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Alka pandey

#Thinking of people Anil Ray Hardik Mahajan हिमांशु Kulshreshtha Ravi vibhute kasim ji, Anil Kumar Ray, ambika jha, Rakesh Srivastava

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White जिन्दगी की ट्रेन को चलाने के लिए
सुख दुख, अमीरी गरीबी दोनों को  व्यवस्थित तरीके से चलाने मे ही नौका पार होती है 💓

©Alka pandey #Thinking of people  Anil Ray  Hardik Mahajan  हिमांशु Kulshreshtha  Ravi vibhute  kasim ji, Anil Kumar Ray, ambika jha,  Rakesh Srivastava

samandar Speaks

#Thinking Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Khushi Tiwari Internet Jockey Mukesh Poonia

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White एक बात सबको पत्ते की बता दी जाए
गिर के उठने वालों को आगे जगह दी जाए 

हर लम्हा हवा संग जो जिया, न झुका कहीं
उसकी रूहानियत पे मुहब्बत लूटा दी जाए 

सूरज की तपिश को सहा, चुपचाप जला
ऐसे जज़्बे को फलक पे बिठा दी जाए 

हर शाख से जुदा हो, मिट्टी में समाया
उसकी खामोशी को जुंबिश बना दी जाए।

ज़िंदगी का सबक है, गिरना और उठना
इस फलसफे को हर दिल में बिठा दी जाए 

न गिरना बुरा, न टूटना कोई गुनाह
जो न समझे ,उसे अज़र तक सजा दी जाए।

हर पत्ता सिखाए है जीने का नया हुनर
हर ज़र्रे को ये हक़ीक़त समझा दी जाए 
राजीव

©samandar Speaks #Thinking  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Khushi Tiwari  Internet Jockey  Mukesh Poonia

samandar Speaks

#Book Mukesh Poonia Satyaprem Upadhyay Internet Jockey Radhey Ray मनीष शर्मा

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Unsplash कर ले सितम अब तेरी रुखसती के दिन हैं
ना होगा दीद तेरा हम भी बा यक़ीन हैं
अपनी ही मिल्कियत में तुझे तालियां मिलीं
अब सुन ले ये गूंज तेरी आफियत के दिन हैं
बड़ी रोशनी बिखेरती तेरे लेबलुआब है 
सूरज बता रहा तेरे , ढलने के दिन है
बग़ावत की बस्ती में हुकूमत के दिन हैं,
ज़मीरों के सौदे में सियासत के दिन हैं।
जहाँ सच को दफ़्ना के ख़ुदा लिख दिया है 
चारों तरफ झूठ की  इबादत के दिन हैं।
लिबास में गुलामी झलकती है जिनकी
वो कहते हैं  उनकी बग़ावत के दिन हैं।
जो पत्थर में भी चेहरे तलाश किए थे,
वो कहते हैं बस उनकी शराफ़त के दिन हैं।
जहाँ चोर को ताज औ' मेहराब सजे हैं 
उस दानिश की आज रुख़सती के दिन हैं 
राजीव

©samandar Speaks #Book  Mukesh Poonia  Satyaprem Upadhyay  Internet Jockey  Radhey Ray  मनीष शर्मा

samandar Speaks

#lightning Radhey Ray Sandeep L Guru Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia Anant

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she was...
Upon the threshold stands her patient gaze,
Her shadow stretched by sun's unyielding might,
A beacon through the summer’s scorching haze,
She waits for me, her heart my guiding light.

Her sari clings, dampened by the day’s heat,
Yet still she smiles, though weary from her chore,
The noon’s harsh rays bow down before her feet,
Her love transcends what time or toil can score.

A jug of water rests within her hand,
Cool respite offered as my steps draw near,
No words are said, yet I can understand,
In her soft eyes, a world of love appears.

O mother, framed against the summer's glare,
Your tender watch, no heat could e’er impair.

©samandar Speaks #lightning  Radhey Ray  Sandeep L Guru  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  Anant

samandar Speaks

#love_shayari Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा bewakoof

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White अब क्या बताऊं ये क्या हैं
इक सपना है हिंदी में, या उर्दू में ख्वाब है,
चाँद का आइना, सूरज का नक़ाब है।
बारिशों की छन-छन, जैसे सितारों की सरगोशी,
हवा की सरसराहट, मानो ज़ुबां पर कोई नज़्म रुकी हो।
लहरों की हलचल, जैसे धड़कता हो समंदर का दिल,
भँवरों की गुनगुनाहट, जैसे मौन की गहराई में छुपा एक गीत।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये सुबह का आँचल, जिसमें रौशनी का जादू सिमटा है,
ये शाम का सन्नाटा, जैसे थककर कायनात खुद को सुला रही हो।
जंगलों की फुसफुसाहट, जैसे पेड़ आपस में राज़ बांट रहे हों,
पहाड़ों की बुलंदी, जैसे किसी दुआ की सदा आसमान को छू गई हो।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये बूँदें, जो धरती की प्यास बुझाकर मुस्कुराती हैं,
ये मिट्टी की ख़ुशबू, जैसे कुदरत का इश्क़ ज़मीन से लिपट गया हो।
ये फूलों का खिलना, जैसे हर सुबह एक नया अफ़साना लिखती हो,
ये तितलियों का नृत्य, जैसे रूहानी ख़्वाबों का रंगीन कारवां।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये बादलों का आग़ोश,जैसे किसी मां ने अपने बच्चे को छुपा लिया हो,
ये झील का सुकून, जैसे किसी सूफी का दिल।
कुदरत का हर रंग, हर सुर, हर अंदाज़,
जैसे खुदा ने अपने दिल के सबसे गहरे कोने में
हमारे लिए एक नज़्म लिख छोड़ी हो।
अब क्या बताऊं ये क्या हैं 
राजीव@samandar speaks

©samandar Speaks #love_shayari  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा  bewakoof

samandar Speaks

#camping Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा Anant bewakoof

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Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा
गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा

तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया
और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा

काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे,
चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया

इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की
अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा

सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू,
एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका
Rajeev

©samandar Speaks #camping  Radhey Ray  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा  Anant  bewakoof

samandar Speaks

#camping Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia Radhey Ray Anant bewakoof

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Unsplash मन खफा है, गुमशुदा है,
ग़म का साया है,
अजनबी-सा कोई दर्द,
बेवजह भीतर पला है।
राहें भी चुप हैं,मंज़िलें धुंधली,
कदम रुक-रुक से,जैसे कोई थका कारवां।
आसमान बेरंग है,सितारे कहीं खो गए,
चाँदनी भी अब,अंधेरों में घुल गई है।
अश्क हैं, मगर बहते नहीं,
जख्म हैं, पर दिखते नहीं,
जैसे कोई राज़ छुपा है,
सांसों की खामोशी में।
खुशियां अधूरी,सपने बेमानी,हर चाहत जैसे
खो गई ज़िंदगी की भीड़ में।
रूह में शोर है,
मन की परतों में ख़ामोशी,
सवालों की कैद में
कोई जवाब नहीं मिलता।
शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है,
या खामोशियों में बसी एक उलझन,
लेकिन कहीं…धुंध के उस पार
एक किरण बाकी है।
राजीव

©samandar Speaks #camping  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  Radhey Ray  Anant  bewakoof

samandar Speaks

#library Mukesh Poonia Anant Radhey Ray Sandeep L Guru bewakoof

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Unsplash 
आईना मुझसे मेरे वक़्त का हिसाब मांगता है,
अक्स पे बेजान अदावत का जवाब मांगता है।

धूल चेहरे पे, या ख़्वाबों में भटकती है कहीं,
हर परत मुझसे छुपे राज़ का नक़ाब मांगता है।

वो जो गुज़रा है कभी ख़्वाब सा लम्हा बनकर,
अब वही बीते हुए लम्हों का हिसाब मांगता है।

जिनको देखा था ख़ुदा का ही करम समझ कर,
वो मेरा टूटता ईमान बेहिसाब मांगता है।

आईने के उस पार मैं भी कहीं ग़ुम सा हूँ,
और वो मुझसे मेरी रौशन किताब मांगता है।

सोचता हूँ कि ये आवाज़ है दिल की या वक़्त,
हर सदा जैसे मुक़द्दर का मिज़ाज मांगता है।

ख़ुद को पहचान सकूँ, इतनी भी मोहलत दे दे,
ये जहाँ मुझसे हर एक हाल का जवाब मांगता है।
Rajeev

©samandar Speaks #library  Mukesh Poonia  Anant  Radhey Ray  Sandeep L Guru  bewakoof

samandar Speaks

#good_night Mukesh Poonia Internet Jockey Khushi Tiwari Radhey Ray Satyaprem Upadhyay

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White 

दरवाजे पे उसकी आहट है, या दस्तक,
दिल को है भरम कोई आई है दस्तक।

जो थाम के गिरने से बचा लेती थी,
अब छू रही यादें और परछाईं है दस्तक।

जो लोरी सुनाती थी नींदों को पुरसुकू कभी,
अब ख़्वाब में सिसकी बन आई है दस्तक।

जहां उसके आंचल की ठंडक थी कभी,
अब दर्द है तन्हाई है गुफ्तगू है दस्तक।

तस्वीर के साये से भी अब तो आती सदा,
क्यों तू नहीं आती, पर आई है दस्तक।

दुआओं की चादर थी जो सिर पर कभी,
अब हर तरफ़ खाली सहराई है दस्तक।

दिल चीख के कहता है इक बार तो आ,
मां, तेरी कमी है और रुबाई है दस्तक।
राजीव

©samandar Speaks #good_night  Mukesh Poonia  Internet Jockey  Khushi Tiwari  Radhey Ray  Satyaprem Upadhyay

samandar Speaks

#Shiva Radhey Ray Samima Khatun Mukesh Poonia Satyaprem Upadhyay Internet Jockey

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White 

त्रिपुरारी, तांडव-नायक, महाकाल का नाम,
विनाश का नायक वह, सृष्टि का महाधाम।
त्रिशूल धरे जो त्रिपुर बंधन तोड़ चला,
मृत्यु से परे वह, स्वयं काल से लड़ा।

गर्जना से उसकी कंपित हो ये ब्रह्मांड,
शिव का हुंकार है, जगत का वह हुंकार
तीन नेत्रों में ज्वाला, भस्म-अंग पर शान,
कालजयी महादेव का जग में गूंजे गान।

त्रिपुरासुर की माया जब सिर उठाए,
महाकाल ने क्रोध में तांडव रचाए।
त्रिशूल के प्रहार से भस्म हुआ अभिमान,
विनाश में ही निर्माण का छुपा हुआ विज्ञान।

हर हर भोले! गूंज उठे हैं कण-कण,
महाकाल की महिमा से कंपित है जीवन।
त्रिपुरारी, विनाशक, सृष्टि के आधार,
तेरा ही जयघोष है, सदा हमारा शृंगार।

©samandar Speaks #Shiva  Radhey Ray  Samima Khatun  Mukesh Poonia  Satyaprem Upadhyay  Internet Jockey
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