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anamika
बिगड़ी बात फिर बन जायेगी हौसलों से कहो मायूस न हो रात विषाद की ढल जायेगी ©anamika #विषाद
मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
भावनाओं के अतिरेक मे किये गये निर्णय जीवनभर मन का विषाद देते हैं। ©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak) #विषाद
river_of_thoughts
बसंत की बुखार से तपी हड्डियाँ थर्रा उठीं। उसे याद था, शिशिर की मौत की खबर सुनकर वृद्ध एकदम ठिठक गया था, जैसे पेड़ की ठूँठ पर एकाएक बिजली गिरती है। सदा की सहेली इंदु चिल्लाकर रो पड़ी थी और वह स्वयं पागल हो उठा था। भोला हत्बुद्धि देख रहा था, किंतु बूढ़ा ? उफ ! जैसे सदमा दरार पाकर हृदय में उतर गया था। उस दिन नींद में से चौंककर वृद्ध पहली बार भयंकरता से हँसा था। अपने बेटे का खून सुनकर हँसा था। ....... टूक टूक होते कलेजे की चटक पर हँसा था। अरे, वह गरीब अपनी अंतिम थाती को लुटते देख हँसा था? उसकी हँसी जैसे सालों की भीषण गुलामी का भयानक हाहाकार थी! #विषाद मठ #coronavirus #vishaad_math #raangey_raghav
kumar __Ashu
#OpenPoetry ईश्वर सबकी व्यथा सुनता है, सब दुनिया से निराश होकर उसके पास जाते है, दुखान्त सुनाने मगर जब ईश्वर ने मानवीय रूप लिया होगा तो पायी होंगी मानवीय संवेदना भावना सुख दुख सब कुछ और वही दुखान्त वही विषाद वही व्यथा मगर ईश्वर किन्हें सुनाता ? समाज की नजरों में वो मुक्त हो चुका है दुख से , विषाद से, मोह से , चाह से, मगर मानता है समाज कि ईश्वर प्रसन्न होते है, क्रोधित होते हैं, प्रभावित भी होते है, इन सब से देते हैं वो आशीर्वाद, श्राप, वरदान पर कभी दुखी नही हो सकते ? क्योंकि दुखी व्यक्ति क्या दे सकता है ? शायद इसीलिए नही होते कभी दुखी ? और कभी हो भी जाये, तो कौन समझता, सब सुनते है बाँसुरी की धुन जो सबको मोह लेती है, और इस तरह ईश्वर अपनी पीड़ा, दुख, विषाद से भी दुसरों के लिए चुनता है सुख, और बना रहता है दुख से मुक्त समाज की नज़रों में, और ऐसे बनती है बाँसुरी सबसे करीब उसके !!! #OpenPoetry
kumar __Ashu
ईश्वर सबकी व्यथा सुनता है, सब दुनिया से निराश होकर उसके पास जाते है, दुखान्त सुनाने मगर जब ईश्वर ने मानवीय रूप लिया होगा तो पायी होंगी मानवीय संवेदना भावना सुख दुख सब कुछ और वही दुखान्त वही विषाद वही व्यथा मगर ईश्वर किन्हें सुनाता ? समाज की नजरों में वो मुक्त हो चुका है दुख से , विषाद से, मोह से , चाह से, मगर मानता है समाज कि ईश्वर प्रसन्न होते है, क्रोधित होते हैं, प्रभावित भी होते है, इन सब से देते हैं वो आशीर्वाद, श्राप, वरदान पर कभी दुखी नही हो सकते ? क्योंकि दुखी व्यक्ति क्या दे सकता है ? शायद इसीलिए नही होते कभी दुखी ? और कभी हो भी जाये, तो कौन समझता, सब सुनते है बाँसुरी की धुन जो सबको मोह लेती है, और इस तरह ईश्वर अपनी पीड़ा, दुख, विषाद से भी दुसरों के लिए चुनता है सुख, और बना रहता है दुख से मुक्त समाज की नज़रों में, और ऐसे बनती है बाँसुरी सबसे करीब उसके !!! #nojoto #love #ashu #mythoughts #mypen #nostalgia
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