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@thewriterVDS
"कबीर" चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये । दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए । भावार्थ: चलती चक्की को देखकर कबीर दास जी के आँसू निकल आते हैं और वो कहते हैं कि चक्की के पाटों के बीच में कुछ साबुत नहीं बचता। . ©@thewriterVDS #कबीर #चलती #चक्की #देख #के #दिया #रोये #साबुत #बचा #BhaagChalo
Anupama Jha
देकर आयी थी अपने कुछ ख्वाबों को चाँद पर चक्की पीसती उस बुढ़िया को वापस लेना है,अपना वो ख़्वाब,उससे इससे पहले कि वो पीस डाले उन्हें और बिखेर दे जमीं पर और मैं समेटती रह जाऊं अपने टूटे ख्वाबों को, मुझे छूना है, आसमान को और मुझे चाँद से बातें करनी है..... #आसमान_के_तारे #चक्की #बुढ़िया #yqdidi
LOL
ये माना कि दरमियां अभी तल्खियां बहुत हैं मिलने को मगर लफ्ज़ों की कश्तियां बहुत हैं मैं गुड़ सा मीठा तो नहीं फिर भी ना जाने क्यों आस-पास भिन-भिनाती हुई मक्खियां बहुत हैं भूख की बे-कसी उस शख़्स से पूछ लेना जिसके लिए एक-दो बासी रोटियां बहुत हैं ख़्वाबों की लुकाठी सुलगाएंगे जब कोई राह ना बचेगी अभी जलने-जलाने को नफरत की लकड़ियां बहुत हैं वो चूरा कर देता है सारी उम्मीदें पलक झपकते ही उसके पास ख़्वाब पीसने वाली चक्कियां बहुत हैं ©KaushalAlmora SOD: कैसे भूलेगी मेरा नाम{euphoria} #तल्खियां #रोजकाडोजwithkaushalalmora #kaushalalmora #yqdidi #yqbaba #मख्खियां #चक्की
Suneel George
इस छोटी सी उम्र ने, न जाने क्या-क्या देखा है... जो नहीं देखना था, न चाहते भी इन बंद आंखों ने वो सब कुछ देखा है... सुनील वो मंजर बस इतना समझ लो.. बक्त की चक्की में मोहब्बत के नाम पर ज़िन्दगियों को पिसते देखा है..✍️ ©Suneel George न जाने क्या-क्या देखा है..✍️ #बक्त #जिंदगी #चक्की #पिसना #मंजर #मोहब्बत #मंजर #Hopeless
Vijay Srivastava
चक्की के दो पाटो के बिच अनाज इसलिए पिस जाता है क्योंकि ऊपर वाले पाटे को घूमने की स्वत्रंता होती है और नीचे वाले पाटे को ठहरे रहने की सजा ठीक इसी तरह से जिन रिश्तो को हम हक और आजादी देते है वो हमारी भावानाओ पर चक्की के ऊपर वाले पाटे की तरह व्यवहार करते है, और जिन से हम सिर्फ नाम भर का रिश्ता रखते हैं वो चक्की के दूसरे पाटे की भाँति व्यवहार करते है, जो समझते तो सब कुछ है किन्तु हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होता उन्हे....और फिर हमारी भावनाए अनाज की तरह पिस कर तकलीफ का रुप ले चक्की के उन दोनो पाटो से बाहर निकल आती हैं #मेरी_कलम सरल है..!
दीपक सिंह दिनकर
गज़ब की बात है — पुरुष समझदारी की चक्की में पिस्ते रहे और स्त्रियाँ समझौते की चक्की में….
harsh Jain
बचपन मे लोग कहते थेै कि एक बुढ़िया इस चाँद के अंदर चक्की पीस रही है पर साला आज तक न बुढ़िया दिखी न ही चक्की 😂😂 harsh jain!author 😂😂😂