Find the Latest Status about नव वर्ष कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नव वर्ष कविता.
Ajay Kumar Mishra
*सूर्य अस्त के साथ आज 2022 भी अस्त हो जाएगा।* *घनघोर निशा के आंचल में बैठ सूर्य अपने कथनी करनी का अवलोकन क्या कर पाएगा।?* *कल के मधुमय किरणों में 2023 भी आ जाएगा।* *नव पल्लव और नव पराग पर अपने कृत्यों के प्रतिफल रूपी तुसार को कब तक भानु हटाएगा?* *धरा का बहुत सारा कोना अधेरा है,क्या अरुण हर कोने पर नव वर्ष का मधुमय प्रकाश फैलाएगा।* *मही के अंक में बैठे सभी खग मृग जड़ चेतन ,गहन और व्योम में विचरित सभी खेचर पर भी क्या अपनी किरणों को फैलाएगा।* *या प्रकाश पुंज की पोषक अमृत से पूरे प्रकृति को नहलाएगा?।* *या नव वर्ष के प्रति क्षण में मधुमय आनंद भी लाएगा?।* *या भास्कर अपनी तपती किरणों से पुनः इतिहास बनाएगा।?* *चलो उलाहना बहुत दिया हमने,कल की बहुत चिंता किया हमने, डरो मत,लड़ो मत, एकमत रहो,यह 2022 नही 2023 है यारों,कल जैसा भी बीता 2022 बीता ,कल से 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं।।* *डॉ.अजय कुमार मिश्र* (उपाध्यक्ष) *राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ* सिद्धार्थ विश्वविद्यालय इकाई ©Ajay Kumar Mishra नव वर्ष
नव वर्ष #कविता
read moreअदृश्य रंग
आया है साल नया बदलने को, लाया है कुछ नया सीखाने को। सोचो शुरूवात नई करना क्या है? बुराइयां हमे छोडना क्या है । भूल सारी अपनी विफलता को, कदम नया बड़ा अपना पाने सफलता को। चिंता,हताशा को अलग कर स्वयम से, अब मुस्कान को पहन जी ले प्रेम से। *नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻*😊 ©अदृश्य रंग # नव वर्ष
# नव वर्ष #कविता
read moregungun Satya yaduvanshi
मेरा नव वर्ष हिंदू नव वर्ष है हम हिंदू हैं भाई हमारे लिए 1-1-2023 सिर्फ और सिर्फ कैलेंडर बदला है साल नहीं और हमारा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पर्व को मनाया जाता है तो आप सभी से विनम्र निवेदन यह है कि मुझे 2023 की बधाई देख कर अपना मूर्खता का परिचय ना दें कैलेंडर बदले धर्म सभ्यता संस्कृति ना बदलें 🙏🙏🙏 ©gungun Satya yaduvanshi हिंदू नव वर्ष
हिंदू नव वर्ष #Shayari
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
शीर्षक- नव वर्ष लो फिर आ गया है नव वर्ष, दौड़ता हुआ संकल्पों की गर्द से ढका। पहाड़ी प्रदेशों में भेड़ चराता हुआ, सड़क किनारे टुकड़े लोहे प्लास्टिक के चुनता। भीड़ भरे चौराहे पर वाहनों की रेलमपेल में कटोरी थामें, चंद सिक्कों की खनक से मुस्काता। लो फिर आ गया है नव वर्ष, आंखों में जीजिविषा भरे मेहनत से सरोकार साइकिल रिक्शा पर पसीने से लथपथ पैडल मारता। पतासी के ठेले पर जीरा नमक संग अपनी जठराग्नि से लड़ता। लो फिर आ गया है नव वर्ष, खेतों की मेड़ों से, हरी दूब पर पूस की ठंड से विकल, टखनों तक पानी में डूबा। उम्मीद को पगड़ी में बांधे, रात गठरी सा ठिठुरता। लो फिर आ गया है नव वर्ष, दृढ़ निश्चय, कृत संकल्पित हो। कुछ वादे, कुछ इरादे थामें। कच्ची बस्ती से होता हुआ, मध्यम वर्ग के गलियारों से निकलकर सरकारी भवनों में। डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदमपुरा,जयपुर, राजस्थान। ©Dr. Bhagwan Sahay Meena नव वर्ष 2024
नव वर्ष 2024 #कविता
read more