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Rajkumar Siwachiya
White पापिया का पापी तनै बना दिया साफी छवि तासीर तेरी छोरी गंगा पानी बरगी तेरय बैठ बैठ पास मिलय सुकून मनै खास तू डिटो बिल्कुल मेरी दादी आली कहानी बरगी ✨👩❤️👨✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya दादी आली कहानी बरगी ✨👩❤️👨✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #Romantic #rajkumarsiwachiya #oyedesi #haryanvi #haryana #loharu #bhiwani #Jhum
Dev Rishi
शीर्षक - दादी का जाना...... घर खाली हो जाना बेरंग सी रौनक घर कर जाना घर आंगन दरवाजे पर कोई न आना उनका जाना मेरी खुशीयों का मरण हां याद आज भी है उनकी गोद में सो जाना शाम में स्कूल से लौटकर जब कभी भी आना मेरे हाथों में खाने का खज़ाना खुद ब खुद मिल जाना हां दादी का जाना, मां को घर से बाहर काम को जाना कभी कह न पाएं हम से , पापा को हर दिन उनकी कमी खलना दादी का जाना मेरा बचपना इसी धुंध में खो जाना दादी का जाना... मेरा सब कुछ लुट जाना...... ©Dev Rishi #दादी का जाना....सब कुछ लुट जाना
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल.... जो मुझमे थे सदा समाहित, वो संस्कार हमारे । लेकिन इस युग में है देखा , होते वारे न्यारे ।। अब कहाँ ज्ञान दादा-दादी से , पोता वो ले पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... ट्रेड ट्रेड में बदल गई है , देखो दुनिया सारी । अब तो सब ही माँग रहे हैं , पुस्तक हो व्यापारी ।। काल खण्ड़ की वो बातें अब , कौन यहाँ सुन पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... हानि-लाभ की बातें करते, देखो छोटे बच्चे । इसी आयु में हम आप कभी , थे तो दिल के सच्चे ।। लेकिन दुनिया बदल रही है , गौर न तू कर पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में .... आज पुनः जीवित हो जाये , वो संस्कार हमारे । उठना सोना खाना पीना , वो व्यवहार हमारे ।। जिसे देख जीवन मेरा यह ,धन्य पुनः हो जाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल ...। तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। २७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल....
Deepesh Hindustani
Shaarang Deepak
vidushi MISHRA
आपका होना अहम था हमारे लिए और अब कहती हूंँ तो सब कहते हैं कि वहम हैं तुम्हारा अब आप नहीं सिर्फ बातें हैं आपकी पर मैं जानती हूंँ आज भी आप यही हैं हैं ना..... ©vidushi MISHRA दादी-बाबा