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SHIVA KANT(Shayar)

SHIVA KANT(Shayar)

SHIVA KANT(Shayar)

Deepak Kanoujia

फ़क़त “फरीदा” जी जन्मदिन की बहोत बहोत बधाई...फरीदा जी के फरीदाबाद में बहोत सारे फार्महाउस हों जहाँ बहोत सारे फ्लावर हों...God Blss You... आपका एक गिफ्ट Spotify पर मेरे Podcast पर है और दूसरा लखनऊ चौक पर दीपक मिश्रा से मक्खन मलाई जब चाहे जितनी चाहे खा सकती हैं आप...पैसे उसे हम दे देंगे जब अबकी बार आएंगे लखनऊ, वैसे वो लेगा भी नहीं आपसे, एक ही नामराशि का कुछ फायदा मिलेगा ...हम कितने भाग्यशाली हैं न कि हमारा नाम मक्खन मलाई वाले के नाम पर है... #deepakkanoujia #modishtro #pradhunik #bodhitree #abodh #मन #अवरुद्धमन

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एक मन अवरुद्ध सा
प्रेम से परिपूर्ण परिशुद्ध सा...

कभी द्विपंक्तिय दोहे सा
तो कभी 5 7 5 हाइकू सा,
कभी बहोत विशेष सा
तो कभी बस यूँ ही सा...

"फकत" कुछ कहना 
चाहता हो,
"फकत" ख़ामोश रहना 
चाहता हो…

"अबोध मन" ये
कभी दे जाए बोध बोधिवृक्ष सा,
अबोध होना होता है अच्छा
बोध होना दे जाता है दुःख सा…

एक मन अवरुद्ध सा
कभी ठहरा संजीदा सा
कभी गूंजा किसी लतीफ़े सा
एक मन अवरुद्ध सा… फ़क़त “फरीदा” जी जन्मदिन की बहोत बहोत बधाई...फरीदा जी के फरीदाबाद में बहोत सारे फार्महाउस हों जहाँ बहोत सारे फ्लावर हों...God Blss You...

आपका एक गिफ्ट Spotify पर मेरे Podcast पर है और दूसरा लखनऊ चौक पर दीपक मिश्रा से मक्खन मलाई जब चाहे जितनी चाहे खा सकती हैं आप...पैसे उसे हम दे देंगे जब अबकी बार आएंगे लखनऊ, वैसे वो लेगा भी नहीं आपसे, एक ही नामराशि का कुछ फायदा मिलेगा ...हम कितने भाग्यशाली हैं न कि हमारा नाम मक्खन मलाई वाले के नाम पर है... 

#deepakkanoujia #modishtro #pradhunik 
#bodhitree #abodh #मन #अवरुद्धमन

Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz)

तुम चुप क्यों हो , अबोध हो क्या ,
तुम्हारी खामोशी से लगता है 
कोई टूटा ख्वाब हो क्या ,,
तुम यूं सर झुकाए क्यू खड़ी हो ,
कोई हुई खता है क्या ,
तुम इन पंछियों की तरह खुले आसमान में 
उड़ती क्यों नही हो ,
बेड़ियों में बंधी हो क्या,,
हर रोज तो उतारती हो कर्ज सबका ,
कोई बिन बुलाए मेहमान हो क्या,
क्यों कोशती हो हर दिन खुद को ,
सबकी अकेली जिम्मेवार हो क्या,
यूं खामोश निगाहों से सपनों को
 टूटते हर दिन देखना ,
तुम कोई गुनहगार हो क्या ।
तुम चुप क्यों हो अबोध हो क्या ,
क्यों सभी के सवालों का जवाब तुम ही दो ,
तुम कोई जवाब की किताब हो क्या ,,
क्यों हर रंग में तुम्हे ढलना पढ़ता है,
तुम सफेद रंग की कोई मिशाल हो क्या ,
तुम चुप क्यों हो अबोध हो क्या ।।।।

©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #Naari#chup#kyu#ho#abodh#ho#kya#mynewpoetry#deeplines.

#Mic

NIVEDITA PATNI

Rashmirathi ke तृतीय सर्ग का एक और अंश!! #poem #Hindi #kavita #Dinkar #RASHMIRATHI #kavitayen #abodh #Stories #India #sahitya #समाज

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