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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
आजकल मेरा हर दिन रहता मनउदास है जो मेरे मन में थे वो ही नहीं मेरे पास है हर सुख दुःख में देते सदा साथ थे सारी उम्र बिता दी ख़ुश रहें सब बस यहीं अखियों में आस थीं सारी खुशियां लाकर देते थे जब तक अंतिम सांस में सांस थीं सांस ली अंतिम फ़िर भी उनके आंखो में जानें किसी की तलाश थी इसी समय कों देख कर सोचती रहती अब आशीष के रूप में जो मिला है वो ख़ुशी दी है वो मिले हमें वो आज मिल रही हैं जिनकी आपको आस थीं वो तो मिल जायेगी पर आप नहीं मेरे पास है यहीं सोच सोच कर तड़प उठता है मन सब कुछ होते हुए भी नहीं मेरे ख़ास है आजकल मेरा हर दिन रहता मन उदास हैं जो मेरे मन में थे वो ही नहीं मेरे पास है ©Chandrawati Murlidhar Sharma आजकल मन उदास#कविता#nojoto #standAlone
sanju पहाड़ी
कभी-कभी उदासी भरे मन को भी कुछ तालीम देकर मनाना पड़ता है # उदास मन 😒 ©sanju पहाड़ी # उदास मन
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
मन मेरा आज साखी बहुत ही उदास है उजाले को भी आज अंधेरे की प्यास है जाने कौन से मोड़ पर हम आ गये है? मंजिल पास होकर भी दूर की घास है किसे में दोष दू?कैसे खुद को होश दूं? आजकल पानी से भी लग रही आग है बेचारे सांप तो यूँ ही हो रहे बदनाम है इंसानी भेष में छिपे हुए असल नाग है जितना मधुर कोई इंसान बोलता है, उतना मधुर तो शहद भी न बोलता है, मीठे से ज़्यादा शुगर हुई बोली ख़ास है मन मेरा आज साखी बहुत ही उदास है जिधर देखूं उधर बिन मानवता की राख है सब सोच रहे बस अपने स्वार्थ की बात है सूर्य से निकल रही आज रोशनी खराब है अपना ही लहूं दिखा रहा आज आंख है मन मेरा आज साखी बहुत ही उदास है हर तरफ खो रही रिश्तों में शर्म-लाज है फिर भी हमे करना साखी बड़ा प्रकाश है हम टूटे आईने के अक्स बड़े ही खराब है जो चीज ये ज़माना नही देख सकता है, वो कवियों के जेहन में करता आवाज है देती है हमे प्ररेणा दुःख की घनी लहरें, उठो मिटाओ तुम तम का घना राज है गगन में उड़ो बनकर तुम उन्मुक्त बाज है जीत लो दुनिया,बचो लो तुम इंसानियत, तुम्हारे पास सच का बहुत बड़ा परवाज है हर रिश्ते में बजा दो अच्छाई की साज है न रहेगा कभी किसी साखी का दिल उदास है हंसेगा जग दरिया मे,चिल्लायेगा अब स्वराज है दिल से विजय उदास मन
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
मत हो उदास तू रे मन बाकी है बहुत जीवन उठ खड़ा हो,भी जा, मत लड़खड़ा रे तू तन छोड़ भी दे रे तू नींद, मत बना इसे तू सौतन मत हो उदास तू रे मन बाकी है बहुत चमन बुरी सोच का कुचल फन अपने को बना स्वस्थ जन नकारात्मक भावों का, कर भी दे अब तू दमन मत हो उदास तू रे मन छूना है अभी तुझे गगन श्रम की बजा तू ऐसी बंशी सूर्य की स्वर्ण रश्मि हो जैसी झूम उठे, पत्ता-पत्ता डाली ये उपवन मत हो उदास रे तू मन, अभी खिलाना है,सुमन तू कर्म कर,किसी से न डर फिर पायेगा मंजिल का बदन उससे पहले जला दूषित मन, नई उषा का ले ले तू यौवन जुट जा लक्ष्य में, भूल जा पश्च में क्या खोया धन बदलेगी उदासी भी हंसी में, तू खिलखला एकबार रे मन दिल से विजय उदास मन
Jupiter and its moon
आंखों में ये मंज़र क्या है? दिल में छुपा समंदर क्या है? रहता है ख़ामोश सा हरदम ! आख़िर तेरे अंदर क्या है? ©Jupiter and it's moon....(प्रतिमा तिवारी) उदास मन!
Ankita Kushwaha
सुनो, मेरी उदासी आज मन उदास है फिर, जब याद तुम्हारी आयी हैं.. उजड़ गई है दिल की बगिया गुलशन में खामोशी छाई है.. शाखों से टूटे हो पत्ते जेैसी ये जुदाई हैं... आंखों में आंसू है जब से मिली ये तन्हाई है.. नहीं है आई लव हंसी जब से दूरियां तुमने बढ़ाई हैं.. मिले थे जब तुम मिली थी खुशियां खिल के कली ये मुरझाई है| उदास मन