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Shah Meer Khan
Manthan's_kalam
Men walking on dark street Dady's Princess के जमाने में हम बेटे भी माँ के राजा बेटा कहलाते है। बेटा मेरा एसा काम करेगा! नाम सारे जग में बनायेगा एसा कहकर हर बेटा एक उम्मीद बन जाता है। घर में छोटा हूँ न ईस लीये ईस बेटे की कोई नही सुनता है। बचपन में पैदा होते ही हर बेटा Engineer बन जाता है। पर ना कोई ऊसे कभी पुछा जाता की बेटा तुझे क्या बनना है......? लङकीयों की ईज्जत करना बचपन से ही सीखाया जाता है। पर क्या कभी कीसी बेटे को कोई समजने वाला भी है क्या.....? हर बेटा पुरी जिंदगी दुसरों के लीये जिता है। पर खूद के लीये तो वो कबका मर गया। जेब में ऊसके सीक्के नही खुशीया थी और वही ऊसने सब में बांट दीया। ना जाने कीतने ही बेटे गम छूपाकर जिते है। ईस लीये कहता हुँ की "कभी बेटे को भी समझो"। ©Manthan's_kalam #Emotional #beta
Rudra Madhab
Deepanjali Patel (DAMS)
एक बेटा होना भी आसान नहीं है जनाब......... बेटियों के भाग्य को लिखकर तो विधाता भी कभी-कभी रो देता होगा, पर कभी सोचा नहीं था कि आज तो एक बेटा होना या उसके माता-पिता होना भी आसान नहीं है। कितनों से सुना है और देखा भी है कि बदलते समाज के साथ बेटियों के प्रति बढ़ती असुरक्षा और दहेज प्रथा ने तो बेटी होने पर दुःख एवं भय पहले ही सताने लगता है किन्तु आज की तारीख में बेटे के जन्म से ही उसके माता-पिता को उसकी शादी के समय की चिंता सताने लगती है। हर एक माता-पिता का सपना होता है कि उनकी संतानों का सही उम्र और सही जीवन साथी से अगर बंधन जुड़ जाए तो उनका जीवन सफल हो जाएगा। पर उन्हें क्या पता था कि आज तो बेटे के ब्याह के लिए भी इतना चिंतित होना पड़ेगा। हां, आज एक लड़का पढ़-लिखकर, डिग्री हासिल कर, जिम्मेदार और घर को चलाने व संभालने लायक भी बन जाए तो उसका रिश्ता ये कहकर ठुकरा दिया जाता है कि उसके सर पर खुद के घर की छत नहीं है। अगर लड़का कमाऊ भी है, खुद का घर भी है लेकिन जमीन तो नहीं है न। अब लड़का कमाऊ भी है, खुद का घर और जमीन-जायदाद भी है, चरित्र का भी ठीक है, जिम्मेदार है, गुटखा-दारू भी नहीं खाता-पीता, लेकिन सरकारी नौकरी तो नहीं है न। अब सरकारी नौकरी भी है, घर में भी सब कुछ है बस माता-पिता के लिए बहू लाने में जो नौकरी की कमी थी वो भी इस तगड़े प्रतिस्पर्धा में आखिरकार पा ली, मगर जरा सी देर हो गई, पर अब दिक्कत क्या है? अरे ये सब जोड़ने-बनाने में, नौकरी पाने में ब्याह की जो उम्र निकल गई, उसे कैसे भूल जाएंगे? उम्र भी तो रिश्ते ठुकराने का एक तरीका है। वाकई, न ही खुशी-खुशी बेटियां ब्याही जा रही और न ही बेटों की बारात निकल पा रही है, बस इसी चिंता में माता-पिता की भी आस मिटती जा रही। और इस चिंता से चिता तक आकर जीवन का सफर बीच में ही पूरा मगर वास्तव में अधूरा ही रह जाता। वजह मात्र इतनी कि इन कुरीतियों को अपनाने के चक्कर में शादी जैसे पवित्र बंधन को भी सौदेबाजी में बदल दिया गया है। ©Deepanjali Patel (DAMS) बेटियों के मेरे लेख को अगर आपने पढ़ा है तो एक बार इसे भी पढ़ कर, अपनी राय जरूर दें। #imagesourcepinterest #beta #Sarakarinaukari #Jameenjaydad #betokishadi