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Deep isq Shayri #lover
जिंदगी is tarah se उलझती ja rahi , jaise universe ki entropy badhti ja rahi , mujhe pata hai jindigi irreversible hai , जरूरत se jyada sensible hai , tum krogi duwa to koi deficiency na hogi , जिदंगी के मोटर की kam kabhi efficiency na होगीं, .... thermodynmical shayri by ©Deep N Maurya Iitdelhi #City मेरठ
Amit Saini
यह सारे लोग बिल्कुल बेखबर है आता नहीं नजर तुम्हारे सिवा तुमको भी ये खबर है अंदाज ए बयां कर दो इश्क ए मोहब्बत का हमें भी तुम्हारे दिल की फिकर है #1.12.2019 मेरठ
नेहा उदय भान गुप्ता
जब अकेली होती हूं मां, जब अंधेरा होता है मां। उन भूतों से डर नहीं लगता, जो बचपन में कहानियां सुनी थी, मां मुझे उन हैवानों से डर लगता है, जो हमारे ही बीच में पलते है, जो हमारे ही बीच रहते है, अच्छाई का मुखौटा पहने, मां मुझे उन दरिंदो से डर लगता है। मैं आज भले ही बड़ी हो गई मां, पर मुझे अब और भी डर लगता है, मां मुझे बहुत डर लगता है, बहन बेटियों की इज्ज़त के, लुटेरों से बहुत डर लगता है मां..... मां मैं बेटी क्यों हूं..... क्या बेटियों को केवल दर्द और डर मिलता है...!!! अखंड आर्यावर्त
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
जब अकेली होती हूं मां, जब अंधेरा होता है मां। उन भूतों से डर नहीं लगता, जो बचपन में कहानियां सुनी थी, मां मुझे उन हैवानों से डर लगता है, जो हमारे ही बीच में पलते है, जो हमारे ही बीच रहते है, अच्छाई का मुखौटा पहने, मां मुझे उन दरिंदो से डर लगता है। मैं आज भले ही बड़ी हो गई मां, पर मुझे अब और भी डर लगता है, मां मुझे बहुत डर लगता है, बहन बेटियों की इज्ज़त के, लुटेरों से बहुत डर लगता है मां..... मां मैं बेटी क्यों हूं..... क्या बेटियों को केवल दर्द और डर मिलता है...!!! अखंड आर्यावर्त
Kavi Kapil
कुछ पन्ने फटे देखें मैंने "किताब" से सोचा,कैसे जिया होगा वो बिछड़ कर "यार"से कवि कपिल मेरठ #कवि कपिल #मेरठ
Kavi Kapil
अनुभव का मूल्य कुछ खो कर ही दिया जा सकता है! ©Kavi Kapil कवि कपिल !मेरठ!!
Kavi Kapil
""""""""""""""""""""""""""''"""""""""""" सोच ही सोच में ,सोचते रह गये ! दिल में रखा तुम्हें। पूजते रह गये !!:::१। सारी व्याकुलता जलकर ,कुन्दन बनी रह गई ! सारे मौसम अधुरे से "तुझ" बिन रह गये ! दिल में रखा तुम्हें पूजते रह गये !!:::२ विरह में लिपटे पथरीले पथ पर, मध्य मरूस्थल में "हम" बस खडे रह गये ! सोच ही सोच में, सोचते रह गये ! दिल में रखा तुम्हें पूजते रह गये::::३ धुंधली सी पड़ने लगी, आंख में तस्वीर भी, बीते लम्हे गड़े के गड़े रह गये ! दिल में रखा तुम्हें पूजते रह गये:::::४। आहिस्ता आहिस्ता जख्म भरने तो लगे, जाते जाते मगर कुछ "निशा"रह गये ! सोच ही सोच में सोचते रह गये ! दिल में रखा तुम्हें पूजते रह गये !!::::::५ ================ कवि कपिल मेरठ ©Kavi Kapil #कवि कपिल #मेरठ