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Ankit Mehra
मैं लाख बुरा हूं बुरा ही सही मेरे अंदर अच्छाइयां ना सही मुझे पसंद है मेरे सिद्धांतों की जिंदगी लोगों को पसंद है उनकी सोच की बंदगी लोगों का क्या कुछ भी कहते रहेंगे मुझे तो अपने रंग में रहना पसंद है मुझे जिससे खुशी मिलती है वह काम पसंद है मुझे नहीं परवाह किसी की मेरी खुशियां बस मेरे अंदर हैं मैं आजाद परिंदा हूं , मैं बंदिश मैं नहीं हूं मैं अपने फैसलों का खुला हूं मैं किसी के कहने से नहीं रुका हूं लोगों का नजरिया एक दिन बता दूंगा उस घटिया सोच को मैं नमुद कर दूंगा अभी जो सोच बनानी है बना लो एक दिन तुम्हारी सोच छोटी कर दूंगा मैं फैसलों का इरादा करता हूं मैं अपने विचारों पर जिया करता हूं मैं भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं मैं उस साहस से दुनिया को बदलना चाहता हूं अच्छाइयां मत तलाशा करो मेरे अंदर बुरा हूं मुझे में ,बुराइयां है बस मेरे अंदर अच्छाइयां तुम देख नहीं पाओगे तुम्हारी सोच के हिसाब से बस आक़ पाओगे Poem by Ankit मैं लाख बुरा हूं बुरा ही सही मेरे अंदर अच्छाइयां ना सही मुझे पसंद है मेरे सिद्धांतों की जिंदगी लोगों को पसंद है उनकी सोच की बंदगी लोगों का
Sunil Meena
भोर का पंछी देख लिया ये जमाना आ अब तो कही दुर चले , दर्द भरी हैं जिंदगी आ अब तो कही आजाद चले , होती जहॉ उम्मीदे पुरी ,, आ अब तो लम्बी उडा़न भरे आजाद परिंदा
Narendra Sonkar
धन दौलत को बेचकर मैंने खुद को लिया खरीद जन्म मरण का चक्कर छूटा और फ़ौत हुई मुरीद ©Narendra Sonkar "आजाद परिंदा"
प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)
जिस तरफ भी ये इश्क निगाह कर गया,, महल हो या झोपड़ी सब तबाह कर गया #आजाद परिंदा
Pratibha Chaudhry (PC)
जो इंसान प्यार में हाथ पकड़ के जकड़ सकता है, यकीन मानिए वही शख्स वही इंसान इश्क में दगा पाने के बाद, झूठे प्यार को माफ करके आजाद परिंदे की तरह आजाद परिंदों के संग खुले आसमान में छोड़ भी सकता है।। plz dont copy 17-01-2022 ©প্রতিভা চৌধুরী (PC) आजाद परिंदा
Amit Saini
कर ले पूरी चाहते यू न देख नादान समय का पहिया है घूमेगा दिल खोल के उड़ जा ये वक्त बहुत बड़ा बलवान #Freedom आजाद परिंदा
Savita Nimesh
Freedom आज़ाद ख्यालों का एक परिंदा हवा में उड़ता जाए जितना ऊंचा उड़ता जाता उसके पंख कतर दिए जाए अपनी मर्जी करना चाहे बिना किसी को ठेस लगाए जब तक सबको मर्जी से वो लेता अपनी हर सांस तब तक भी उसे समझे ना कोई बस अपनी निकाले सब मन की आस सबकी सुनते सुनते अब वो खुद को भी भूल गया तब भी कोई कीमत न समझी उसकी इतना वो भी समझ गया अपने घर में मजदूरों सी हालत रही उसकी सबका मन रखते रखते वो भीतर से खुद मर गया अब उठा है फिर सोचा खुद को करना है फिर जिंदा फिर से उड़ जाना चाहता है आजाद ख्यालों का परिंदा ©Savita Nimesh #आजाद#परिंदा #Freedom
Meet
होश कि मिट्टी में कोई बेखुदी को बो गया देख के तुझे यू अपने रूबरू ये बंदा तुझी में खो गया 🫣🤗 ©Meet आजाद परिंदा 😎