Find the Latest Status about माशाल्लाह की स्पेलिंग from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, माशाल्लाह की स्पेलिंग.
Satish Chandra
मैं उसकी आँखों को पढ़ तो लेता पर उसके सुर्ख होठों से नज़र ही न हटी मैं उसकी जुल्फों को सहला तो देता पर उसके गुलाबी गाल से नज़र ही न हटी मैं उसे गले से लगा तो लेता पर उसकी मुस्कुराहट से नज़र ही न हटी मैं उससे इश्क़ फरमा तो लेता पर उसकी अदाओं से नज़र ही न हटी। वो इतनी माशाल्लाह,की नज़र ही न हटी इजहार-ए-इश्क़ करें भी तो कैसे! #नज़र #इश्क़ #sattymuses #yqdidi #yqbaba
Meera Bai
(VरेN) Viren
माशाल्लाह, बड़ी ग़ज़ब हैं वो, कहाँ आख़िर किसी से डरती हैं। क़ायनात ख़ामोश हो जाती है, जब उनकी आँखें बात करती हैं। 🌹VरेN🌹 माशाल्लाह, बड़ी ग़ज़ब हैं वो, कहाँ आख़िर किसी से डरती हैं। क़ायनात ख़ामोश हो जाती है, जब उनकी आँखें बात करती हैं। 🌹VरेN🌹
Kamaal Husain
Adaab Arz Hai Mere Alfaaz Aapki Nazar Dedicating a #testimonial to Hayaat Usman बहुत खूब लिखते हैं आप माशाल्लाह ऐसे ही गजलों को अपने जज्बातों के सागर में डुबो के लिखते रहिए 👍👌💐🙏
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त