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Guddu Muneri sikandrabadi
Thanks to all ©Guddu Muneri sikandrabadi #विचार_मन_के #“विचारधारा” #कोट्स #
Ashutosh Mishra
किस सोच में बैठे हो तुम, सिर को यू झुकाए। चिंता नहीं ,चिंतन करो,कह गए ज्ञानी ध्यानी। थक हार कर बैठ जाना नहीं कोई बुद्धिमान है। चिंता नहीं, चिंतन करो कह गए ज्ञानी ध्यानी सोचो ,सोचो कहां कमियां रह गई, जिस से हुई हार तुम्हारी मंथन कर आगे बढ़ो, मंथन कर आगे बढ़ो चिंता नहीं, चिंतन करो कह गए ज्ञानी था ध्यानी। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #“विचारधारा”
Atul Sharma
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“12/11/2021”*📝 ✨*“शुक्रवार”*🌟 यदि इस “संसार” में आप ही रहें, तो आपके लिए इस “संसार का महत्व” शून्य है, आप नहीं तो ये “संसार” भी आपके लिए नहीं है, अब “लोग” कहेंगे बात तो सही है,उसके अनुसार तो मुझे “स्वार्थी” होना चाहिए,“अहंकारी” होना चाहिए, क्योंकि मेरे लिए तो केवल “मैं” ही सबकुछ हूं, “विचारधारा” बदल चुकी है आपके लिए “सबसे महत्वपूर्ण” “व्यक्ति” कौन होना चाहिए, आप स्वयं... वो “व्यक्ति” कैसा होना चाहिए...“स्वच्छ” दिखे, “सदैव” किसी की “सहायता” करें,साथ मिलकर परिश्रम करें, “साथ” दिजिए “दूसरों का” यदि आवश्यक है तो, यदि उससे भी यदि “आवश्यक” है कि आपके “मन” में कभी इस “बात का भय” न रहें कि मैं अपने “प्रियजनों” को या अपने “सहयोगियों” को खो दूंगा, ये “भय” कभी “मन” में नहीं रहना चाहिए, यदि “भय” रहे तो केवल इस बात का कि जो भी “लोग” एवं “संबंधी” मुझसे “दूर” होते जा रहे है,उन्हें “रोकते रोकते” कहीं मैं अपने आपको न “खो” दूं,अपने “अस्तित्व” को न खो दूं,अपने “व्यक्तित्त्व” को,अपने “विचारों” को न खो दूं, तो इस “विचार” को “त्याग” दिजिए, ये “मन प्रसन्न” रहेगा और “तनावमुक्त” भी रहेगा, *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“12/11/2021”*📝 ✨ *“शुक्रवार”*🌟 *#“संसार”* *#“संसार का महत्व”*
Atul Sharma
*📝“सुविचार"*📚 ✨ *4/9/2021*🖋️ 🖊️ *“शनिवार”*📘 हर एक “मनुष्य” की अपनी अपनी “सोच” होती है, अपनी अपनी “विचारधारा” होती है, जब “अनेक विचारधाराएं” एक साथ आ जाती है, तो होता है “विवाद”, अब “विवाद के समय” कभी भी देखिए कि “दो व्यक्ति” इनके बीच में “विवाद” हो रहा है,तो ये सदैव “प्रयास” करते है कि ये “सिद्ध” कर सके कि सामने वाले “व्यक्ति की सोच”, उसकी “विचारधारा”,उसका ये कथन “अनुचित” है, अब ये ही यदि “प्रेमपूर्वक” रूप से समझने का “प्रयास” करते है,कि सामने वाले व्यक्ति की “बात”, उसकी “मंशा” क्या है? उसमें “उचित” क्या है? ये हम “समझ” पाते है एक और है ये “विवाद” जो आपको सामने वाले व्यक्ति को “अनुचित सिद्ध” करने पर “विवश” करता है, और एक और है “प्रेम” जो सामने वाले का “तर्क” समझने पर “विवश” करता है, उसमें “उचित” क्या है ये समझने पर “विवश” करता है,उसे “महानता” की ओर ले जाने पर विवश करता है,तो इस “विवाद” को “त्याग” दिजिए और “प्रेम” को अपनाए... *🖋️*अतुल शर्मा✨* ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✨ *4/9/2021*🖋️ 🖊️ *“शनिवार”*📘 #“सोच” #“विचारधारा”
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