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DHAKAD HAI HARYANA
kavi anuj dehariya" om"
विश्व शांति हो सदा, अब युद्ध कहीं ना हो पाए। अमन चैन से रहें सभी, बंधुत्व कहीं ना खो पाए। बना लिया हो बेशक वर्चस्व दुनिया के आकाओं ने। मानवता में सबसे आगे, देश हमारा हो जाए।। अनुज mob 9424734143 ©kavi anuj dehariya #रूस और यूक्रेन युद्ध के एक वर्ष होने पर शांति की अपील
Ek villain
दबाव मुक्त भारतीय विदेश नीति शीर्षक से लेख अपने आलेख में विवेक कटोच ने यूक्रेन पर रुसी आक्रमण की दुनिया भर में पड़ने वाले प्रभाव के समक्ष करते हुए चुनौतियों के माध्यम भारत की प्रभावशाली विदेश नीति की चर्चा की है इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो प्रेम पर उसके सैन्य कार्रवाई के पूरे दौर में भारत ने यह सब पर यह परिस्थिति की नदी का प्रदूषण किया उससे इसके सहयोग राष्ट्रीय सहित चीन और पाकिस्तान जैसे विशेष स्थिति का लाभ उठाते हो सकता है यहां के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं उसके मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वास्तविकता है उम्मीद है कि पड़ोसी देशों के बीच शांति स्थापना की कोशिश ©Ek villain #रूस यूक्रेन में 16 का प्रयास करें भारत #afterglow
Ek villain
आत्मनिर्भरता का सबक सीखने वाला युद्ध विश्व में सबसे ले कल एक में जीएन वाजपेई ने यूक्रेन के संदर्भ में भारत युद्ध खत्म ना होने के कारण को समझाया है जो स्पष्ट रूप से रूस के लिए आश्चर्यजनक है क्योंकि शुरू में रूस ने यह नहीं सोचा कि कार्मिकों की तरह यूक्रेन को भी जीत जाएगी लेकिन यह बाजी को खुद उल्टी पुल्टी दिख रही थी यह हमें आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता जताई है क्योंकि अगर बिना आते हुए हम किसी बड़ी सख्ती से मोर्चा देंगे तो मुंह की खानी ही पड़ेगी यूक्रेन यही सोचकर स्कूल के पीछे नहीं हट रहा क्योंकि वह खुद पर काम का नहीं और सहयोगी देशों पर अधिक निर्भर ©Ek villain #रूस यूक्रेन युद्ध से मिले सबक #Love
Ek villain
यूक्रेन पर उसके लगातार हो रहे हमलों में नाटो ने लोकतंत्र के लिए निर्णय चुनौती मानकर अपना आवाज सम्मेलन बुलाया इससे संबंधित करने के लिए अमेरिका राष्ट्रपति जो बिडेन मिले थे जा रहे हैं उन्होंने चीनी राष्ट्रपति किंगफोग से भी अनुरोध किया है कि युद्ध में रूस की मदद और असैन्य मदद ना करें सीने तटस्थ रहने की बात दोहराई है यदि हमें रोक के सामरिक संतुलन को देखें तो रूस के पास अभी नाटो देशों के कुल परमाणु हथियार से भी बड़ा परमाणु उर्जा कर रहे यूरोपीय देशों की कुल सेना से कहीं बड़ी और शक्तिशाली सेना है ना कि केवल सारी रूपी देशों में कहीं अधिक रक्षा सामग्री बल्कि उन्हें कहीं ज्यादा युद्धों का अनुभव है यूरोप में उसकी हैसियत सर्कस के रंग खड़े एक जैसी है जिसकी सामने बिल्लियों का झगड़ा होने के पीछे रूसी राष्ट्रपति पुतिन की दलाली है उनका मकसद अपने पड़ोस में लगाना है इस वास्तविकता के स्तर पर पर के ही यदि दिखता है तो नोटों की नीति विस्तार बाद होती है 1989 से 1993 के बीच ही पूर्व यूरोप में विस्तार कर लिया होता है उन दोनों और उसकी हालत अदाएं ने दी थी तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरोलीन चाहते थे कि रूस के नोटों में शामिल कर लिया जाए परंतु ना तो इसके लिए तैयार नहीं हुआ कुछ विश्लेषक कहते हैं कि रूस असल में यूक्रेन पर हमले के जारी नाटो और अमेरिका को संदेश देना चाहता है कि उनके एक छात्र दबदबे के दिल दे चुके हैं अब उन्हीं की रोशनी तो और चिंताओं की परवाह भी करनी होगी हालांकि हमले की कुर्ता और विश्वास की दरों के दुनियाभर में फैला रहा है करीब महीने भर ही लड़ाई के बाद रूस यूक्रेन के 1 बड़े शहर पर पूरा नहीं कर पाई अस्पताल स्कूल और भी हो रही बमबारी में 9 लोग मारे जा रहे हैं ©Ek villain #रूस पर भारी पड़ता युद्ध #Connection
Ek villain
भारत समेत विश्व के कुछ चुनिंदा देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है रूसी हमले की तरह से प्रेरित होता है कि रूसी सेना इन हमलों की तैयारी पहले से ही कर रही थी और बड़े पैमाने पर हमले करने की योजना थी हम लोग की वजह से यूक्रेन से जनता का भारी पलायन हुआ है और युग अभी यूक्रेन से सटे हुए आसपास के देश में शरण ले रहे हैं अब तक लगभग 2000000 लोग छोड़ कर जा चुके हैं जिनमें से आधे लोगों ने शरण ले ली है जबकि शेष अन्य पड़ोसी देश में हमले की वजह से माना जा रहा है वैसे पिछले करीब 2 दिनों से यूक्रेन के राष्ट्रपति जलन शकील के ओर से यह कहा जा रहा है कि फिलहाल में नाटो में शामिल होने के अपने निर्णय को लेकर तटस्थ हैं जिससे एक बार तो ऐसा लगता है कि अब थम जाएगा परंतु उसका इरादा कुछ और ही है माना जा रहा है कि रूस यह तो यूक्रेनिया से बड़े भाग पर कब्जा करना चाहता है यूक्रेन फिर रियासती क्षेत्र अपने से अलग करो उन्हें रूसी का हिस्सा बनाना चाहता है तो उसको अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत जरूर लगाना पड़ रहा है क्योंकि आप एक स्थाई जनता से पढ़ रहा है इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका और अन्य देशों में यूक्रेन रोकने और अनेक प्रकार के प्रति उनका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है ©Ek villain #रूस यूक्रेन युद्ध से उभरते सवाल #Moon
Ek villain
खरगोश और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त यूएनएससीआर के ताजा आंकड़ों के अनुसार हवाई हमले से बचने के लिए 15 लाख से ज्यादा नागरिकों को यूक्रेन ने पलायन कर चुके हैं देश छोड़ने वाले लोगों का यह आंकड़ा यूक्रेन की कुल आबादी के 3% से अधिक है यह लोग रोमानिया पोलैंड मोल्दोवा इसको लोबिया एंग्री और बेलारूस में शरण ले रहे हैं इनमें सबसे ज्यादा 700000 लोग पोलैंड की शरण में है सबसे कम शरणार्थी बेलारूस पहुंच रहे हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि बेलारूस रूस का सहयोगी देश है भारत समेत अन्य देशों की जो नागरिक रोजगार शिक्षा के लिए यूक्रेन गए थे अभी लौट रहे हैं भारत में युद्धस्तर पर अभियान चलाकर 20,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने में कामयाबी हासिल की है युद्ध समाप्ति के बाद इन लोगों के आगे की राह मुश्किल दिख रही है कि जिस तरह से किया जा रहा है उसके चलते नहीं लगता कि देश में जल्दी आ सकती हैं आशंका जताई है कि यदि हालात और बिगड़ते हैं तो 4000000 लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा इसके पहले 2011 में शुरू हुआ था ©Ek villain #रूस यूक्रेन युद्ध से पैदा शरणार्थी संकट #election
Ek villain
अंतरराष्ट्रीय जगत में अब युद्ध की उपाधि और नैतिकता को पूर्णता अवधारणाओं के तौर पर देखा जाने लगता है विज्ञान वैज्ञानिक युद्ध सा एवरयुथ व्यापार और अंतरिक्ष युद्ध के बाद में कमरों में जगह पा रही थी आधार परंपरा युद्ध की जगह परंपरागत सैनी तरीके से बिना रकबा ही शत्रु को पराजित करने की बात होने लगी थी जिसे केंद्र सरकार डिक्षत्व संपर्क नहीं हो पा रही थी अफगानिस्तान से अमेरिका के वापस लौटने के बाद इन बातों को और बल मिल गया कि रूस यूक्रेन के बीच युद्ध से यह बात बेमानी हो गई देखा जाए तो इस लड़ाई का आधार कोई एक दिन में तैयार नहीं हुआ तब वर्ष 1971 में सोवियत संघ 15 भागों में बांटा गया फिर भी यूक्रेन को आधुनिक उसके निर्माण का केंद्र मानता रहा उसे अपने अभिनय से के तौर पर देखता रहा सोवियत संघ के विघटन के बाद वारसा संधि के तहत बने सैन्य संगठन का तो अंत हो गया परंतु अमेरिका और पश्चिमी यूरोप शक्तियों द्वारा बनाए गए नाटक नामक सैन्य संगठन अपने अस्तित्व में बना रहा जबकि मिसाइल सेवार्थ के दौरान मुख्य तौर पर नाटो को स्थित वहीं करने का वचन दिया गया समय के साथ नाटो के सदस्य राष्ट्रों की संख्या भी बढ़ती गई पूर्वी रोकने संघ से निकले इसके तहत आ गए अमेरिका के नेतृत्व में दस्तक देने लगी तो वही गैस और तेल के भंडार दो राजनीतिक पुणे उभरने लगा वाल्दर पुनीत के नेतृत्व में ऐतिहासिक संगठन ने पढ़ने के बाद ©Ek villain #रूस यूक्रेन युद्ध में कहा है भारत #MusicLove
Ek villain
यूक्रेन पर चढ़ाई करने के बाद रूस ने जिस तरह उससे बातचीत करने की इच्छा जताई है उससे यही संकेत मिला कि देर से ही सही उसे यह समझ आया कि यदि लड़ाई लंबी खींची तो उसे लेने के देने पड़ सकते हैं यूज कोई याद रहता तो बेहतर होता कि अफगानिस्तान में अपना अध्यापक जताने की कोशिश में ही सोवियत संघ का विकराल हुआ था फिलहाल यह कहना कठिन है कि भूत और युगीन के बीच कोई सार्थक बातचीत हो पाती है या नहीं देती लिए समय की मांग की बहुत जरुरत है वार्ड से ही मसले का हल निकलेगा जंग से मसले सुलझते नहीं बल्कि वो लगते हैं और आज युग में तो उसे सारी दुनिया कहीं अधिक प्रभावित होती यही एक दिखते हैं कि उधर यूज़ यूक्रेन हम लेने विश्व शांति को खतरे में डालने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के समक्ष तब गंभीर संकट खड़ा कर दिया है जब वह कोविड-19 से ऊपर ही रही थी सच तो यह है कि खुद रूस की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है इस बार उसके लिए अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रतिबंध का सामना करना आसान नहीं होगा क्योंकि उसे अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग तंत्र से भी बाहर करने की तैयारी हो रही है मेरी रूस भारत के जरिए समस्या का समाधान निकालने के प्रति वास्तव में गंभीर है तो उसे यूक्रेन पर हमला रोकने होंगे इसका कोई मतलब नहीं है यूक्रेन को बातचीत की दावत देने के साथ ही उसे दवाई करने में भी जुटा रहे फिलहाल वो यूं ही कर रहा है ऐसे में इसके रातों के प्रति संदेह होना स्वाभाविक है जो कि वर्तमान परिस्थिति में यूक्रेन के लिए रोज पर भरोसा करना कठिन है ©Ek villain #रूस के इरादे ठीक नहीं #Rose