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jameel Khan
Unsplash अपने किए की मै सज़ा चाहता हू मै बफ़ा के बदले बफ़ा चाहता हू जमील ©jameel Khan # सज़ा#
# सज़ा#
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नवनीत ठाकुर
इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं, हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो? जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है, क्या वो अधूरी मोहब्बत ही हमारी सज़ा हो? दिल की गहराई में जब तन्हाई की गूंज हो, क्या वो खामोशी ही अब हमारी आवाज़ हो? तुमसे बिछड़ने के बाद, हर राह वीरान सी लगती है, क्या वो फासला ही हमारी चाहत की सजा हो? ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं, हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो? जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है, क्या वो अधूरी
#नवनीतठाकुर इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं, हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो? जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है, क्या वो अधूरी
read moreनवनीत ठाकुर
White हमारी राहों में रौशनी है, मोहब्बत का चाँद, अंधे हैं वो, जो सिर्फ अंधेरों में डूब जाने वाले। हमने तो दर्द को अपनी ताकत बना लिया, वो टूट गए, जो डर से भाग जाने वाले। इश्क़ की गहराई में हमने खुद को खोज लिया, उनका क्या होगा, जो पल भर में खो जाने वाले। हमने हर जख्म को अपनी तासीर बना लिया, वो हताश हुए, जो मोहब्बत को सज़ा समझने वाले। हमारे इश्क़ में वो रूहानी असर है, जो दिल से दिल तक जाता है, वो कभी नहीं समझ पाएंगे, जो सिर्फ वक्त में खो जाने वाले। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर हमारी राहों में रौशनी है, मोहब्बत का चाँद, अंधे हैं वो, जो सिर्फ अंधेरों में डूब जाने वाले। हमने तो दर्द को अपनी ताकत बना लिया
#नवनीतठाकुर हमारी राहों में रौशनी है, मोहब्बत का चाँद, अंधे हैं वो, जो सिर्फ अंधेरों में डूब जाने वाले। हमने तो दर्द को अपनी ताकत बना लिया
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Unsplash दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं, जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं, जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।
#नवनीतठाकुर दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं, जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।
read moreSumitGaurav2005
White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा, सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में, तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में। बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार, जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार। पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी, फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी। चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी। कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो, प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो। या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो, ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005 अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प
अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प
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