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Ashutosh Mishra
ख़ुद को मिटा दिया मैंने,,, दफ़न कर दिया अपनी खुशियों को,जब बेटी-बहन से बहू बनी। सबको खुश रखने की चाहत में,दिन रात एक कर दिये मैंने। ख़ुद को मिटा दिया मैंने,,, अब अपने परिवार की खुशियों में ही,, मैं भी खुश हो जाती हूं। इन्हें बढ़ता देख, मैं भी बलि बलि जाती हूं। मिटा दिया मैंने ख़ुद को,,,, अंतर्मन में जो कभी उठे द्वंद,तो मन मार बैठ जाती हूं मैं। इतने पर भी जो होऊं प्रताड़ित, अपने ही भाग्य को कोसती हूं। मिटा दिया ख़ुद को मैंने,,, अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #me निज नैनों में भरे आंसुओं को, अपने पलकों में छुपा लेती हूं मैं। कभी कभी सोचती हूं मैं,,से विधाता, क्या यही इनाम है, मेरे संस्कारों का। म
Divya Joshi
समस्याओं के घाट पर हम समस्याओं के घाट पर हम, अलसुबह बैठ जाते हैं, बुला- बुला कर उन सबके दर्द रोज सुनते जाते हैं। सुन कर दर्द उन सबका फिर अश्कों के खजाने लुटाते हैं, जो है पहले से उनके पास, उन्हें वही दिए चले जाते हैं। जब अश्रु मिलकर "सूने" उन घाटों को भर जाते हैं… ये कैसा समाधान है सोचती हूं मैं क्यूँ आंसू को हम आंसू और खुशी को खुशी देने को यूँ आतुर हो जाते हैं!? दर्द को राहत और ग़म को खुशी क्यूं दे नहीं पाते हैं…? जिसके पास जो है उसकी झोली बस उसी से भरते जाते हैं। चलो आज से आंसू को मुस्कान, समस्या को समाधान दे जाते हैं, समस्याओं के इस घाट पर खुद को ही, एक नया आयाम दे जाते हैं। 21, may, 2021 ©Divya Joshi समस्याओं के घाट पर हम, अलसुबह बैठ जाते हैं, बुला- बुला कर उन सबके दर्द रोज सुनते जाते हैं। सुन कर दर्द उन सबका फिर अश्कों के खजाने लुटाते ह
अशेष_शून्य
गुलाबी आसमां से उतरी है इक गुलाबी परी ......🦋💕 पंखों में समेटे हज़ारों रंग , प्रेम की जादुई छड़ी संग ! सबके होठों पे जो मुस्कान बिखेर जाती..... सबकी खुशियों में वो यूंही मुस्कुराती .....!! जिंदगी में आए प्यार की बहार, जन्मदिन मुबारक मेरी "रुह" तुम्हें हर बार !!!!!!! Wish you a Very Happy 😊 Blessed 🦋 B'day my soul ❤️ Dedicating a #testimonial to मृणाल चतुर्वेदी🐼 जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं मेरी जान Many many happy returns of the day ❤️💕💕❤️💕😘😘😘😘😘 Hap
Shivani Puri
(✿) सोचती हूं (。◕‿◕。)—☆ सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा, जब मैं सच में मन से मुस्कुराऊंगी, बेख़बर सी होकर मैं, जिंदगी के सारे ग़म भूल जाऊंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा, जब मैं खुद को खुद से मिलवाऊंगी, ओढ़ रखी है चादर जो दिखावे की, उसको हमेशा के लिए उतारूंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा , जब मैं खुद की पहचान बनाऊंगी, पीछे छोड़ सब दुनियादारी , मैं झंडा बन लहराऊंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा, जब मैं बन परिंदा आसमान में उड़ जाऊंगी, तोड़कर सब ज़ंजीरें , मैं ख्वाबों के पंख लगाऊंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा ,जब मैं जीवन में संतुष्टि पाऊंगी, भूल कर सब ग़म और ख्वाहिशें, मैं चिंता मुक्त हो जाऊंगी..... मैं चिंता मुक्त हो जाऊंगी ✿शिवानी पुरी✿ ©Shivani Puri सोचती हूं... #simplicity
J.P. Sen
muskan mathare
तुम यूं ही मुस्कुराते रहा करो तुम्हारे होठों की हंसी अच्छी लगती है न जाने इस मुस्कुराहट के पीछे क्या छुपा है यह सही की मुस्कुराहट है या बेमतलब हंस रहे हो ना जाने तुम्हें देख कर यूं ही ऐसा लगता है तुम्हारी होठों की हंसी यूं ही गुमराह क्यों हो जाती है ना जाने किस सोच में बैठी हूं ना जाने किस और बैठी हूं ना जाने किस लम्हा को और देखा करती हूं ना जाने किस बातों के लिए सोचती रहती हूं ना जाने कैसी कैसी बातें याद आती है न जाने अपनी बातों को किससे कहूं किससे सहारा ।। ©rohit mathare #dilkibaat अकेले बैठ के कुछ लम्हा सोचती हूं ना जाने किस लम्हों में सोचती बैठती रहती हूं मैं
Archana Chaudhary"Abhimaan"
सोचती हूं क्या लिखूं, जीवन के हालात लिखूं या दिखावे की बात लिखूं। सोचती हूं क्या लिखूं, जीवन की सच्चाई लिखूं या झूठ के पुलिंदे लिखूं। सोचती हूं क्या लिखूं, सुख़ लिखूं या दुःख लिखूं। सोचती हूं क्या लिखूं, जीवन के अंधेरे लिखूं या टिमटिमाती रोशनी लिखूं। सोचती हूं क्या लिखूं। यही सोच सोच कर सीखा है जीवन से की परिस्थितियां एक सी नहीं होती। सदा दुःख नहीं मिलता, सदा सुख नहीं मिलता। बस यही सोच कर ये लिखा, की हंसते मुस्कुराते रहो सदा। जीवन के गीत गाते रहो सदा। सोचती हूं.............#collabwithme #collabchallenge