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Mukesh Poonia

#संबंधों की #गहराई का #हुनर #पेड़ों से सीखे, #जड़ों में #चोट लगते ही #शाखाएं #सूख जाती है..! #विचार

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Sarita Shreyasi

#संबंधों का द्वंद

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स्वेच्छा से बंधो तो संबंध,
सहर्ष बंधो तब संबंध,
सुखद हो बंधन तो संबंध,
सहज सम्मानित हो तो संबंध।

नहीं तो बांधते हैं संबंध,
उलझा देते हैं संबंध,
पराश्रित हो खुशी और चैन तो,
सब स्वाहा कर देता अतःद्वंद। #संबंधों का द्वंद

Vikash lakhera

#संबंधों को सिर्फ समय की ही नहीं, 
.
..
#समझ की भी #जरूरत होती है।💙🤗

©Vikash lakhera #YouNme

Rahul Chhawal

#संबंधों की गहराई का हुनर
पेडों से सीखिये ज़नाब
जड़ों में जख्म लगते ही शाखें
सुख जाती हैं...

#RahulChhawal... संबंध

amit Kumar kaushik

सचाई भरा प्रे म #विचार

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आज यहां तो कल वहां यह तो जी नवरंग है अगर हम से मिल न पाए तुम से तो यह तो जिवन का दस्तूर है फासले होते है दुनिया में उन लोगों के बिच जो एक दूसरे के लिए बने होते हैं ए काश हमें मिल जाए वो एक पल जिस में हम एक दुसरे से हाल ए दिल बयां कर सके।हम कल थे,आज हैं,हमेशा रहेंगे  एक दूसरे के लिए एक दूसरे के आरज़ू  बन कर।चूकि जैसे सुबह बनीं है सूरज से,शाम बनीं छांव से,रात बनीं है चांद से इसी तरह से हमारा तुम्हारा प्यार बना है एक दूसरे की रोशनी से व एक दूसरे की    
चांदनी से।जिस प्यार से व जिस प्यार की रोशनी से संसार भर का भ्रम,लोभ,और मोह हमारे प्यार प्यार की रोशनी में नहा कर व इस के आवेग में हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाता है;व ईस की चांदनी में  सरोबार हो कर लोगों की आपसी कुंठा समाप्त हो जाती है और लोगों के आपसी संबंध प्रेम संबंधों में तब्दील हो जातें हैं।चाहे लाख तुफान आएं आंधी आएं जिस प्रकार एक महान नाविक ईस सिथती की 
चिंता न करते हुए निरंतर अपने जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए अग्रसर रहकर अपने उदेश्य की सत प्रतिशत सफलता हासिल करता है।ईस ही प्रकार प्रेम संबंधों में रहने वाले बहुजनो को ईन समाज में उतपन्न इन आंधी तुफान को झेल कर निरंतर अग्रसर रहकर समाज के सामने आद॔श बन कर तत्पर रहना चाहि सचाई भरा प्रे म

amit Kumar kaushik

सचाई भरा प्रेम #विचार

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आज यहां तो कल वहां यह तो जी नवरंग है अगर हम से मिल न पाए तुम से तो यह तो जिवन का दस्तूर है फासले होते है दुनिया में उन लोगों के बिच जो एक दूसरे के लिए बने होते हैं ए काश हमें मिल जाए वो एक पल जिस में हम एक दुसरे से हाल ए दिल बयां कर सके।हम कल थे,आज हैं,हमेशा रहेंगे  एक दूसरे के लिए एक दूसरे के आरज़ू  बन कर।चूकि जैसे सुबह बनीं है सूरज से,शाम बनीं छांव से,रात बनीं है चांद से इसी तरह से हमारा तुम्हारा प्यार बना है एक दूसरे की रोशनी से व एक दूसरे की    
चांदनी से।जिस प्यार से व जिस प्यार की रोशनी से संसार भर का भ्रम,लोभ,और मोह हमारे प्यार प्यार की रोशनी में नहा कर व इस के आवेग में हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाता है;व ईस की चांदनी में  सरोबार हो कर लोगों की आपसी कुंठा समाप्त हो जाती है और लोगों के आपसी संबंध प्रेम संबंधों में तब्दील हो जातें हैं।चाहे लाख तुफान आएं आंधी आएं जिस प्रकार एक महान नाविक ईस सिथती की 
चिंता न करते हुए निरंतर अपने जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए अग्रसर रहकर अपने उदेश्य की सत प्रतिशत सफलता हासिल करता है।ईस ही प्रकार प्रेम संबंधों में रहने वाले बहुजनो को ईन समाज में उतपन्न इन आंधी तुफान को झेल कर निरंतर अग्रसर रहकर समाज के सामने आद॔श बन कर तत्पर रहना चाहिए। सचाई भरा प्रेम

Anil Kumar Yadav

my love.....

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*🙏ॐ विघ्नविनायक नमः🙏*
*🌹☘🎼पांच सीढ़िया  संबंधों की होती है*
*देखना,*
*अच्छा लगना,*
 *चाहना, तथा पाना.* 
*यह चार बहुत सरल सीढ़ियां हैं!*
*पर सबसे कठिन और पांचवी सीढ़ी है निभाना*
*संबंधों को मजबूती से निभाते रहे और प्रसन्न रहे*
 *🌻🎷सुप्रभात🎷🌻* my love.....

Atul Sharma

*सुविचार* *Date-28/5/19* *Day-Tuesday* 🌱... *इस पौधे को देखिए* कितना "कोमल".. कितना "लचील" यदि इस पर थोड़ा-सा भी "दबाव" डालें तो झुक जाता है.. "पौधे" तो होते ही हैं ऐसे... थोड़ा-सा "दबाव" डालोगे तो "झुक" जाएंगे इसके लचीलेपन कारण... किंतु इनका ये *"लचीलापन"* *"आंधियों"*, *"चक्रवातो"* में टूटने से बचाता है.. यदि इनके स्थान पर कोई *"अक्रिय"* या कोई *"वृक्ष"* 🌳हो तो *"पवन"*🌪 की *"तीव्र"* *"गति"* को वह *सह* नहीं पाते उसका *"सामना"* नहीं कर पाते, *"टूट"* कर *"गिर"* जाते हैं... कुछ इसी प्रकार होते ह

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*सुविचार*
*Date-28/5/19*
*Day-Tuesday*


🌱... *इस पौधे को देखिए*

कितना "कोमल".. कितना "लचील" यदि इस पर थोड़ा-सा भी "दबाव" डालें तो झुक जाता है.. "पौधे" तो होते ही हैं ऐसे... थोड़ा-सा "दबाव" डालोगे तो "झुक" जाएंगे इसके लचीलेपन कारण... किंतु इनका ये *"लचीलापन"* *"आंधियों"*, *"चक्रवातो"* में टूटने से बचाता है.. यदि इनके स्थान पर कोई *"अक्रिय"* या कोई *"वृक्ष"* 🌳हो तो *"पवन"*🌪 की *"तीव्र"* *"गति"* को वह *सह* नहीं पाते उसका *"सामना"* नहीं कर पाते, *"टूट"* कर *"गिर"* जाते हैं... कुछ इसी प्रकार होते हैं हमारे *"संबंध"*... यदि उनमें वह *"लचीलापन"* ना हो, *"अभिमान"* की *"दृढ़ता"* हो, तो वह *"संबंध"* भी बिखर जाते है, तो लाईए यह *"लचीलापन"* अपने *"संबंधों"* में ताकि *"कल"* यदि कोई *"समस्या"* आए तो यह *"संबंध"* टूटे नहीं... यदि इस *"आकाश"* में देखें *"सूर्य"*☀ भी *"चंद्रमा"* 🌕 को देखकर झुक जाता है हम तो साधारण से मनुष्य है....
तो *"संबंधों को झुकाना"* नहीं *"संबंधों के समक्ष झुकना"* सिखिए...

Bý-Åťüľ Şhãřmå🖊️🖋️✨✨ *सुविचार*
*Date-28/5/19*
*Day-Tuesday*


🌱... *इस पौधे को देखिए*

कितना "कोमल".. कितना "लचील" यदि इस पर थोड़ा-सा भी "दबाव" डालें तो झुक जाता है.. "पौधे" तो होते ही हैं ऐसे... थोड़ा-सा "दबाव" डालोगे तो "झुक" जाएंगे इसके लचीलेपन कारण... किंतु इनका ये *"लचीलापन"* *"आंधियों"*, *"चक्रवातो"* में टूटने से बचाता है.. यदि इनके स्थान पर कोई *"अक्रिय"* या कोई *"वृक्ष"* 🌳हो तो *"पवन"*🌪 की *"तीव्र"* *"गति"* को वह *सह* नहीं पाते उसका *"सामना"* नहीं कर पाते, *"टूट"* कर *"गिर"* जाते हैं... कुछ इसी प्रकार होते ह

Nihal Gupta

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*पुराने लोग भावुक थे,*
*तभी वे संबंधों को संभालते थे।*

*बाद में लोग प्रॅक्टिकल हो गये*
*तो वो संबंधों का फायदा उठाने लग गए।*

*और अब तो लोग प्रोफेशनल हो गए हैं,* 
*फायदा अगर है तो ही संबंध बनाते हैं....!!!!*

Kumar.vikash18

मेरी ये पंक्तियाँ नारी और पुरुष के उन विषेश चार संबंधों को दर्शाती हैं जिसमें नारी तो एक ही है पर अपने इन अलग-अलग संबंधों में पुरूष को क्या क्या रूप दिखाया है एक पुत्र के लिये माँ से पावन दूसरी कोई नारी नहीं , एक पुरूष को उसकी पत्नी से ही वह सक्ति और सामर्थ प्राप्त होता है जिससे वह अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुये संसार सागर को पार करता है , एक भाई के लिये उसकी बहन का गुस्सा भी सीतल और निर्मल छाँव की तरह होता है क्यों की वह उसकी एक सच्ची दोस्त की तरह होती है खुद तो डाँट लेती है पर उसकी छो

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पतित हो तुम पावन हो तुम ,
एक पुत्र की माता हो तुम !
सक्ति हो तुम सामर्थ हो तुम ,
एक पुरूष की भार्या हो तुम !
शीतल हो तुम निर्मल हो तुम ,
एक भ्राता की अनुजा हो तुम !
चंचल हो तुम सुन्दर हो तुम ,
एक जनक की तनुजा हो तुम ! मेरी ये पंक्तियाँ नारी और पुरुष के उन विषेश चार संबंधों को दर्शाती हैं जिसमें नारी तो एक ही है पर अपने इन अलग-अलग संबंधों में पुरूष को क्या क्या रूप दिखाया है एक पुत्र के लिये माँ से पावन दूसरी कोई नारी नहीं , एक पुरूष को उसकी पत्नी से ही वह सक्ति और सामर्थ प्राप्त होता है जिससे वह अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुये संसार सागर को पार करता है , एक भाई के लिये उसकी बहन का गुस्सा भी सीतल और निर्मल छाँव की तरह होता है क्यों की वह उसकी एक सच्ची दोस्त की तरह होती है खुद तो डाँट लेती है पर उसकी छो
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