Find the Latest Status about लेडीस गीत from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लेडीस गीत.
vikas agrawal
लेडीस फर्स्ट, लेडीस फर्स्ट से चिढ़ने वाले पुरुषों को चेतावनी है, कि आप शुक्र मनाइए, आप दूसरे नंबर पर तो आते हैं, नहीं तो एक ऐसी भी जाती है, जहां पुरुषों का नामोनिशान नहीं, जी हां। कभी, मछली, का मछला सुना है।। ©vikash Agarwal लेडीस फर्स्ट, #teachersday2020
Kartik Pratap
जब रात ढले लिखना हो कोई गीत तब मत लिखना अपने दिलदार को लिख देना कोई नज़्म जिसमे इंसान, इंसान ही नज़र आए लिख देना अपनी सारी पर्तें खंगाल कर कुछ अटरम-सटरम बिखेर देना खुद को उस गीत में इस तरह कि बस जैसे लिखा जा रहा हो दुनिया का आखिरी गीत #NojotoQuote आखिरी गीत #गीत
Kapil Sharma
मूर्ख स्त्री पति को गुलाम बनाकर खुद ही गुलाम की पत्नी बन जाती है लेकिन बुद्धिमान स्त्री पति को बादशाह बना कर रानी बन जाती है यह रियल सच्चाई है ©Kapil Sharma लेडीस जाए तो क्या कुछ नहीं कर सकती #Thoughts
Kandari.Ak
sunset nature अभोर जब होगा इक नया दौर आएगा बेशक ये हस्ती मिट चुकी होगी मेरे गीत - गजलों से अटल जी सा एक नाम मेरा भी गुजेंगा हर कवि सम्मेलन इक छोर पे हर मुश्यारे के एक मोड़ पे मेरी लिखी पंक्तियां पढ़ी जाएंगी अभोर जब ......... इक नया दौर ....... ✍️ ©Kandari.Ak #गीत#गीत✍🏻 #ग़ज़ल #shyari
Anuj thakur "बेख़बर"
अधूरी मुहब्बत का किस्सा हूं जो कभी सुनाया जाऊंगा! टूटता आईना हूं, अब क्या किसी को दिखाया जाऊंगा बदक़िस्मती ने बखूबी साथ निभाया ताउम्र मेरा! गीत ही तो हूं खुशी में न सही गम में तो गाया जाऊंगा!! बेख़बर गीत
विनय शुक्ल 'अक्षत'
तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। वक्त के तटबंध पर बनकर मैं शीतल जल छहरता। पर तुम्हे तो हार का अवसर दिखाई दे रहा था। एक भयानक त्रासदी का डर दिखाई दे रहा था। मुख से कुछ बोले नहीं तुम पर निगाहें कह रही थी। पीर उर की नैन के कोरों से रिस कर बह रही थी। मौन थे तुम, आँसूओं से थी दुपट्टे पर तरलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। प्राण ! तुमको वक्त का था भान न मालूम मुझको। बंदिशों को तोड़ना आसान न मालूम मुझको। पर शिकायत है कि तुम से कुछ छुपाया जा रहा था। सच न कह कर मुझसे मेरा दिल दुखाया जा रहा था। थी नहीं अब प्राण ! तुझमें पहले जैसी वो सरलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। पर चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ यह मानता हूँ। अब न मुझको जानते तुम मैं न तुमको जानता हूँ। वक्त के हाथों गढ़ी तस्वीर लेकर देख लेंगे। एक दूजे के हृदय की पीर लेकर देख लेंगे। सोचता हूँ कब तलक मुझको सताएगी विफलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। ©©©©विनय अक्षत' गीत