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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
Nitish Sagar
आज मिथिलांचल का एक लोकप्रिय पर्व है जिनका नाम बरसाइत अर्थात वट-सावित्री पूजा।भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक है। इस पूज
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सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ आज इस कथा के बिना अधूरा है करवाचौथ का व्रत जानें आपके शहर में चांद निकलने का समय जरूर पढ़िए !! 🌹🌹 {Bolo Ji Radhey Radhey} करवा चौथ 2022 :-:- 🌝 आज सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ है। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के द्वारा रखा जाना वाला यह एक खास व्रत है। करवा चौथ के पर्व में सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर शाम के चंद्रोदय होने तक व्रत रखती हैं। करवा चौथ में महिलाएं दिन भर निराहार और निर्जला व्रत रखते हुए अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना करती हैं। व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं, और दिन भर उपवास रखते हुए शाम के समय करवा माता की पूजा, आरती और कथा सुनती हैं। इसके बाद शाम को चंद्रमा के निकलने का इंतजार करती हैं और जब चांद के दर्शन होते हैं तो सभी सुहागिन महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। सभी सुहागिन महिलाएं व्रत पूरा करने के बाद अपने सास-ससुर और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हुए करवा चौथ का पारण करती हैं। करवा चौथ 2022 शुभ योग :- करवा चौथ पर सर्वार्थसिद्ध योग बन रहा है। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। सर्वार्थसिद्धि योग से करवा चौथ की शुरुआत होगी। इसके अलावा शुक्र और बुध के एक ही राशि में यानी कन्या राशि में मौजूद होंगे। ऐसे में लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। वहीं बुध और सूर्य के एक राशि में मौजूद होने पर बुधादित्य योग बनेगा। वहीं शनि और गुरु स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। इस तरह के शुभ योग में पूजा करना बहुत ही शुभ लाभकारी रहता है। पूजाविधि :- 🌝 इस दिन सुहागिन स्त्रियां सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं और सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं। सरगी में मिठाई, फल, सैंवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। इसके बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरू हो जाता है, जो महिलांए निर्जल व्रत ना कर सके वह फल, दूध, दही, जूस, नारियल पानी ले सकती हैं। व्रत के दिन शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती,कार्तिकेय,गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर दें अन्यथा शिव परिवार की तस्वीर भी रख सकते हैं। 🌝 एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें व दूसरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्लड़(करवा) लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें,उसके ऊपर दक्षिणा रखें,रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें,पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा का श्रवण या वाचन करें। तत्पश्चात् रात्रि में चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लें। व्रत की कथा :- 🌝 प्राचीन काल में एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्ध्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुःख हुआ। 🌝 साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम अर्ध्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखों, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्ध्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा-बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं। 🌝 साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्ध्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। 🌝 उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आर्शीवाद ग्रहण किया। इस प्रकार उस लड़की की श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया। इस प्रकार यदि कोई भी छल-कपट, अंहकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्ति भाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत पूर्ण करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है। ©N S Yadav GoldMine सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ आज इस कथा के बिना अधूरा है करवाचौथ का व्रत जानें आपके शहर में चांद निकलने का समय जरूर पढ़िए !! 🌹🌹 {Bolo Ji Radh
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KP NEWS for the same 55555554 th ©कंवरपाल प्रजापति टेलर जिसमें हरे कपड़े, हरी चूड़ियां और मेहंदी सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है. सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार कर तैयार होती हैं और माता पार्वती का
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KP NEWS for the same for me to get the same for me 5555555555 ©KP EDUCATION HD भाद्रपद चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा मास है. चातुर्मास श्रावण मास से शुरू होकर कार्तिक मास में खत्म होता है. यह मास एक सितंबर से
Anuj Ray
महिला दिवस पर विश्व की सभी महिलाओं को अभिनंदन.. हम महिलाएं निकल चुकी हैं अब पुरुषों के चुंगल से। अब हर बात सोचते हैं हम ,अपने अपने एंगल से। बहुत किया अपमान हमारा , और शोषण की तो बात ही छोड़ो। अगर चाहिए भविष्य सुनहरा, चल कर कदम कदम से जोड़ो। फूल के बदले दिल दे देती, कडवा चौथ में मांग संवारे। सीमा पर प्रहरी बन सकतीं, सब जग ज़ाहिर हैं रूप हमारे। हम विक्रांत के सजग चौकसी, हम ही तेजस की गति संवारे। अब सोचे ना अज्ञानी कोई, हमें घर में बांध रखेगा सांकल से। हम महिलाएं निकल चुकीं हैं अब पुरुषों के चुंगल से। ©Anuj Ray हम महिलाएं ..
Gondwana Sherni 750
महिला दिवस मनाने के बावजूद भी आज तक कोई लड़की सुरक्षित नहीं 1 दिन का महिला दिवस मनाने से रेप ,अत्याचार, हत्याकांड यह सब खत्म हो सकता है क्या अगर खत्म हो सकता है तो ही महिला दिवस मनाए वरना कोई फायदा नहीं है जब महिलाएं सुरक्षित ही नहीं रहेगी तो महिला दिवस क्यों मनाओगे palli 8/3/21 ©Gondwana sherni सुरक्षित महिलाएं #standAlone