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Nurul Shabd
White इश्क का सफर इश्क के रास्ते बड़े मुश्किल थे, पर दर्द ही साथी बनकर मिले। ©Nurul Shabd #Thinking #इश्क #का #सफर लव शायरी
TAHIR CHAUHAN
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ऊंची लहरों से क्या, डराते हो हमे। तुम जैसे समंदर तो हम अपनी आंखों में लिए फिरते है। ताहिर।।। ©TAHIR CHAUHAN #SunSet#समंदर
विष्णु कांत
White मैं निकल चला हूं समंदर की सैर पर, नंगे पांव मेरे खुरेदार पत्थरों से नहीं टकराते, अब छाले भी नहीं पड़ते पांव पर। ©विष्णु कांत #समंदर
copyrightshayar
White खामोशी में छुपा है दर्द का समंदर, आंसुओं से भीग रहा है हर इक मंज़र। चाहे कितनी भी कोशिशें कर लो, कुछ ज़ख्म कभी भरते नहीं अंदर। ©copyrightshayar खामोशी का समंदर #sad_shayari #SAD 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी शायरी दर्द शायरी हिंदी में शायरी हिंदी
खामोशी का समंदर #sad_shayari #SAD 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी शायरी दर्द शायरी हिंदी में शायरी हिंदी
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ऐ समंदर तू मेरे दिल में लगी आग बुझा दे.. अगर आग न बुझे तो तू मुझे ही मिटा दे.. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #ऐ समंदर...
#ऐ समंदर...
read moreKavi Himanshu Pandey
चाँद तारे तोड़ लाना आसमान से यदि इतना आसान होता, तो हर कोई ना तोड़ लाता, समंदर लाँघना यदि प्यार में, बच्चों का खेल होता, तो हर कोई ना लाँघ जाता! ..., Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey समंदर... #beingoriginal #NojotoHindi
समंदर... #beingoriginal Hindi
read moreLakhnavi shayar 2.O
Unsplash कुछ ख्वाब चमन में पलकों की हम छोड़ के सोते हैं । एहसासों से मन का रिश्ता अब जोड़ के सोते हैं । पूछो न मेरे हमदम कितनी अब सर्द हिज़्र की राते हैं, इक कम्बल तेरी यादों की हम ओढ़ के सोते हैं । नीरज निश्चल ©Lakhnavi shayar 2.O #Book #शायरी #virel #कविता #रात #इश्क #प्यार #नीरज
Ram Prakash
White शीशे का जिस्म है पत्थरों के शहर में संभल कर चले तो अपनी ही जिंदगी से इश्क हो जाएगा ©Ram Prakash #GoodNight इश्क इश्क
#GoodNight इश्क इश्क
read moreRajesh Arora
........... ©Rajesh Arora आनलाइन इश्क हिंदी कॉमेडी फनी शायरी जोक्स हिंदी कॉमेडी
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read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White मन्नते मांगते मांगते मुकाम भी मिला तो दरिया के किनारे। जहां ज्वार भाटा तो आम बात,पीने को मिलता है खारा पानी और सोते हैं रेत के सहारे। ना हरियाली ना खुशहाली फिर भी शीतलता मिलती है,जल कण के सहारे। कोई हमें पुकारे या ना पुकारे लेकिन, हर पल हमें पुकारती हैं समंदर से उठती ज्वारें। हमें हर रात लोरी गा गा कर सुलाती हैं,आकाश की टिमटिमाती तारें। कितने खुश नसीब हैं हम कि, हर सुबह हम जगते हैं सूरज के किरणों के सहारे। हम भूल भी जाएं अपनी चारों दिशाएं,तो हमें दिशाओं की याद दिलाती हैं,समंदर से उठती हवाएं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र समंदर
समंदर
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