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इस जग की सबसे सुँदर तस्वीर वो देखी,
,,वो प्रेम की राधा सिर कृष्ण"मोर की "पंखी"!,,,,,ओ,एम,जे, "मेरो तो गिरधर,दुजो ना कोई!
जाके सिर मोरमुकुट,सोई मेरो पति होई!,,,,,,,मीरा ने सहज व सरल भाव से उसे अपना पति स्वीकारा
वो मोहन सचमुच "कामविजयी" है,,,
कहने का अर्थ---प्यार (प्रेम)वासनाओ का नही "भावनाओं"का विषय है,,,,
वैसे चराचर जगत के पक्षी ईश्वर की नियामत है ईश्वर कृत है तथापि श्रीकृष्ण के सिर पर मयुरपंख क्यों? यह भी एक विचारणीय प्रश्न हैं,,,,,,,,,
"मेरो तो गिरधर,दुजो ना कोई!
जाके सिर मोरमुकुट,सोई मेरो पति होई!,,,,,,,मीरा ने सहज व सरल भाव से उसे अपना पति स्वीकारा
वो मोहन सचमुच "कामविजयी" है,,,
कहने का अर्थ---प्यार (प्रेम)वासनाओ का नही "भावनाओं"का विषय है,,,,
वैसे चराचर जगत के पक्षी ईश्वर की नियामत है ईश्वर कृत है तथापि श्रीकृष्ण के सिर पर मयुरपंख क्यों? यह भी एक विचारणीय प्रश्न हैं,,,,,,,,,
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Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
(no subject)
Madan Mohan Thakur Tue, Apr 30, 2019 at 3:50 PM
To: कथा श्रृजन
Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.
Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar
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कृष्णभक्ती...
सद्संस्काररुपी भक्कम पायावर जीवनरूपी राजवाडा असेल तर , त्याला सद्विवेक रुपी दरवाजा , सद्विचार रुपी कोरीव आकर्षक भिंती ,
आणि मोक्ष रुपी अंतिम मजला गाठण्यासाठी सद्आचाररुपी पायऱ्या असतात...
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simran Swarna
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।। ❤️ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।।
अपने ज्ञानांजन रुपी शलाका से,अज्ञान रुपी अंधकार से बद्ध प्राणियों के नेत्र खोलने वाले,एक नई दृष्टि प्रदान करने वाले महान गुरुओं को मेरा प्रणाम।
आपको मेरी ओर से गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
#nojotosanskrit
#gurupurnimaspecial
#quoteoftheday
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः।।
अपने ज्ञानांजन रुपी शलाका से,अज्ञान रुपी अंधकार से बद्ध प्राणियों के नेत्र खोलने वाले,एक नई दृष्टि प्रदान करने वाले महान गुरुओं को मेरा प्रणाम।
आपको मेरी ओर से गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
#nojotosanskrit#gurupurnimaspecial#quoteoftheday#sanskritsolok
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Kavi Narendra Gurjar
नमस्कार मित्रों,😊🙏
साहित्य व कला जगत में,
माँ शारदे के आशीर्वाद से
एक #नया#कदम उठाया हैं,
जो साहित्यकार/कलाकार चार दीवारों के मध्य लाचार हो अपनी कला अपने मनोभाव को कुंठित किये बैठे हुए है, जिन्हीने अपना पुरा जीवन साहित्य एवम्ं कला को समर्पित कर दिया,किंतु इस समाज का व सरकार का उन पर ध्यान नहीं गया, जैसी उनकी मेहनत थी, वैसा उन्हें अपनी बात कहने का माध्यम प्राप्त नहीं हुआ,शायद आप सब सहयोगी रहेंगे ऐसी अपेक्षा रख मैंने एक छोटा-सा प्रयास किया है कि ऐसे कलमकारों व कलाकारों का साक्षात्कार यूट्यूब चै #Tv#दिनकर#Vatika
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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
जीवन एक इंद्र धनुष ही होता है,,,, लेकिन सुर्य रुपी कृपा सिंधु मिल जाये तब----
हम जीवन को हमेशा अँधकार मे सफेदी रुपी आकाशगंगा सा बना लेते है,,,,
प्रभात का अर्थ "सुर्योदय"नही होता बल्कि वो आपके इतिहास लिखने का नित नया अवसर होता है
हम हर बार अवसर की अनदेखी करते है
लेकिन अवसर किसी का इंतजार नही करता है
जीवन एक इंद्र धनुष ही होता है,,,, लेकिन सुर्य रुपी कृपा सिंधु मिल जाये तब----
हम जीवन को हमेशा अँधकार मे सफेदी रुपी आकाशगंगा सा बना लेते है,,,,
प्रभात का अर्थ "सुर्योदय"नही होता बल्कि वो आपके इतिहास लिखने का नित नया अवसर होता है
हम हर बार अवसर की अनदेखी करते है
लेकिन अवसर किसी का इंतजार नही करता है
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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
हिंदी के काव्यिक मंचो से कवि गायब हो गये है,,केवल नफरत फैलाने वाले ,शैतानो की भाषा बोलने वाले जोकर रुपी कवियो ने मानवता का नाश कर दिया है,,,,आये दिन नफरत रुपी कविताओ का यशोगान कर "आंतरिक आंतकवाद को पनपा रहे है तथा बाह़्य आंतकवाद को बढावा दे रहे है,,,,,,कहाँ गई वो कवि काली दास सी लेखनी,कहाँ गई को महर्षि "वाल्मीकी " सी परम्परा,जो सच कहने का साहस कर,सबको सच सम्मान देती,,,,,,,,,,
आज कलयुग के कवि केवल जोकर बन कर रह गये या नफरत की मशाल,,,,
कवि किसी राष्ट्र , राज्य विशेष के लिये नही होता वह तो सम्पुर
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Deepmala Pandey
फूल
सुबह की पहली किरण
मेरे उपवन पर पड़ती है
तो चेहरा गुलाब सा खिल जाता है
तितलियों और भौरों को झूमता देखकर
मेरे मन का उदास आईना भी
मुस्काता है.....
खामोश मोहब्बत में
अकसर जब शब्द खो जाते हैं
तब फूलों से ही
इजहारे मोहब्बत कर पाते हैं
दिल के पन्नों के बीच जो फूल रह जाते हैं
सूखने के बाद भी
प्यार की खुशबू में सराबोर नजर आते हैं....
फूल तो कांटों के संग जीवन बिताते हैं
फिर भी हर पल मुस्काते हैं
और हमें भी
सुख रुपी फूल दुख रूपी काटो जैसा
जीवन जीना सिखाते हैं....
बिछड़कर जो फूल
अपनी शाख से गिर जाते हैं
वह भी इंसान के मन को भाते हैं
कंभी भगवान को चढ़ाए जाते हैं
कभी गुलदस्ता बन मन को भाते हैं
कभी शहीदों का मान बढ़ाते हैं
कभी पार्थिव शरीर में चढ़कर
श्रद्धांजलि रुपी आंसू बन जाते हैं...
आओ हम सब मिलकर
फूलों से बन जाए
भेदभाव बैर को मिटाकर
प्रेम रूपी माला में गुथ जाए
बाग रूपी इस संसार का
कोना कोना महकाएं......
दीपमाला पांडेय खंडवा
मध्यप्रदेश
युवा है तो करेगे ही युवा दिलो पर राज,,,,,क्योकि तेरी बाँहो मे है वो बल जो"केहरी "कटि को तोड सके,, युवराज बनाम कैंसरजयी,,,,,,, अर्थात विकट से विकट पारिस्थितियों पर विजय पाने वाला यौद्धा ,,,,,,,जो संकट कौ मात देकर,,,,, विपरीत पारिस्थितियाँ मे आशाओ का शंखनाद करने वाले पुरोधा,,, निश्चित ही युवा दिलो के राजा होगे ही,,,,,,,,,,,जीवन रुपी क्रिकेट मे कैसर रुपी बोल पर भी आउट ना होने वाले,,,,,,दृढ विश्वासी ,,,युवा अर्थात (वायु=युवा)वेग से काम करने वाले "सिक्सर " जो अनुपम इतिहास बनाकर वैश्विक पटल पर भारत का डंका बजाने वाले आधुनिक हनुमान रुपी युवराज ,,युवा दिलो की धडकन होगे ही,,,,,,,,,,,,,,,,,और संयम व ध
युवराज बनाम कैंसरजयी,,,,,,, अर्थात विकट से विकट पारिस्थितियों पर विजय पाने वाला यौद्धा ,,,,,,,जो संकट कौ मात देकर,,,,, विपरीत पारिस्थितियाँ मे आशाओ का शंखनाद करने वाले पुरोधा,,, निश्चित ही युवा दिलो के राजा होगे ही,,,,,,,,,,,जीवन रुपी क्रिकेट मे कैसर रुपी बोल पर भी आउट ना होने वाले,,,,,,दृढ विश्वासी ,,,युवा अर्थात (वायु=युवा)वेग से काम करने वाले "सिक्सर " जो अनुपम इतिहास बनाकर वैश्विक पटल पर भारत का डंका बजाने वाले आधुनिक हनुमान रुपी युवराज ,,युवा दिलो की धडकन होगे ही,,,,,,,,,,,,,,,,,और संयम व ध
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@nil J@in R@J
🌹"श्री हनुमान चालीसा
से दूर होते है संसय और भ्रम🌹
विद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
(हनुमान चालीसा से)
एक होता है विद्वान और एक विद्यावान। दोनों में बहुत अन्तर है। रावण विद्वान है और हनुमान जी विद्यावान हैं।
रावण के दस सिर हैं। वह चारों वेद और छहों शास्त्रों का ज्ञाता है। रावण वास्तव में विद्वान है। विद्वान वह है जिसे विशेष ज्ञान प्राप्त हो।
लेकिन विडम्बना क्या है? सीता जी का हरण करके ले आया ।
कईं बार विद्वान लोग अपनी विद्वता के कारण दूसरों को शान्ति से नहीं रहने देते। उनका अभिमान दूसरों की सीता रुपी शान्ति का हरण कर लेता है और हनुमान जी उसी खोई हुई
सीता रुपी शान्ति को वापिस भगवान से मिला देते हैं ।
यही विद्वान और विद्यावान में अन्तर है ।
हनुमान जी गये रावण को समझाने। यही विद्वान और विद्यावान का मिलन है। हनुमान जी ने कहा --
विनती करउँ जोरि कर रावन ।सुनहु मान तजि मोर सिखा #NojotoQuote हनुमान चालीसा से होते हैं सभी दुखों का नाश