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Anita Saini

♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।

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एक पेड़ का सवाल:―

हे धरती पुत्र!

हर ओर क्यूँ है क्रंदन ही क्रंदन..?
क्यूँ कर रहा तू,इतना विलाप रूदन!
हे सबसे अधिक,स्वार्थी तत्व!
तुम्हारा स्वार्थ भी,दग़ाबाज़ निकला ना! तुम्हारी तरह..
सुनी थी क्या तुम्हें..?कभी मेरी सिसकियाँ
जब-जब सीने पर, चलाई थी आरियाँ!
एक-एक वार पर, निकली थी मेरी सैकड़ों
अंतिम साँस वाली हिचकियाँ!
किसी का वर्तमान खराब करके
कभी सुखद भविष्य नहीं
हो सकता, आ गया होगा समझ अब तो
 हे! मानस पुत्र.... ♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍

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अभिलाष सोनी

♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।

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जिस धरती पर जन्म लिया है, उसका कर्ज़ चुकाना है।
मानव जीवन की ख़ातिर, हमें एक-एक पेड़ लगाना है।

धरती को जब हरा-भरा करोगे, तभी तो हरियाली पाओगे।
वरना जीवन रक्षक ऑक्सिजन, तुम और कहाँ से लाओगे।

प्रकृति के संरक्षण की ख़ातिर, अब हम सबने ये ठाना है।
मानव जीवन की ख़ातिर, हमें एक-एक पेड़ लगाना है।

मिलता धरती से ही सबकुछ, कुछ भी ना हमने लाया है।
जो कुछ आज उपयोग कर रहे, वो सब यही से तो पाया है।

करो प्रतिज्ञा आज धरा से, हमें इसका अस्तित्व बचाना है।
मानव जीवन की ख़ातिर, हमें एक-एक पेड़ लगाना है। ♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍

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DR. SANJU TRIPATHI

♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।

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जिस धरती पर जन्म लिया उसके ही भूलता जा रहा इंसान सारे उपकार,
समझने लगा खुद को भगवान नहीं रह गया जैसे प्रकृति से कोई सरोकार।

पांच तत्वों से मिलकर बना है यह शरीर जल, वायु, अग्नि धरती और अंबर,
अपने मतलब के लिए जाने अनजाने ही सही करने लगा है इनका तिरस्कार।

दौलत कमाने की होड़ में कर रहा है मानव अंधाधुंध सारी चीजों का व्यापार,
काट रहा है पेड़-पौधों को भूल गया है हरियाली ही है प्रकृति का सच्चा श्रृंँगार।

समय-समय पर सचेत है करती, कभी सुनामी, कभी बाढ़ का मचाती हाहाकार,
समय रहते ही सभी सचेत हो जाओ वरना धरती पर रहना हो जाएगा दुश्वार।

धरती हमारी जननी, धरती ही हमारी प्राण दायिनी है इसको करो सभी स्वीकार,
धरती गर रूष्ट हो गई तो पल में करके सब कुछ नष्ट, तोड़ देगी सबका अहंकार। ♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍

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