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Das Sumit Malhotra Sheetal

पंखा चले तो हवा देता है, पंखा चले तो हवा देता है। इतनी गौर से क्या सुन रहे हो, हवा ही देगा, रसगुल्ले थोड़ी ना देगा।

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

Shayari तूने मुझसे*बुगज जोरो का पाल रखा है जबसे, मेरी*शोहरत को खुदा ने संभाल रखा है तबसे/१ *ईर्ष्या*प्रसिद्धि मेरी बुलंदी का चर्चा

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । #कविता

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दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।

पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१


मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

Shivkumar

mountain Mountains कविता ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो

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दूध नाथ वरुण

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच #कविता

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चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंच

Adesh K Arjun

#पानी

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Shivkumar

Dosti दोस्त Dostiforever दोस्ती शायरी भूलना चाहो तो भी याद हमारी आएगी , दिल की गहराई मे हमारी तस्वीर बस जाएगी । ढूढ

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे #कविता

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गीत:-
डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है ।
आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब ....

जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे दूर हों ।
जब शरण उनकी ठिकाना क्यों यहाँ मजबूर हों ।।
आस जिसने भी लगाई वो न खाली हाथ है ।
जो न माने आज इनको वो बड़ा नादान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब....

राम के ही भक्त है वह राम का ही नाम लें ।
राम के वह नाम बिन देखो न कोई काम लें ।।
राम का तू जाप कर ले राम ही आधार हैं ।
राम का ही नाम सुनकर खुश सदा हनुमान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब....

काम इस संसार में कोई हुआ ऐसा नही ।
दूत दानव दैत्य जो सुन नाम हनु कांपा नही ।।
व्यर्थ फिर चिंता तुम्हारी है सुनो संसार में ।
सब सफल ही काज होंगे जब कृपा हनुमान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब...

जानते हैं लोग भोलेनाथ के अवतार हैं ।
राम जी का काज करने को सदा तैयार हैं ।।
इस जगत में भक्त इनसा सुन जगत में है नही ।
राम का ही नित्य करते ये सदा गुणगान हैं ।।
डर नहीं इंसान तू अब ....

डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है ।
आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।।

२३/०४/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत:-
डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है ।
आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब ....

जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जन्मोत्सव हनुमान का , आया मंगलवार । चलो मनाएं हर्ष से , पावन ये त्यौहार ।। कलयुग के भगवान दो ,शानिदेव हनुमान । दोनों का पूजन करें , सभी #शायरी

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hanuman jayanti 2024 जन्मोत्सव हनुमान का , आया मंगलवार ।
चलो मनाएं हर्ष से , पावन ये त्यौहार ।।
कलयुग के भगवान दो ,शानिदेव हनुमान ।
दोनों का पूजन करें , सभी लगाकर ध्यान ।।
खुश होकर वर दे यही , जीवन हो उजियार ।
मंगल ही मंगल रहे , सुखी रहे परिवार ।।
राम-नाम प्यारा लगे , भजते हैं दिन रैन ।
बोले प्रभु का दास हूँ , भजकर मिलता चैन ।।
राम-नाम मिश्री यहां , चख ले जो इक बार ।
व्यंजन सब फीके लगे , चाहे चखो हजार ।।
हृदय चीर दिखला दिए , सियाराम का वास ।
ऐसे उनके भक्त थे,  कहते प्रभु का दास ।।
जन्म उसी का है सफल , ले जो प्रभु का नाम ।
राम-राम जप कर यहाँ , मिले सदा आराम ।।
मिट्टी का मानव यहाँ , मिट्टी से ही दूर ।
मिट्टी में मिलना उसे , फिर भी मद में चूर ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जन्मोत्सव हनुमान का , आया मंगलवार ।

चलो मनाएं हर्ष से , पावन ये त्यौहार ।।


कलयुग के भगवान दो ,शानिदेव हनुमान ।

दोनों का पूजन करें , सभी
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