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F M POETRY
Unsplash अब उदास फिरते हो सर्दियों क़ी शामों में.. इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में.. ©F M POETRY #अब उदास फिरते हो....
#अब उदास फिरते हो....
read moreनवनीत ठाकुर
दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छोड़ते नहीं। दूरी बेशक हो, साथ का एहसास, कम कभी होने देते नहीं।" ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छो
#नवनीतठाकुर दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छो
read morenisha Kharatshinde
मी एक डिपार्टमेंट कुणाला माझी आता काळजीच नाही पहिल्यासारखे काही राहिलेच नाही कित्येक आले कित्येक गेले माझी व्यथा कुणा कळलीच नाही चाललंय ना डिपार्टमेंट एवढंच सर्वा दिसत आले कुणावाचून काही अडत नाही सगळेच असे म्हणत आले मनापासून काम करणारे क्वचितच मला समजू शकले नाहीतर पाट्या टाकणारे मलाच नावे ठेवून गेले पहिले कसे बरे होते प्रेम करणारे जुणे होते सहवासातील काही वर्षांतच डिपार्टमेंट घर होत होते काही वर्षे गेली की प्रेम जडते त्यांचे माझ्यावर मी ही फिदा होतो मग माझ्या स्टाफ परिवारावर स्वच्छता, नीटनेटकेपणा सर्व मनापासून असते मग माझे ते...मी त्यांचा आपलेपण येते मग शिकूदेत त्यांनाही इच्छेने एक घरपरिवार होऊदेत सेवेलाही जोर येईल मग सर्व प्रोब्लेम दूर होऊदेत नका बदलू इच्छेविरुद्ध डिपार्टमेंट जोरात चालूदेत काही चुकलं असेलतर नियम अर्थातच लागूदेत मी एक डिपार्टमेंट माझी व्यथा मला मांडूदेत चाललंय ना व्यवस्थीत जिथे तिथे तसंच चालूदेत..सेवेला बळ येऊदेत ✍️काव्यनिश ©nisha Kharatshinde मी एक डिपार्टमेंट
मी एक डिपार्टमेंट
read moreArjun Singh Rathoud #Gwalior City
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
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