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Krish Vj
ज़ख़्म दिलों के यूँही भरते नही, मरहम को तरसता मैं भी हूँ मरहम को तरसती है वो भी! उसका दर्द मिटाऊँ कैसे? गिला यूँ ख़ुद से हो गया है, ख़फ़ा मैं खुद से हो गया हूँ बेदर्द बनकर दर्द दिया यूँ, उसको सुकून पहुंचाऊँ कैसे? ज़िंदगी मेें बड़े दुःख देखे उसने, कहीं ना कहीं ज़िम्मेदार मैं भी भूलती नही वो एहसास मेरा, दिल से उसे भुलाऊँ कैसे? सताया है हर पल उसे मेंने, एक पल का सुकून नही दिया ग़लती नही पाप है, ज़हन से जाता नही,अपराध बोध मिटाऊँ कैसे? ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Soulmate (Yuhee)
भरना मुश्किल है यकीं रख दिल की चोट गहरी होती है जिसनें ज़ख्म दिया है तुमको उसका दिल खुद भरा नहीं चोट वही देता है जिसका दिल मरम्मत मांग रहा है यूँही ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Nitesh Prajapati
ज़ख़्म दिलों के, छुपे हुए हैं मेरे आँसूओ मे, दर्द को कितना ही छुपाना चाहो दिल मे, लेकिन आँखों से तो अश्क बह ही जाते हैं। ज़ख्म उसके चुभते हैं इस दिल को, ना मिल सका हमे हमारा इश्क़, ना ही मिली वो, मिला तो सिर्फ बेशुमार दर्द। मसला मेरे सच्चे प्यार का था, इसीलिए हसते हसते जाने दिया उसे, ग़र ज़िद वो होती मेरी, तो आज मेरी जिंदगी में होती। ज़ख्मों को गले लगा कर, जी रहे हैं हम आज, ढूँढ रहे हैं दरबदर आज, मेरे मर्ज का इलाज। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
नरेश होशियारपुरी
हमने तो जनाब गुस्ताख़ी की थी।। आपके दिल में यूँ दस्तक दी थी।। किवाड़ दिल के आपने ही बंद कर लिए।। भांप कर हालात सब हम भी चल दिए।। ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Snigdharani Panda
भर ना पाए, क्या करें हम रो ना पाए। ज़ख़्म देता गया हर बार तू मुझे, फिर भी भूला ना पाए हम तुझे।। ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Nazar Biswas
यूँ ही हम बातें उम्र-ए-तमाम लिखतें नहीं, कुछ ज़ख़्म दिलों के ऐसे हैं, हमसे छिपते नहीं। हम रोते हैं जब भी, रो रोकर दरिया बहा देतें हैं, छलक जातें हैं कभी वो जो दर्द सँभलते नहीं। ये तुर्बत-ए-ख़ाक देखो तुम ग़ौर से, ये मेरी ही है, सिर्फ़ ख़िजाँ लहराती, बशर कभी रुकते नहीं। मातम में सना संगीत दहकता रहता है दिल से, मौत मुस्कुराती है, हम ख़ुश किस्मती रखते नहीं। परछाईयाँ भी डरा देंगी ऐसी तन्हाईयों में अक्सर, अपनापन न तलाशना, हम बातों से पिघलते नहीं। ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Durgesh Dixit
तकलीफ कम नहीं करते कुछ भी हो अब शिकवा हम नही करते ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Dr Upama Singh
ज़ख्म दिलों के हम छुपा पाते आँखों से अश्कों हम बहने ना देते दर्द नासूर बन दिल में चुभते रहते फिर भी जुबां चुप रहे तो बेहतर दर्द ज़माने अपना क्यों दिखना जब उसे अश्क पोछने नहीं आता ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
दि कु पां
तुम्हारी इन हवाहवाई बातों से ना भरेगा... चाहत थी तुम्हारी हम सब नजरंदाज करते गए.. तुम क्या समझ बैठे जो मन में आया बिना कुछ सोचे समझें ही कह गए.. माना तुम्हें आधुनिकता ज्यादा पसंद है हूं गांव से पर गवार नही.. मखमली बाते करना ना आती मुझे तुमने इसे हमारी बेरुखी समझ हमारे चरित्र पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए.. ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
नेहा उदय भान गुप्ता
ज़ख्म दिलों के हमने अपने, छुपा कर रखें है। राज़ को राज़ ही बनाकर, उसको दफ़न रखे है। कोई समझ ना सके, है तकलीफ़ मुझे कितना, महफिलों में भी होठों पे मुस्कान बनाए रखे है। कैसे बताएँं, मिला है जिन्दगी से सितम कितने, निज ख्वाहिशों को हमने, समेटकर ही रखे है। चाहत नही अब, मैं भी कभी आशियाँ बनाऊँ, कुछ इस क़दर आँधियों से चोट खाए बैठे है।। ऐसे ही ख़ामोश नही हुए है, लब हमारे साहिब, अब हम तो संगीत से ही, दिल लगाए बैठे है।। ना मिला सुकूँ मुझे कही, ये रंग भरी दुनियाँ में, प्रकृति के ही संग हमने अब, रास रचाए बैठे है। अब नही अपना पूछता है कोई, खैरियत हमारी, कुछ इस क़दर लोगों की आँखों में, चुभे बैठे है।। बाहर चमक चाँदनी, पर छाया पलकों तले अँधेरा, कालिमा में ही अपनी उजड़ी दुनियाँ बनाए रखे है। नही फिकर किसी को हमारी, सब मुँह फेर लेते है, हम भी स्वयं में हर्षोत्फुल्ल रह कर, खोए बैठे है।। ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।