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Rabindra Kumar Ram
" फिर कहाँ तेरी तलाश करते हम, मुहब्बत की बात थी और क्या बात करते हम, रेजा - रेजा ये एहसास आह भरता रहा, फकत तुम्हें इस बात का अदांजा ना हुआ. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर कहाँ तेरी तलाश करते हम, मुहब्बत की बात थी और क्या बात करते हम, रेजा - रेजा ये एहसास आह भरता रहा, फकत तुम्हें इस बात का अदांजा ना हु
... मोलिका
मां से कहना.. मुझे मंजूर है ये नायब तोहफ़ा उनका पहनूगी इसे दिवाली में आने वाले साल के..!! तू इनको पहन कर छूना मुझे, तेरे छूते ही तुझमें रेजा-रेजा हो जाऊंगा..!! 😌 खनके जो ये कंगन मेरी कलाई में मैं रोम रोम खुशियों से भर जाऊं..!! #
KHALID Hussain
कर के रेजा रेजा मेरे विरासत का वो खुश है इस हिन्द में इंसाफ़ कायम करने वाले बात हक़ की करते है बैठ कर अदालत में चन्द कागज़ के टुकड़ों पे बिक जाने वाले उफ़ ये मोहब्बत रेजा रेजा :: टुकड़ा टुकड़ा करना Black Day 6 December
Narendra Sonkar
परिचय का मोहताज नही है जो अपने पहचान का रेजा रेजा जर्रा जर्रा स्वर्ग है हिंदुस्तान का ©Narendra Sonkar "रेजा रेजा जर्रा जर्रा स्वर्ग है हिन्दुस्तान का"
Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav
🙏हिन्द के फौलाद भारत माँ के औलाद🙏 ------------------------------------- जीत तो हुई थी हिन्द के विरों की हार कि वजह तो हालात थे.. कैसे भुल जाऊ हजारों चीनीयों पे भारी 120 अहिरों के जमात थे.. वो कैसे पिछे मुड़ जाते साहब अपने वतन के जो बात थे.. शहीद होकर भी अपने कर्ज न भुले बंदूक पर ही हाथ थे.. वो चीन के अंगड़-खंगड़ नहीं हिन्दुस्तान के फौलाद थे.. डर जाए ऐसा हो नहीं सकता वो भारत माँ के औलाद थे.. उस रात को कैसे भुल जाऊ विरों ने दुश्मनों को दिये मात थे.. रेजांगला कि धरती हिन्द के विरों के लहु से रंगने वाले रात थे.. ..ई. एस.पी.यादव (अररिया, बिहार) ...7488686695... रेजांगला अहिर रेजिमेंट
Mohammad Arif (WordsOfArif)
नफ़रत की चिंगारी चारों तरफ कोहराम मचाया है कुछ अच्छे इंसान है मुल्क में जो धमाल मचाया है सियासत का बोलबाला ग़लत तरीके से हो रहा है एक दूसरे से लिपट कर इंसान यहां कमाल मचाया है सुख दुःख एक दूसरे का बांट लो मिलकर सब यहां यही धरती पर स्वर्ग है जो यहां इंसान बवाल मचाया है कह दो अपने आप से सब मिलजुल कर रहेंगे यहां क्यूं अपने चारों तरफ बड़ों लोगों से सवाल मचाया है दुखों का पहाड़ कम क्यूं नहीं होता है लोगों पर से रेजा रेजा दर्दो ग़म का मुझ पर अब जमाल मचाया है कैसे गरीब मजलूमों को देखकर आंखें बंद कर लूं आरिफ अन्दर तक दुखों का पहाड़ ज़लाल मचाया है नफ़रत की चिंगारी चारों तरफ कोहराम मचाया है कुछ अच्छे इंसान है मुल्क में जो धमाल मचाया है सियासत का बोलबाला ग़लत तरीके से हो रहा है एक दूसरे