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Best बुढ़िया Shayari, Status, Quotes, Stories

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Anupama Jha

देकर आयी थी
अपने कुछ ख्वाबों को
चाँद पर चक्की पीसती उस बुढ़िया को
वापस लेना है,अपना वो ख़्वाब,उससे
इससे पहले कि वो पीस डाले उन्हें
और
 बिखेर दे  जमीं पर
और मैं समेटती रह जाऊं
अपने टूटे ख्वाबों को,
मुझे  छूना है, आसमान को
और 
मुझे चाँद से बातें करनी है.....

 #आसमान_के_तारे #चक्की #बुढ़िया #yqdidi

Funny Singh🐼

अर्ज किया है..!!
एक बुढ़िया थी; प्यारी सी न्यारी सी;
वाह - वाह.........वाह - वाह
अबे सुन तो ले निकम्मे😝
एक बुढ़िया थी; प्यारी सी न्यारी सी
बेचारी बचपन में ही भगवान को हो गई प्यारी थी।
घुसा कुछ खोपड़ी में😂😂🤣🤣
 #secondquote #yqbaba #yqdidi #funny #funny #बुढ़िया #न्यारी #प्यारी

Ram Pujari

मेरे और उनके बीच एक फासला है।
जितना की दादी और पोते में होता है।
 वे अब भी पापा को अपना बेटा मानती हैं।
पापा उन्हें अब पागल बुढ़िया कहने लगे हैं।
सोचता हूँ मैं
मेरे पापा भी एक दिन पागल बूढ़े,
और मम्मी एक पागल बुढ़िया बनेगी।
मगर कब...और कैसे!!! #parents #grandparents#father #mother #love #hate #challenge
#rampujari

Akshit Soral

मेरी गली #कहानी

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गली में  मन ठहर गया उस मंज़र को याद करके आज जब मैं कई सालो बाद मेरे घर की पीछे वाली गली से निकला, वो छोटी सी दूकान, रंग बिरंगी पतंगे, कांच से तेज़ मांजे, जेब में रखे दस रूपए और वो भूड़ी औरत जो पतंग बेचा करती थी. तब मैं 13-14 साल का रहा हूंगा और वो बुढ़िया 85-90 साल की. बस इतनी सी बात  सोचते सोचते मैं घर आ गया l मुझे अब भी एक बात परेशान कर रही है, मैंने उस बुढ़िया का संघर्ष तब बस देखा था,  आज समझा हूं. मन दुखी भी है और व्याकुल भी, क्या हुआ होगा उस बुढ़िया का जिसका कोई नहीं था.ना पति था ना संतान. महुल्ले के लोग अम्मा बोला करते थे.मैं भी.सोच रहा हूं वो दूकान बंजर क्यों है, खाली क्यों है? इतना संघर्ष ज़रूरी क्यों है? मेरी गली

harsh Jain

😂😂😂

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बचपन मे लोग कहते थेै कि एक बुढ़िया इस चाँद के अंदर चक्की पीस रही है पर साला आज तक न बुढ़िया दिखी न ही चक्की 😂😂


harsh jain!author 😂😂😂

KK Mishra

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Once upon a time एक सत्संग के दौरान :
संत प्रवचन करते हुए जो इस जन्म में नर है वो अगले जन्म में भी नर ही होगा और जो इस जन्म में नारी है वो अगले जन्म में भी नारी होगी , इतने में एक बुढ़िया उठ कर जाने लगी ….
संत : कहाँ जा रही हो ऐसे उठ कर ? 🤔🤔🤔
बुढ़िया : जब अगले जन्म में भी रोटियाँ ही बनानी है तो सत्संग सुन कर क्या फायदा 😂😂😂😆😆

NITISH KUMAR

#Life #maithili दौड़ के अँगना दौड़ दलान , दौड़ैत दौड़ैत टुटलै टाँग , बुड़हारी में बुढ़िया असगर, ओगरै छै दलान यौ , कहू अहीं सब बाबू भैया बूढ़क किए अपमान यौ ?

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बूढ़क किए अपमान यौ ?
Read in caption #life #maithili 
दौड़ के अँगना दौड़ दलान ,
दौड़ैत दौड़ैत टुटलै टाँग ,
बुड़हारी में बुढ़िया असगर,
ओगरै छै दलान यौ , 
कहू अहीं सब बाबू भैया
बूढ़क किए अपमान यौ ?

shivanshu pandey

ऊन वाले कि कथा #मेरा भारत महान

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मेरे मोहल्ले की कहानी  क्या कह दूँ 
क्या कह दूँ
मैं उस ऊन वाले
की कथा
था कभी जो ऊन लादे
इस गली में घूमता
रंगून के रेसे बताकर
झूठ भी था बोलता
ऊन जिसका सदा
उन अमीरों को महंगा लगा
वो मर गया
पूरी रात ना था घर गया
वो मर गया
वो जाड़े की शाम थी
कौड़ी ना आज साथ थी
तीनो विधवाओं की भूख थी
राह उसकी देखती
वो चमकता चाँद था 
उस बढाते पूस का
था तो कपकपात। मगर
लौट कर जाएगा न घर
डर, बहनो की भूख का
उस ऊन वाले की कथा

रोज जो बाट जोहती
चूल्हा जलातीं है
संसार के तावे पे सपनों
की रोटी पकाती है
घंटी सुनते ही जो दौड़ 
आती है
लौट कर आंगन में वो
चूल्हा बुझाती हैं

वो दो हड्डी कंकाल का
अकेले था झेलता
छत और चूल्हे की व्यथा
दुखते पेटों की दास्तां
उस ऊन वाले की कथा

ऊन के वो रंग सारे
वो उन चहरों में चाहता था
इसलिए तो ऊन लादे
गली शहरों में घूमता था
कपकपाती देह में वो 
तेज बोलता था यही
की गुलगुल गुलाबी ऊन
ऐसी ना पाओगे कहीं
वही फटी पतलून संग
जर्जर सी बुशट 
में बिलखती तस्वीर
से लिपटा हुआ खत
शब्द खत के गूंजते थे
शाम सुबह दोपहर
कि खुद खाना बाद
देकर तीनों को जहर
खत में वो दो के चिल्लर
भी तो थे
जो जहर खाने को बाबा
ने चहेते को दिए
मुस्कराता था आज वो
अंतिम गोला बेचकर
आज तो जलसा मनेगा
मंद मंद ये सोचकर

फूलता था ना समाता
चिल्लारों को देखकर
जेब में खोंस लेता
हर बार नयन सेककर

बचपन तो था वहीं
पर सपने गरीबी ले गयी
था कमाता तो क्या हुआ
उम्र महज चौदह की थी

साइकल चलाता जा रहा
था ठाकुर के खेत से
हो गयी गलती उस रात
लौंडे से सेठ के

धुत्त होकर , गाली सुनाता
चला रहा था कार भी
जो गलती पहलें हूई थी
हो गई इस बार भी

बुढ़िया दौड़ी सुन हाल
अपने लाल का
चिथड़े कंकड़ से बीनकर
चूर लायी कंकाल का

बहन बोली हे पापी
शत कोटि प्रभात दिए होते
ना हो पाया इतना तो
राखी वाले हाथ दिए होते

कचहरी बैठी अंगूठे लगवा गए
बुढ़िया पहले इसके कुछ कहती
गुंडे घर मे आ गए

हत्या नही दुर्घटना कहकर 
कालिख भी पोत गए
और फेक चिल्लर मुँह पर
कर स्वाभिमान पर चोट गए ऊन वाले कि कथा
#मेरा भारत महान


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