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सुसि ग़ाफ़िल
सारी बात ठीक थी , गलत तेरी जिद हो गई। हक मांग रहे थे , सियासत हो गई। जो मजबूत थे , आंखें नम हो गई। देख मसीहा के आंसू , किसान क़ौम गर्म हो गई। उफ़ान आवेगा अब , दिल्ली फिर सील हो गई । धर्म मजहब से ऊपर , अब किसान क़ौम हो गई। सुशील कुमार धर्म मजहब से ऊपर , अब किसान क़ौम हो गई।
Sarfaraj idrishi
मुसलमान जैसे जनाज़े को कंधा देना सवाब समझते हैं काश ज़िंदा किसी ग़रीब को भी सहारा देना, सवाब समझ लें तो पूरी क़ौम की ज़िंदगी संवर जाएगी। अल्लाह सभी को एकदूसरे की मदद करने तौफ़ीक़ अता करे। ©Sarfaraj idrishi #मुसलमान जैसे #जनाज़े को कंधा देना #सवाब समझते ह काश ज़िंदा मुसलमान को भी #सहारा देना, सवाब समझ लें तो पूरी #क़ौम की #ज़िंदगी संवर #सरफ़राज़#इ
Sarfaraj idrishi
Vote मुल्क़ में 2% आबादी वाली सिख क़ौम का एक सरदार भाई मुसलमानों को समझा रहा है कि जब हम 2% अपना CM, PM बना सकते हैं तो आप 20% होकर भी मुत्तहिद नही.... गौर करने वाली बात है... . ©Sarfaraj idrishi #voting मुल्क़ में 2% आबादी वाली सिख क़ौम का एक सरदार भाई मुसलमानों को समझा रहा है कि जब हम 2% अपना CM, PM बना सकते हैं तो आप 20% होकर भी मु
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
अदम गोंडवी की कलम से प्रस्तुत है- जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये जो बदल सकती है इस पुलि
Unknown Sanju
#विश्वहिंदीदिवस जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिए जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़ उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिए जल रहा है देश यह बहला रही है क़ौम को किस तरह अश्लील है कविता की भाषा देखिए मतस्यगंधा फिर कोई होगी किसी ऋषि का शिकार दूर तक फैला हुआ गहरा कुहासा देखिए -SANJU जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिए जो बदल सकती है इस
Dr.sanjay Yadav
Mohammad Arif (WordsOfArif)
झूठ का चलन फिर से आम हुआ है सच का किस्सा तबसे तमाम हुआ है सच कोई बोले तो उसे गद्दार कहते है झूठों के शहर में फिर ताम झाम हुआ है कोई अपना रुठे तो मनाओ उसे तुम वरना उसका किस्सा खत्म आम हुआ है अपने वादे से बिल्कुल मुकर गया है उसे देखो शहर का फिर से नाम हुआ है बेमतलब सी उसकी जिंदगी है संभलो क़ौम में फिर से देखो कत्लेआम हुआ है नज़र कोई मिलाना नहीं चाहता आरिफ हमसे सबका जो ऐसा वैसा काम हुआ है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) झूठ का चलन फिर से आम हुआ है सच का किस्सा तबसे तमाम हुआ है सच कोई बोले तो उसे गद्दार कहते है झूठों के शहर में फिर ताम झाम हुआ है कोई अपना र
FIROZ KHAN ALFAAZ
सब सह कर हँसता रहता है, पागल है या दीवाना है ! -1 कुफ्फ़ार भला क्या कर पाता, ये क़ौम ही ख़ुद से हारी है ! -2 सौ नाज़ उठा के हासिल है, कितनी महंगी अंगड़ाई है! -3 सिख-ओ-सिंधी, उर्दू-हिंदी, हर मज़हब यहाँ अमन से है ! -4 एक एक क़दम गर दोनों बढ़ें, दो क़दम पे हो जाएगी सुल्ह ! -5 ख़्वाह-मख़ाह के डर में गुज़री, ज़िन्दगी अगर-मगर में गुज़री ! -6 शम्स देता है ज्यूँ बे-ग़रज़ रौशनी, इमदाद कुछ इस तरह कीजिये ! -7 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 सब सह कर हँसता रहता है, पागल है या दीवाना है ! -1 कुफ्फ़ार भला क्या कर पाता, ये क़ौम ही ख़ुद से हारी है ! -2 सौ नाज़ उठा के हासिल है, कितनी