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Rahul Raj Singh
कविता यहाँ डाली डाली देखो रंग बिरंगे पंक्षी हैं। कोई कहता खुद को क्षत्रिय कोई सूर्यवंशी हैं। जात पात का नाटक करके हमको बांट रहे हैं। देखो देखो मोरों को अब कौए काट रहे हैं। कोई बना के झुंड हैं बैठा गीदड़ को शेर बनाने। पैर हमारा हटा नही हैं और आ गए पैर जमाने। खूब लड़ी थी वर्षो तक भारत माता गोरों से। फिर अत्याचार बढ़ गया हैं आदमखोरों से। फिर मुंडो की माला पहन हे माता काली। एक न पापी बच पाए न बच पाए कोई निशानी। बिना फिकर के फैराये भारती अपना झंडा। न जाति पे हो लड़ाई न हो धर्म पर झगड़ा। राहुल राज सिंह डाली डाली देखो रंग बिरंगे पंक्षी हैं। कोई कहता क्षत्रिय कोई सूर्यवंशी हैं। जात पात का नाटक करके बांट रहे हैं। देखो मोरों को अब कौए काट रहे ह
Manju (Queen)
****ये कैसी हैवानियत है ***** क्यों समाज हमारा बहरा है नारी भी मनुष्य है क्या उसे सम्मान से जीने का हक नहीं क्यों तुम मनुष्यता के स्तर से नीचे गीर चुके हो एक तरफ कन्या पूजन ,लक्ष्मी पूजन दूजी तरफ कन्या ओ लक्ष्मी का मान मर्दन करते हो सरे बाजार क्यों सुरक्षित नहीं है नारी गलियों से गुजरते हुए सहम जाती है बेचारी बातें करते हैं समानता की क्यों नहीं उतरती ये बातें धरातल पर मान के बदले मान औ जीवन के बदले जीवन नारी कोई वस्तु नहीं प्रकृति की सौगात है हर रूप में ईश्वर का वरदान है लगता है ऐसे हैवानो के लिये नारी को काली रूप धरना होगा समाज में बसे रक्त बीजों के लिये खडग - खप्पर उठाना होगा न्याय की गुहार नहीं न्याय स्वयं पाना होगा पग - पग पर बसे चंड - मुंडों का सर्वनाश कर समाज को स्वच्छ बनाना होगा नारी कोमल है कमजोर नहीं ममतामयी है पर निर्बल नहीं जन्म देकर जीवन का वरदान दे सकती है तो अपने मान के लिये मृत्यू का तांडव भी दिखाना होगा मान को मोमबत्तियों की चिंगारी में कब तक पिघलाओगे क्यों चीख पुकार सुन कर भी अंधे - बहरे बन जाते हो समय पर क्यों कोई कदम नहीं उठाते हर घर में एक नारी है ये क्यों भूल जाते हो आज किसी और की हो सकता है कल तुम्हारे घर की नारी हो सोचो - विचारो वरना पूरा हिन्द इस आग में जलेगा ओ कल सारी धरा नारी विहीन हो तो ...................... #nirbhaya#priyankareddy#mythought#womanpower#nojotohindi#nojotoqueen ****ये कैसी हैवानियत है ***** क्यों समाज हमारा बहरा है नारी भी मनुष्य
DOLAT SUTHAR MOTYAR
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ, सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ । सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में आज