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BENIWAL
बुरे वक़्त में सब साथ छोड़ जातें हैं पर ये जिंदगी बुरे हालात में भी साथ नहीं छोड़ती ©BENIWAL #मुजफ्फरनगर #muzaffarnagar #follow #allalone
#मुजफ्फरनगर #muzaffarnagar #follow #allalone #अनुभव
read moreकवि नितेश उपाध्याय "अतिशीघ्र"
बेशर्मी में "भारत" कही और बसर देख लो मिल गयी फुर्सत यदि हिन्दू-मुस्लिम से तो तड़पता मुजफ्फरनगर देख लो #अतिशीघ्र #अतिशीघ्रनितेश,#मुजफ्फरनगर, बच्चों की मौत
#अतिशीघ्रनितेश,#मुजफ्फरनगर, बच्चों की मौत
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
ऐ नफरत तू गिर चुकी इतनी, और कितना गिरेगी,.......... कभी सियासत के गलियारों से,तो कभी रियाजत के गलियारों में.... बता तू अब और कितना गिरेगी....?? ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #chaandsifarish #Nojoto# ऐ नफरत तू गिर चुकी इतनी,अब और कितना गिरेगी,.... कभी सियासत के गलियारों से,तो कभी रियाजत के गलियारों में.... बता तू
#chaandsifarish # ऐ नफरत तू गिर चुकी इतनी,अब और कितना गिरेगी,.... कभी सियासत के गलियारों से,तो कभी रियाजत के गलियारों में.... बता तू #Up #मुजफ्फरनगर #triptityagi
read moreSanchit Uniyal
तुम क्या करोगे? _ ओमप्रकाश वाल्मीकि जन्म 30 जून 1950 को ग्राम बरला, जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश में हुआ। आपका बचपन सामाजिक ए
read morePnkj Dixit
#OpenPoetry 🌷प्रेम जोगिनी 🌷 आज केश संवारूँ, सुगंध धूप से रंक बनेंगे आज सब भूप से । चंचल चितवन , मनमोहिनी काया देव भक्ति में मन आत्मिक रूप से ।। कमल और कुमुद समान रूप प्रभात में सूर्य और चंद्र विरोधी नीलवर्णी आकाश में । अलीयों का समूह गुंजा - रव बहाने छेड़ रहे कंवल और कौमुदी को श्वेत चांदनी धूप में ।। पूर्व दिशारुपिणी नायिका बन नाचती फिरुँ हिम कणों को नासिका कर्ण में टाँकती फिरुँ । मन चंचल अविनाशी मेरे श्याम साँवरिया मैं बनी जोगनिया तेरी भक्ति प्रेम रुप में ।। ३१/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' स्थान - मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश २५१३०९ 🌷प्रेम जोगिनी 🌷 आज केश संवारूँ, सुगंध धूप से रंक बनेंगे आज सब भूप से । चंचल चितवन , मनमोहिनी काया देव भक्ति में मन आत्मिक रूप
🌷प्रेम जोगिनी 🌷 आज केश संवारूँ, सुगंध धूप से रंक बनेंगे आज सब भूप से । चंचल चितवन , मनमोहिनी काया देव भक्ति में मन आत्मिक रूप
read morePnkj Dixit
आयोजन : "हम कितने दूर कितने पास" दिनांक - ०७/०७/२०१९ दिवस - रविवार विधा - कविता जब - जब मिलते रिश्तेदार मुस्कान मुख पर रहती है। मन के भीतर द्वेष भरा है जिह्वा पर निन्दा रहती है ।। मतलब का अनुबंध सभी का मुसीबत में साथ रहते नहीं । धन-दौलत की डींग हांकते पर नीयत बचकानी रहती है ।। स्वाभिमान घर के कोने में अभिमान सड़क पर रहता है । स्वार्थ हित में पुरुषार्थ भूलकर मानवता भटकती रहती है ।। सृष्टि की अनुपम रचना है मानव पर प्रकृति अनुकूल रहती नहीं । मन से हम कितने दूर कितने पास हर पल कवि मन चिंता रहती है।। संस्कार सभ्यता वेदों की ज्योति प्राणी में सहयोग भावना भरती है। सृष्टि में मानव का प्रयोजन क्या है विज्ञ कवि कलम बताती रहती है।। 🌷👰💓💝 ... ✍ कमल शर्मा'बेधड़क' मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश। आयोजन : "हम कितने दूर कितने पास" दिनांक - ०७/०७/२०१९ दिवस - रविवार विधा - कविता जब - जब मिलते रिश्तेदार मुस्कान मुख पर रहती है। मन के भ
आयोजन : "हम कितने दूर कितने पास" दिनांक - ०७/०७/२०१९ दिवस - रविवार विधा - कविता जब - जब मिलते रिश्तेदार मुस्कान मुख पर रहती है। मन के भ
read morePnkj Dixit
शीर्षक ----- चौथा बंदर भूतकाल में बंदर तीन चौथा वर्तमान में आया आभा-सी जगत को दे तिलांजलि आभासी जगत को अपनाया रिश्ते यहां बहुत से हैं किस किस का नाम बताऊं मैं तीनों बंदरों को कोने में रखो चौथे की बात बताऊं मैं मंद मंद तुम मुस्काओगे जब राज की बात सुनाऊं मैं सुबह शाम कोई समय न देखे हरपल इसमें डूबा रहता मां बापू आवाज लगाते काम छोड़ खाने को बुलाते आया अम्मा , आया बापू झल्लाकर चिल्लाता है प्रेमिकाओं से जब तब बतियाता है दीदी अम्मा रिश्ते नये आधार बने हैं संबोधन में एक दूजे के #यार बने हैं खाना पीना मेला चोना बाबू सब होता है सुबह सवेरे आंख खोलकर ये सोता है हास्य नहीं , कटू व्यंग भी नहीं ये नवपीढ़ी की दारूण कहानी है बढ़ते विज्ञान प्रभाव के कारण बर्बाद हो रही जवानी है सुन लो गुन लो इस जीवन का सार चौथा बंदर नहीं बचेगा "बेधड़क" चाहे कर लो जितना उपचार । 🌷👰💓💝२१/०६/२०१८ ...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' ..... मुजफ्फरनगर , उत्तर प्रदेश । शीर्षक ----- चौथा बंदर भूतकाल में बंदर तीन चौथा वर्तमान में आया आभा-सी जगत को दे तिलांजलि आभासी जगत को अपनाया रिश्ते यहां बहुत से हैं किस
शीर्षक ----- चौथा बंदर भूतकाल में बंदर तीन चौथा वर्तमान में आया आभा-सी जगत को दे तिलांजलि आभासी जगत को अपनाया रिश्ते यहां बहुत से हैं किस
read moreAbhimanyu Kamlesh Rana
"अंग्रेजों का नीम" पूरी कविता यहां paste नहीं हो पाई।caption में पढ़े अंग्रेजों का नीम बड़ा होता जा रहा इतनी शिद्दत से सींची जड़ें पेड़ वन होता जा रहा आज का कत्लेआम धर्म की रक्षा नहीं जहर का खेत जोता जा रहा हमा
अंग्रेजों का नीम बड़ा होता जा रहा इतनी शिद्दत से सींची जड़ें पेड़ वन होता जा रहा आज का कत्लेआम धर्म की रक्षा नहीं जहर का खेत जोता जा रहा हमा #विचार
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