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नवनीत ठाकुर
आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, आवाज कहीं असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते, खुद से मिलने की खबर नहीं लाती। किससे कहें ये दिल के किस्से, कोई सुनता है पर नहीं सुन पाती। आरज़ू और भी बढ़ती जाती है, मगर मंज़िल की कोई खबर नहीं आती। हर लम्हा ठहर-सा जाता है, जैसे सांस चलती, मगर नहीं आती। किसी मोड़ पर शायद जवाब मिले, पर सवालों की गूंज थम नहीं पाती। हमने खुद को भुला दिया है यहां, और जिंदगी ये समझ नहीं पाती। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, कहीं आवाज असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते,
#नवनीतठाकुर आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, कहीं आवाज असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते,
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White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते। चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ, जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते। गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह, जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते। राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे, ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते। मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना, मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
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White जहाँ थम गई है ये दुनिया सारी, हम वहाँ से एक नया सफर बनाएंगे। खुदा के करम से ऐसी उड़ान होगी, आसमां के पार निशां छोड़ आएंगे। तेरे सवालों का जवाब देंगे वक्त से, आज नहीं तो कल तुझे दिखाएंगे। हमारे ख्वाब और इरादे इतने बुलंद, कि हर सितारे को छूकर आएंगे। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जहाँ थम गई है ये दुनिया सारी, हम वहाँ से एक नया सफर बनाएंगे। खुदा के करम से ऐसी उड़ान होगी, आसमां के पार निशां छोड़ आएंगे। तेर
#नवनीतठाकुर जहाँ थम गई है ये दुनिया सारी, हम वहाँ से एक नया सफर बनाएंगे। खुदा के करम से ऐसी उड़ान होगी, आसमां के पार निशां छोड़ आएंगे। तेर
read moreArjun Singh Rathoud #Gwalior City
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
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