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DR. SANJU TRIPATHI

२)हास्य रस - हास्य /हास दूसरों की चेष्टा करने से हास उत्पन्न होता है ।वाणी, रूप, अंतर्गत वेशभूषा आदि विकारों का समावेश होता है । ✔️समय - 28 1 मार्च रात 12 बजे तक ✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े। ✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'हास्य रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है । #yqdidi #YourQuoteAndMine #हास्य_रस #collabzone #yqcollabzone #czहास्य_रस

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चढ़ा बुखार इश्क़ का तो मन खुशी से झूमने नाचने लगा,
मन खुद को लैला और मजनू से भी बढ़कर समझने लगा।

खोया रहने लगा बस उसी के ख्वाबों खयालों में रात- दिन,
राते गुजरने लगी सूने आसमान को देखकर तारे गिन गिन।

एक झलक देखकर ही प्यार के सपने सजाने लगा था दिल,
उसके घर का पता ढूंढ़ ढा़ढ़ के चल दिया उससे मिलने दिल।

राह काटना मुश्किल था दिल नए नए सपने बुनने में था गुम,
टकराए अजनबी से गिरे मुंह के बल हुई दिमाग की बत्ती गुल।

दिल खुशी से झूम उठा जब आंखें खोली तो उसे सामने पाया,
यकीन हो गया खुदा पर खुदा ने था फिर से उससे मिलवाया।

थोड़ी देर में एक अजनबी हाल चाल पूछने उस कमरे में आया,
मेरे महबूब के कांधे पर हाथ रखकर उसे अपनी बेगम बताया।

जितनी तेजी से चढ़ा था बुखार इश्क़ का उतनी तेजी से उतर गया,
बनना चाहता था उसके बच्चों का अब्बा देखो मामू जान बन गया।
-"Ek Soch"



 २)हास्य रस - हास्य /हास
      दूसरों की चेष्टा करने से हास उत्पन्न होता है ।वाणी, रूप, अंतर्गत वेशभूषा आदि विकारों का समावेश होता है ।
✔️समय - 28 1 मार्च रात 12 बजे तक

✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े।

✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'हास्य रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है ।

Writer1

दोस्त से झगड़ा *********** दोस्त एक मोटा तगड़ा, बुद्धि उसकी कम है ज़रा, बात उसकी समझ ना आए, बोलता है थोड़ा थथला थथला, एक दिन बाद कुछ यूं बिगड़ी, उसने थथलाते हुए कहा," मुझे थाने थाना जाना है, बस फिर क्या था दोस्त की इच्छा जानते हुए, #yqdidi #YourQuoteAndMine #रस #हास्य_रस #collabzone #yqcollabzone #czहास्य_रस

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दोस्त से झगड़ा
***********
दोस्त एक मोटा तगड़ा, बुद्धि उसकी कम है ज़रा,
बात उसकी समझ ना आए, बोलता है थोड़ा थथला थथला,

एक दिन बाद कुछ यूं बिगड़ी, 
उसने थथलाते  हुए कहा," मुझे थाने थाना जाना है,
बस फिर क्या था दोस्त की इच्छा जानते हुए,
हम उसको थाने ले गए, वह मुझसे कुछ यूं भड़का,
वह स्वभाव का थोड़ा गर्म, कहने लगा यह कहां पर ले आया है,
"थाने की भूख लगी थी, यहां क्यों तू लाया है"
हम स्वभाव के नरम, इसका मतलब यह नहीं कि हम हैं बेशर्म,
हम भी भड़क पड़े, जा पहले ठीक से बोवना सीख ले, 
खाना और थाना अलग बात है,
जिस की इच्छा जताई थी, हमने तुम्हारी वही बात पुगाई थी।

फिर क्या हो गए जी शुरू,
उसने कहा:   मुझे "अक्ल का कच्चा" 
मैं:  कहा बेजुबान था ,कहा था बच्चा,
" मोटी तोंद, अकल के खोटे, सीख जाके बोलना ओ मोटे"
दोस्त:मेरा मजाक उड़ाते हो देखकर डील डौल मुझे मोटा क्यों बुलाते हो।
मैं: देख बे-ढंगा शरीर चलता है, पर अकल पे पर्दे हो तो वो व्यंग का पात्र बनता है,
बात यह उसकी समझ आ गई, मेरी बात उस को भा गई।
हम दोनों जोर से हंसने लगे, गिले-शिकवे मिटने लगे।

जाते-जाते उसने कहा" तलो फिर तल मिलते हैं , मेरे घर थाने पे,
हंसी को दांतो तले दबाते हुए मैं अपने घर की तरफ बढ़ा। दोस्त से झगड़ा
***********
दोस्त एक मोटा तगड़ा, बुद्धि उसकी कम है ज़रा,
बात उसकी समझ ना आए, बोलता है थोड़ा थथला थथला,

एक दिन बाद कुछ यूं बिगड़ी, 
उसने थथलाते  हुए कहा," मुझे थाने थाना जाना है,
बस फिर क्या था दोस्त की इच्छा जानते हुए,

Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

२)हास्य रस - हास्य /हास दूसरों की चेष्टा करने से हास उत्पन्न होता है ।वाणी, रूप, अंतर्गत वेशभूषा आदि विकारों का समावेश होता है । ✔️समय - 28 1 मार्च रात 12 बजे तक ✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े। ✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'हास्य रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है । #yqdidi #YourQuoteAndMine #हास्य_रस #collabzone #yqcollabzone #czहास्य_रस

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हास्य रस  की रचना, मैं लिखते  हुए  शरमाऊँ,
घटना  ऐसी  हुई, जिसे मैं  बोल  भी  ना पाऊँ।
पत्नी के संग  एक बार, बाजार करने  गया था,
स्कूटी चलाना मेरे लिए, बिलकुल ही  नया था।
वापस लौटने के क्रम में, मुझसे हुई  थी गलती,
पत्नी के  बैठने से पहले, स्कूटी लेकर  चल दी।
कुछ दूर जाने पर, हल्केपन का  अहसास हुआ,
मुड़कर देखा  जो मैंने, मुझे नहीं  विश्वास हुआ।
बेतहाशा  मैं  वापस  भागा, स्कूटी  मैंने  दौड़ाई,
खोजा पर वो मिली नहीं, निराशा ही हाथ आई।
वापस  आ  रहा  था मैं, निराशा  भरी  पड़ी थी,
जहाँ हेल्मेट  जाँच हो रही, पत्नी वहीं खड़ी थी।
मुझे  देख  पुलिस बोला, कैसे गाड़ी  चलाते हो,
बीच बजार  पत्नी को, छोड़कर भाग  जाते हो।
आपका  हेलमेट नहीं है, एक हजार दंड भर दो,
साहब वहाँ  खड़े हैं, दंड  उनको सुपूर्द  कर दो।
घर आकर पत्नी को बोला, और जगह नहीं थी,
मौन मूरत  बनकर तुम, वहाँ पर क्यों खड़ी थी।
बोली  आपके पीछे , मैं तुरंत  ऑटो पकड़ी थी,
आप पकड़ायेंगे जरुर, यह सोच वहाँ खड़ी थी।
मेरी  सोच थी ऐसी, मैंने  आप पर तरस  खाई,
आप परेशान ना हों, यही युक्ति दिमाग में आई। २)हास्य रस - हास्य /हास
      दूसरों की चेष्टा करने से हास उत्पन्न होता है ।वाणी, रूप, अंतर्गत वेशभूषा आदि विकारों का समावेश होता है ।
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