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theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_quotes हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मे

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White कहाँ हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती,
जो मेरे दिल की बेचैनी में, सांसों को जीवन देती।

कहाँ हो तुम?
कैसे तुम्हें आवाज़ दूँ, जो आकर इस तन्हाई को मिटाती,
जो मेरे सूने लम्हों को, उम्मीदों से रंग देती।

कहाँ हो तुम?
कितना कुछ कहना था तुझसे, जो मेरे ख्वाबों को हकीकत बनाती,
तुम होती, तो मैं पूरा होता, अगर तुम मेरे साथ होती।

कहाँ हो तुम?
तुम्हारी गैरमौजूदगी में सब अधूरा सा लगता है,
जो इस वीराने दिल को, फिर से धड़कन देती,
जो मेरे टूटे अरमानों को नई रौशनी देती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे साथ होकर इस अधूरे इश्क़ को पूरा करती,
जो मेरे वीरान सफर को, मोहब्बत का नया गीत गाती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 

 हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मे

theABHAYSINGH_BIPIN

#Mountains लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने, टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने। जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं, उसे फिर से पान

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लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने,
टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने।
जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं,
उसे फिर से पाने की कोशिश की मैंने।

बिखरे तिनकों को संभालकर जोड़ा,
हर हंसी को लौटाने की कोशिश की मैंने।
पल-पल में छुपी हर खुशी को महसूस कर,
मुस्कुराहटें जगाने की कोशिश की मैंने।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Mountains 
लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने,
टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने।
जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं,
उसे फिर से पान

theABHAYSINGH_BIPIN

#erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग

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उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर,
इस सर्द दिसंबर को जून कर दो।
लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर,
मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो।

जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर,
तेरे अंगों की महक में बिखेर दो।
मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर,
इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो।

भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में,
तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो।
कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही,
अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो।

हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब,
तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो।
हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को,
मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #erotica 

उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर,
इस सर्द दिसंबर को जून कर दो।
लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर,
मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर

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दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे,
अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है।

मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेरे,
अब ये रौशनी भी कुछ धुंधली सी लगती है।

कभी जो  जुदा हो गईं थीं तमन्नाएँ ए नवनीत,
अब वो पूरी हुईं तो कुछ अधुरी सी लगती है।

मंज़िल तक पहुँचने की ख़ुशी भी अब ग़म के साए में,
अब ये बहार भी कुछ कटीली सी लगती है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे,
अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है।

मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर

s गोल्डी

पहन ही लो तुम मेरी मोहब्बत का स्वेटर,,, कही मेरे ख्वाबों को ठंड ना लग जाए... बहक ना जाए कहीं, कमबख्त इस चाय की नीयत,,, तुम बार बार, यूं देर

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Unsplash पहन ही लो तुम मेरी मोहब्बत का
स्वेटर,,,
कही मेरे ख्वाबों को ठंड ना लग जाए...
बहक ना जाए कहीं, कमबख्त इस चाय  की नीयत,,,
तुम बार बार, यूं देर तक,,,
भाप बन कर मुझे यूं गले से ना लगाया करो...!!❤️❤️

©s गोल्डी पहन ही लो तुम मेरी मोहब्बत का
स्वेटर,,,
कही मेरे ख्वाबों को ठंड ना लग जाए...
बहक ना जाए कहीं, कमबख्त इस चाय  की नीयत,,,
तुम बार बार, यूं देर

आधुनिक कवयित्री

ख्वाबों के बाहर........

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नवनीत ठाकुर

तुझमें डूबे ख्वाबों का ये सिलसिला, मेरे हर ख़याल को तेरा रंग मिला। खुदा ने जैसे मेरी दुआओं को कबूल किया।

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तुझमें डूबे ख्वाबों का ये सिलसिला,
मेरे हर ख़याल को तेरा रंग मिला।
तुझसे बढ़कर न कोई ख्वाब मिला,
मेरे सवालों को जैसे नया हिसाब मिला।।

तेरी आँखों के जादू ने कैसा असर किया,
खुदा ने जैसे मेरी दुआओं को कबूल किया।
तेरी बाहों में आकर ये जाना मैंने,
जिंदगी को जीने का असल मक़सद मिला।।

©नवनीत ठाकुर तुझमें डूबे ख्वाबों का ये सिलसिला,
मेरे हर ख़याल को तेरा रंग मिला।
खुदा ने जैसे मेरी दुआओं को कबूल किया।

Parasram Arora

कहने को.....

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White कहने को तों ये आज़ादी  हैँ 
लेकिन मुंह से निकले हर अख़फ़ाज़ पर पहरा हैँ

किसको अपने मन की बात कहें यहां सुनता कौन हैँ?
यहां तों कुर्सी पर बैठा हर हाकीम बहरा हैँ

©Parasram Arora कहने को.....
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