है, आज सुबह का आगाज़ है फिर वही अंजाम है। #आगाज़
Parimal Abruk
सबर कर , पर तेरे वक्त का नही वो तो तू लाएगा। याद कर , अपनी गलतियों को वही तुझे संभलना सिखाएगा। मेहनत कर , अपने ख्वाबों पर वही तुझे जीना सिखाएगा। बस कभी भूलना मत जहा से तूने आगाज़ किया था । ©Parimal Abruk #आगाज़
S ANSHUL'यायावर'
मैं जिस राह पर निकला, कोई हमसफ़र ना निकला। जो बात निकली दर्द की, कोई हमदर्द न निकला। मै चल पड़ा हूं यूं जैसे, छोड़ जहां कोई फकीर निकला। अब मुकद्दर का मुझे दुख ना रहा, जबसे मेरा रहबर खुदा निकला। भेजते है लोग लानते मुझपे, जबसे सदाकत की तरफ मैं निकला। मुकर जाते है लोग अक्सर, हिसाब लेने जो मैं निकला। जेब में अब चंद सिक्के है, सारा माल तो कोई और ले निकला। आगाज़
S. chouhan
वह !उस वक्त की दास्तान थी, यह !आज का हकीकत है, बेजुबा उस वक्त भी थी वक्त आज भी बेजुबा है, कहानी हर घड़ी बदल रहा है जिंदगी का चंद घड़ी अभी और है, तुम चाहो तो बदल सकते हो सब कुछ यह अंत के आगाज़ का भोर है। S. Chouhan ©S. chouhan आगाज़ #Rose
Radha Chandel
एक और साल गुजर गया। खट्टी मीठी यादों से झोली भर गया।। किसी को मिली मंजिल तो कोई रास्तों से ही डर गया। किसी को मिले अपने तो कोई अपनो से बिछड़ गया।। किसी ने सपनों चुने किसी ने अपने। साल उसने जिया जिसने दोनों चुने।। सहेज यादे पुराने साल की कदम नए में रखते है। चलो मंजिल को पाने की नयी कोशिश करते है।। अंधेरा गहरा होगा रास्ते में मगर रोशनी उम्मीद की भरते है। हाथ अपनो का थाम कर डोर सपनों की पकड़ते है।। चलो नए साल में खुद से वादा करते है। गिरना उठना फिर से चलना है। पुराने जख्मों में मरहम भरना है। जब तक पहुंच ना जाए मंजिल तक। तब तब लड़ना तब तक लड़ना................ ©Radha Chandel #नया आगाज़
Raone
आगाज़-ए-चाँद आज क़ायनात में चहुँओर समां गुलज़ार है । धरती, अम्बर सहित चारों दिशाओं, बह रही बसंती बयार है ।। चुन लो इस जहाँन के फूलों से ख़ुश्बूयें सारी । क्योंकि इस पाक धरती पर आज हमारी ज़िन्दग़ी का अवतार है ।। हमारी ज़िन्दग़ी की दुआ इस क़दर क़ुबूल कर ऐ ख़ुदा । कि वो बस मुस्कुरायें और सारे गम हो जायें ज़ुदा ।। तोहफों की सारी रंगीनियाँ फीकी हैं मेरे चाँद के नूर में । जो ख़ुद नायाब कोहिनूर हों, कोई क्या देगा उन्हें तोहफों में ।। हम सोचे तोहफा-ए-दिल दूँ, या दूँ आपको चाँद-तारे । पर आप ख़ुद चाँद का नूर हो, लो तभी तो हम दिल हारे ।। चलो देता हूँ इक तोहफा, ले लेता हूँ आपकी बलायें । ना आये कोई दुश्वारियाँ, ऐ खुदा हमारी ज़िन्दग़ी को दे इतनी दुआयें ।। माँग लूं ख़ुदा की वो कलम, लिख दूँ आपकी सारी अभिलाषायें । रब की वो दुनियाँ चुराऊँ, है जहाँ रब ने जन्नतें बसायें ।। ऐ ख़ुदा तू हमारी ज़िन्दग़ी इतनी लम्बी कर । जिससे छू लें ये अम्बर, और कर लें मुट्ठी में अपनी सारी इच्छाएं ।। @उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी आगाज़-ए-चाँद