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Aparna Singh
ख़्वाबों में तो बुलंदियाँ हर कोई छू लेता है मुश्किल तो हकीक़त को बुलंदियों तक पहुँचाना होता है बुलंदियाँ 💫 #yqdidi #yqhindi #yqquotes #hindiquotes #bestyqhindiquotes #newwritersclub #yqshayari #बुलंदियाँ
Aparna Singh
ख़्वाबों में तो बुलंदियाँ हर कोई छू लेता है मुश्किल तो हकीक़त को बुलंदियों तक पहुँचाना होता है बुलंदियाँ 💫 #yqdidi #yqhindi #yqquotes #hindiquotes #bestyqhindiquotes #newwritersclub #yqshayari #बुलंदियाँ
Dinesh Sen Jayal
आजाद मुसाफ़िर
जिन्दगी, मैं भी मुसाफ़िर हूं बुलंदियों का इस खुले जहां में सफ़र जैसे परिंदो का। रस्ते हैं बड़े कठिन यहां जिद में अड़े, मेरे हौसले भी तो जिद्दी है पथ में खड़े।। पसीने से तरबतर सूरज की तपिश में, उड़ता चलूं यहां मंजिलों की खलिश में। चादर तूफानों का मैं ओड़ता चला जाऊं, अंकुर बन धरा को चीरता चला जाऊं।। - jivan kohli #बुलंदियाँ #प्रेरक # मंजिलों का सफ़र@ Hemant.Bahuguna. @shilpi gupta @Anshu writer @Govind Pandram @Reena Prajapati
Saajan Sanam
*दर्द कागज़ पर,* *मेरा बिकता रहा,* *मैं बैचैन था,* *रातभर लिखता रहा..* *छू रहे थे सब,* *बुलंदियाँ आसमान की,* *मैं सितारों के बीच,* *चाँद की तरह छिपता रहा..* *अकड होती तो,* *कब का टूट गया होता,* *मैं था नाज़ुक डाली,* *जो सबके आगे झुकता रहा..* *बदले यहाँ लोगों ने,* *रंग अपने-अपने ढंग से,* *रंग मेरा भी निखरा पर,* *मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा..* *जिनको जल्दी थी,* *वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,* *मैं समन्दर से राज,* *गहराई से सीखता रहा..!!* *"ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट...* *तू गुमान न कर...* *बुलंदियाँ छू हज़ार, मगर...* *उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर.* *कुछ बेतुके झगड़े*, *कुछ इस तरह खत्म कर दिए मैंने* *जहाँ गलती नही भी थी मेरी*, *फिर भी हाथ जोड़ दिए मैंने* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
महेन्द्र सिंह (माही)
दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा, मैं बैचैन था,रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब,बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच,चाँद की तरह छिपता रहा.. दरख़्त होता तो,कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने,रंग अपने-अपने ढंग से, रंग मेरा भी निखरा पर,मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा.. जिनको जल्दी थी,वो बढ़ चले मंज़िल की ओर, मैं समन्दर से राज,गहराई के सीखता रहा..! "ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट... तू गुमान न कर... बुलंदियाँ छू हज़ार, मगर... उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर. कुछ बेतुके झगड़े कुछ इस तरह खत्म कर दिए मैंने जहाँ गलती नही भी थी मेरी फिर भी हाथ जोड़ दिए मैंने #NojotoQuote दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा, मैं बैचैन था,रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब,बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच,चाँद की तरह छिपता रहा.. दरख़्त होता तो,कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने,रंग अपने-अपने ढंग से,
Sumit Chourey
दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा, मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा.. अकड होती तो, कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से, रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा.. जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर, मैं समन्दर से राज, गहराई के सीखता रहा..!! "ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट... तू गुमान न कर... बुलंदियाँ छू हज़ार, मगर... उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर. कुछ बेतुके झगड़े, कुछ इस तरह खत्म कर दिए मैंने जहाँ गलती नही भी थी मेरी फिर भी हाथ जोड़ दिए मैंने मेरी अधूरी कहानी...!!
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