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Asha Giri
अद्भुत,लुभावनीय दृश्य वो लगता है, जब कुहासे की चादर ओढे़ मौसम सजता है। हर चीज़ धुँधली,अस्पष्ट नज़र आती है जब प्रकृति ऩजरों से ओझल हो जाती है। आँखे सिर्फ खोजती है अपनों की संगत, चाहती है खुशियाँ और थोडी़ सी रंगत। 🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"कुहासे की चादर "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"कुहासे की चादर "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
read moreअभिलाष सोनी
कुहासे की चादर ओढ़े, यूँ शबनम चली आई है। जैसे मौसम ने आज, सदियों में ली अंगड़ाई है। सर्द मौसम को देख, मेरे दिल को यूँ मस्ती छाई है। तुझे पुकारे हर पल ये, जैसे मिलन की बेला आई है। आ मिल मुझसे ऐ दिलबर, क्यूँ तू खुद को छुपाई है। तू मेरी हमसफ़र, तू ही "साहिल" की परछाईं है। 🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"कुहासे की चादर "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
ठिठुरते सर्दी के मौसम में कुहासे की चादर देखकर सूरज भी अपना मुंह ढककर सो जाता है। देखता रहता है हसीनों के सपने जागता है तो कभी दूसरा पहर कभी दूसरा दिन हो जाता है। कुहासे की चादर पड़ी हो गर आंखों पर तो दूर तक देखने का प्रयास करना व्यर्थ हो जाता है। जीवन की राह दिखाई ना दे तो एक-एक कदम आगे बढ़ते रहो रास्ता खुद ही मिलता जाता है 🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"कुहासे की चादर "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
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read moreWriter1
फ़स्ल -ए- गुल बीत गया, आगमन शरद ऋतु का हुआ, कुहासे की दौशाला ने,ऐ प्रकृति जिस्म तेरा ओढ़ लिया, शम्स की हिद्दत-ए-ताब को मध्यम किया, जैसे चुपके से कोई आंख-मिचोली हो खेल रहा। फ़स्ल -ए- गुल: बाहर का मौसम हिद्दत-ए-ताब: तपिश और चमक शम्स: सूरज 🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️
फ़स्ल -ए- गुल: बाहर का मौसम हिद्दत-ए-ताब: तपिश और चमक शम्स: सूरज 🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️
read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
सर्द हवाओं ने अपने रूतबे को, बड़ी खूबसूरती से फैलाया है, शबनमी बूँदें धरा की हरी चादरों पर, मोतियों को बिछाया है। धुँध शांत वातावरण में, सर्द हवाओं का शोर फैला चहुँओर है, फलक पर आफ़ताब कुहासे की चादर में, अपने को छुपाया है। 🌝प्रतियोगिता-103 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"कुहासे की चादर "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
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