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अद्भुत रस (श्री कृष्ण जी की लीलाएं) लीला-१(जन्म लीला) आकाशवाणी सुन कि वसुदेव और देवकी, की 8वीं संतान से करूर कंस मारा जाएगा, देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया, नन्हे कृष्ण की लीला देखो, सख्त पहरे को खोल दिया, रात में ही यमुना पार गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया। लीला-२ कंस को जब खबर हुई उसने नन्हे कृष्ण को मारने राक्षसी पूतना भेजी, नन्हे बालक ने दुग्धपान कर राक्षसी पूतना का उद्धार किया। लीला-३ एक दिन कान्हा मिट्टी खा रहे थे, न जाने विचित्र बात हुई, मैया यशोदा ने कान्हा का मुंह जबरस्ती खोलने को कही। कृष्ण जी ने मुंह खोल मैया को पूरे ब्रह्मांड का दरस कराया, देख लल्ला के मुंह में ब्रह्मांड मैया का चित बहुत घबराया। लीला-४ (ऊखल बंधन लीला) वात्सल्य सुख के लिए जब मिलेगा लला को दूध पिलाने लगी, अतृप्त छोड़ कान्हा को जाने लगी, कान्हा कान्हा ने गुस्से में मटकी फोड़ दिया, टूटी मटकी देख जैसे ही मैया ने छड़ी उठाई, वात्सल्य-स्नेह उमड़ पड़ा, छोड़ छड़ी, मैया ने कान्हा को ऊखल से रस्सी से बाँध दिया। #czरस अद्भुत रस (श्री कृष्ण जी की लीलाएं) लीला-१(जन्म लीला) आकाशवाणी सुन कि वसुदेव और देवकी, की 8वीं संतान से करूर कंस मारा जाएगा, दे
Satya Prakash Upadhyay
आँचल उसका गुण कोई कैसे गाए जो देवताओं को भी दुर्लभ है। कंचन-कलश अमृत को कौन पूछे जब माँ का आँचल सुलभ है। हर मौसम की छाया है हृदय लगने की अपनी माया है। कभी शीतलता कभी ममता तो कभी सुरक्षा का ढाल बनाया है। हो धूप-धूल या आँधी-तूफान या की कोई रणक्षेत्र ही हो। हर बालक का जीवन है पलता बिन इसके संस्कारी कल न हो। हूँ कर्ज़दार मैं अनंत जन्मों का इस कर्ज़ में भी आनंद समाया है। हर गलती वहाँ माफ़ हो जाती जिसके तले माँ ने लोरी सुनाया है। इसकी सीमा की माप नही गैरों को भी अपनाया है। उमड़ पड़ी ममता पूतना की ब्रह्मांड नायक को आँचल में छुपाया है। satyprabha💕 उसका गुण कोई कैसे गाए जो देवताओं को भी दुर्लभ है। कंचन-कलश अमृत को कौन पूछे जब माँ का आँचल सुलभ है। हर मौसम की छाया है हृदय लगने की अपनी म
Amit Tiwari
मुझे हस्सीआती है जब कुरीतियों पर एक पिता की गाढ़ी कमाई खाली हो जाती है दहेज़ रूपी पूतना आज फिर से जीवित हो जाती है पिता के आत्मसम्मान के खातिर हर अपमान सेह जाती है जब हर गम को छुपाकर एक लड़की आदर्श नारी बन जाती है मुझे हंसी आती है जब हमारा समाज ये देख कर चुप रहता है हर सामने वाले को दहेज़ बुरा है मत लेना कहता है और पीठ पीछे खुद बिछू बन डंक मार जाता है हमारा समाज हँसता है मुस्कुराता है मुझे हंसी आती है जब ये कुछ न कहता है ... न छुपाता है दहेज़ बुरा है , बुरा है कह कर बस मगरमछ वाले आंसू बहता है #hansi #Nojoto #Nojotohindi #love #family# kavishala #kalakaksh कुरीतियों पर एक पिता की गाढ़ी कमाई खाली हो जाती है दहेज़ रूपी पूतना आज फिर स
Poetry with Avdhesh Kanojia
स्त्री ---- स्त्री ही मूल सृष्टि का है, स्त्री ही रूप शक्ति का है, स्त्री ही इस जगत में, प्रेम पर्याय है। नारी बिन पुरुष का, जीवन रहता अधूरा, ऐसी स्त्री से भेदभाव, घोर अन्याय है। वन्दनीय माने वेद, गाये महिमा पुराण, स्त्री हमारे धर्म का, विशेष अध्याय है। नारी परिवार हेतु, जीवन है वार देती, नारी बिन सारी धरा, पूर्ण कृशकाय है। पर यदि स्त्री का रूप, पूतना व ताड़का का और यदि होलिका सी पाप अधिकाय है। नारी जाति पे कलंक, रूपी ऐसी नारियों को, न्यायोचित दण्ड देना, नहीं अन्यान्य है। सनातन धर्म में तो, सारा सार एक ही है, नारी सम्मान समृद्धि, का उपाय है। नारी सम्मान हेतु, करते प्रयास जो हैं, उन पर राम सीय सदैव सहाय हैं। ✍️अवधेश कनौजिया© #women #स्त्री #नारी स्त्री ---- स्त्री ही मूल सृष्टि का है, स्त्री ही रूप शक्ति का है,
Poetry with Avdhesh Kanojia
स्त्री ---- स्त्री ही मूल सृष्टि का है, स्त्री ही रूप शक्ति का है, स्त्री ही इस जगत में, प्रेम पर्याय है। नारी बिन पुरुष का, जीवन रहता अधूरा, ऐसी स्त्री से भेदभाव, घोर अन्याय है। वन्दनीय माने वेद, गाये महिमा पुराण, स्त्री हमारे धर्म का, विशेष अध्याय है। नारी परिवार हेतु, जीवन है वार देती, नारी बिन सारी धरा, पूर्ण कृशकाय है। पर यदि स्त्री का रूप, पूतना व ताड़का का और यदि होलिका सी पाप अधिकाय है। नारी जाति पे कलंक, रूपी ऐसी नारियों को, न्यायोचित दण्ड देना, नहीं अन्यान्य है। सनातन धर्म में तो, सारा सार एक ही है, नारी सम्मान समृद्धि, का उपाय है। नारी सम्मान हेतु, करते प्रयास जो हैं, उन पर राम सीय सदैव सहाय हैं। #स्त्री #नारी #women #womensday #woman #love #poetry स्त्री ---- स्त्री ही मूल सृष्टि का है, स्त्री ही रूप शक्ति का है, स्त्री ही इस जगत
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
बजन्में आधी रात को , मथुरा में गोपाल । मातु देवकी छोड़कर , हुए नंद के लाल ।। जन्में आधी रात को ... तहखाने खुलने लगे , देखो अपने आप । माया यहीं दिखा दिए , हरने को संताप ।। वासुदेव सिर माथ पर , लिए बाल गोपाल । यमुना जी को पार कर , पहुँचे घर नंदलाल ।। जन्में आधी रात को .... मातु यशोदा को खुशी , देख हुई आपार । घर में अपने आ गये , जग के पालनहार ।। आज खुशी से झूमते , गोकुल के सब ग्वाल । अधरों से सबके हटे , तीखे बड़े सवाल ।। जन्में आधी रात को ... खुशियाँ जग की देखकर , हुआ कंस बेहाल । छोटा सा बालक वहाँ , इतना बड़ा कमाल ।। भेज पूतना को वहाँ , पूछ रहा है हाल । कैसे करता है बता , ग्वाला वहाँ कमाल ।। जन्में आधी रात को .... जन्में आधी रात को , मथुरा में गोपाल । मातु देवकी छोड़कर , हुए नंद के लाल ।। ०७/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जन्में आधी रात को , मथुरा में गोपाल । मातु देवकी छोड़कर , हुए नंद के लाल ।। जन्में आधी रात को ... तहखाने खुलने लगे , देखो अपने आप ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- जन्में आधी रात को , मथुरा में गोपाल । मातु देवकी छोड़कर , हुए नंद के लाल ।। जन्में आधी रात को ... तहखाने खुलने लगे , देखो अपने आप । माया यहीं दिखा दिए , हरने को संताप ।। वासुदेव सिर माथ पर , लिए बाल गोपाल । यमुना जी को पार कर , पहुँचे घर नंदलाल ।। जन्में आधी रात को .... मातु यशोदा को खुशी , देख हुई आपार । घर में अपने आ गये , जग के पालनहार ।। आज खुशी से झूमते , गोकुल के सब ग्वाल । अधरों से सबके हटे , तीखे बड़े सवाल ।। जन्में आधी रात को ... खुशियाँ जग की देखकर , हुआ कंस बेहाल । छोटा सा बालक वहाँ , इतना बड़ा कमाल ।। भेज पूतना को वहाँ , पूछ रहा है हाल । कैसे करता है बता , ग्वाला वहाँ कमाल ।। जन्में आधी रात को .... जन्में आधी रात को , मथुरा में गोपाल । मातु देवकी छोड़कर , हुए नंद के लाल ।। ०७/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #janmashtami जन्में आधी रात को , मथुरा में गोपाल । मातु देवकी छोड़कर , हुए नंद के लाल ।। जन्में आधी रात को ...
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा तांटक छन्द कृष्णजन्माष्टमी जन्मदिवस पर अपने कान्हा , तुमको जग में आना है । भक्तों को इन दुष्टों से अब , तुमको आज बचाना है ।। जन्मदिवस पर अपने कान्हा ... आज पूतना कंस गली में , अपनी रास रचाते है । अपनी माया के बल से वह , दीनों को भटकाते है । तुमको अपनी लीलाओ से , उनको धूल चटाना है ।। जन्मदिवस पर अपने कान्हा .... भूल गये है जग वासी , आज प्रेम की भाषा को । आकर जग में पुन:जगाओ, रिश्तों की जिज्ञासा को ।। राधा रानी संग लिए प्रभु , फिर से रास रचाना है । जन्मदिवस पर अपने कान्हा ... आस लगाए बैठे है हम , तारन हारे आयेंगे । भक्तों के अपने कष्टों को , वह ही दूर भगायेंगे ।। आज भक्त को अपने गिरधर , दर्शन देने आना है । जन्मदिवस पर अपने कान्हा , ... जन्मदिवस पर अपने कान्हा , तुमको जग में आना है । भक्तों को इन दुष्टों से अब , तुमको आज बचाना है ।। ०६/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रख ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा तांटक छन्द कृष्णजन्माष्टमी जन्मदिवस पर अपने कान्हा , तुमको जग में आना है । भक्तों को इन दुष्टों से अब , तुमको आज बचाना है ।।
Anis Kumar
श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष श्री कृष्ण जी! आपके जन्मदिन पर मैं आपको बधाई देता हूं। आपने अपने जीवन में कई महान कार्य किए - आपने पूतना को मारकर उसका अहंकार तोड़ा, आपने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, और आपने धर्म की रक्षा की। आपका जन्म बहुत ही ख़ुशनुमा घटना थी - आपके जन्म के समय छक-छक कर बरसात हुई, और सभी लोग आनंदित थे। आपका बचपन भी बहुत मधुर था - आपने अपनी मां यशोदा का बहुत सम्मान किया, और अपने भाई बलराम और दोस्तों के साथ बहुत मस्ती की। आपके चरित्र में बहुत सारे गुण थे जिनसे हम सब को प्रेरणा मिलती है - आप बहादुर, करुणालु, न्यायप्रिय और ईमानदार थे। आपके जीवन से हमें धैर्य, सहिष्णुता और सच्चाई का पाठ सीखने को मिलता है। श्री कृष्ण जी! आप हम सभी के लिए एक आदर्श हैं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप हमें सदा अपना आशीर्वाद दें और हमें धर्म और कर्तव्य का मार्ग दिखाएँ। जय श्री कृष्ण! ©Designer studio #janmashtami श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष श्री कृष्ण जी! आपके जन्मदिन पर मैं आपको बधाई देता हूं। आपने अपने जीवन में कई महान कार्य किए - आपन
Yogita Sahu
घनघोर अंधेरा मा जनम लेहे तोर कन्हैया ललना हा तोर कन्हैया लालना पापी मन के नाश करथे देथे सरन मा हमला पापी मन के नाश करथे डेथे सरन मा हमला -2 जय कान्हा हा जय कान्हा जय कन्हैया जय हो तोर -2 जनम हाइस आऊ तैहा कान्हा समस्या ला गिराए सबो समस्या ला तै गिराए सुन्दरी बन के आइस हे पूतना वहू ला मार गिराए -2 जय कान्हा हो जय कान्हा जय कन्हैया जय हो तोर -2 नटखट हबे तोर माया हा मन मा सबके मोहाय हा मन मा सबके मोहाए घर घर मा तै जाके कन्हैया दही ला तैहा चोराए -2 जय कान्हा हो जय कान्हा जय कन्हैया जय हो तोर -2 दही चोराय तैहा कान्हा संग मा तै पकड़ाए हा संग मा तै पकड़ाए मासूम चेहरा देख के तोरे माता मन तोला नचाए -2 चाले ला देख के तोर कन्हैया गोपियन के मन हा मो हा गोपीयन के मन हा मोहाए नदियां तीर मा जाके कन्हैया गोपियन संग रास रचाए -2 जय कान्हा हो जय कान्हा जय कन्हैया जय हो तोर -2 ©Yogita Sahu happy जन्माष्टमी घनघोर अंधेरा मा जनम लेहे तोर कन्हैया ललना हा तोर कन्हैया लालना पापी मन के नाश करथे देथे सरन मा हमला पापी मन के नाश करथे ड