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Abhishek Trehan
और क्या लिखूँ तेरे बारे में हर लफ़्ज़ से उभरता एक ही चेहरा है दुनिया है दीवानी गज़लो की तुझे लिखना ही बस मकसद मेरा है तुम आए हो मेरे हिस्से में इरादा ख़ुदा का कोई गहरा है बेताब मेरी अब नज़रे है मासूम सा हमदम मेरा है... © trehan abhishek ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Krish Vj
सादगी ने जैसे ओढ़ लिया है, 'लिबास' यूँ सुंदरता का लफ्जों से 'बरसता' प्रेम, मुकम्मल 'ग़ज़ल' लगते हो तेरे नीले नयनों ने ओढ़ ली है अब जैसे हया की चादर ख़्वाब-ख़याल सब तेरा,मेरा 'सुनहरा' 'कल' लगते हो प्रीत की यह धानी 'चुनरिया' रंगी 'प्रेम' के रंग में तेरी खुशबू तेरी रूह की प्यारी, महकता 'कमल' लगते हो रखते 'ख़याल' मेरा, मुझ पर यूँ 'जान' निसार करते हो इबादत ख़ुदा की, उसकी रहमत की 'फ़ज़ल' लगते हो फ़ज़ल:_ कृपा ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।
jagruti vagh
तुम हो क़ल्ब के जर्रे जर्रे से निकलती वो ग़ज़ल जो कर दे दिल से बहते हर अश्क का क़तल तुम्हारे आग़ोश में मिलती है सुकून की गर्माहट जैसे ठंड में भटकते परिंदे को मिल जाए मलमल तुम हो शौकीन नशीले जाम के तो क्यों ना तुम्हें दिला दूँ मयखाना क्योंकि वही है जैसे ताजमहल तुम ही बचाओ मुझे कोई ले ना जाऐ मुझे पागलों के शहर क्योंकि हो गई हूँ तुम्हारे इश्क़ में पागल तुम हो दास्तान-ए-इश्क़ की ग़ज़ल का वो शेर जिसे जिस वक्त पढूँ वो वक्त बने सुनहरा पल Tigress girl❣ Sorry to all jin logone tag kiya tha but jawab na de paai 😁😊😃😄 . . . 💐💐🌻poke karne ke liye shukriya🤗😍😘 Angry Bird Sehmat 💝
Rani
....... मेरी नज़्मों को पिरोते, शब्द मेरे दिल से ले के सजा के अपने सुरों से यूँ दिल का कत्ल करके बन जाते ग़ज़ल मेरे।। ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Anita Saini
तुम्हें क्या कहूँ किस क़दर, हसीन लगते हो के ज़न्नत की हूर उतरी है, जमीन लगते हो। सादगी में भी वल्लाह! नाज़नीन लगते हो पुर-लिबास बदन में भी, महज़बीं लगते हो और कितनी तारीफ़ें करूँ ए हुस्न-ओ-जाना तुम भँवरे की गूँज, तितली का दिल लगते हो झील में अभी अभी खिला सफेद, कंवल लगते हो यानी कि गुलज़ार की शायरी मीर की, ग़ज़ल लगते हो तुम्हें क्या कहूँ किस क़दर, हसीन लगते हो के ज़न्नत की हूर उतरी है, जमीन लगते हो। सादगी में भी वल्लाह! नाज़नीन लगते हो पुर-लिबास बदन में भी, महज़बीं लगते हो और कितनी तारीफ़ें करूँ ए हुस्न-ओ-जाना तुम भँवरे की गूँज, तितली का दिल लगते हो
Dr Upama Singh
इस सादगी की क्या तारीफ़ करूं मेरे जज़्बात की कुछ कद्र तो करो कम पड़ रहें हैं अल्फाज़ मोहब्बत के मेरे लग रही हो सुंदर ग़ज़ल खुदा की कसम तेरी हुस्न की मैं क्या तारीफ़ करूं सजदे में तेरे बस अब इबादत करूं। ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Prerit Modi सफ़र
ग़ज़ल लगते हो कभी रदीफ़ कभी क़ाफ़िया लगते हो साथी हूँ मैं तुम्हारा मेरे तुम साथिया लगते हो मुक़द्दस है रिश्ता मेरा तुझसे, ज़माना समझेगा नहीं कभी तुम हो ख़ाक-नशीं कभी औलिया लगते हो हसरत हो मेरी तुम, एक तेरे सिवा कुछ नहीं चाहिए कभी तुम हमनवां हो कभी तुम छलिया लगते हो शरारत करते हो, उलझाते हो अपनी बातों में ऐसे शहर-ए-दिल की जैसे तुम तंग गलियां लगते हो मुझ को बस ख़्वाहिश है तेरी ही इस जहाँ में ज़िन्दगी के सुहाने 'सफ़र' में तुम बेलिया लगते हो ख़ाक-नशीं- फ़कीर औलिया- संत ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।
अभिलाष सोनी
संगेमरमर सा तरासा ये बदन, खूबसूरत सा कोई कमल लगते हो। क्या लिखूँ तुम्हारी तारीफ में मैं, तुम प्यारी सी कोई ग़ज़ल लगते हो। मेरे ख़यालों की मलिका हो तुम, सपनों सा सुंदर कोई महल लगते हो। क्या लिखूँ तुम्हारी तारीफ में मैं, तुम प्यारी सी कोई ग़ज़ल लगते हो। सुकूँ मिलता है तेरी बाँहों में आकर, काली घटाओं का बादल लगते हो। क्या लिखूँ तुम्हारी तारीफ में मैं, तुम प्यारी सी कोई ग़ज़ल लगते हो। मीठी सी तेरी ये बोली सनम, दिल जीतने में भी सफल लगते हो। क्या लिखूँ तुम्हारी तारीफ में मैं, तुम प्यारी सी कोई ग़ज़ल लगते हो। ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
DR. SANJU TRIPATHI
तेरे हुस्न-ए-बहार के आगे चांँदनी के जलवे भी फिके लगते हैं, तुम हो गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाजुक पर बड़े चंचल लगते हो। तेरे रुखसार की ताजगी खिले कंवल की ताजगी से भी ज्यादा है, तुम हो मद मस्त हवा के झोंके से पर मुझको काली घटा लगते हो। मेरी जिंदगी से वीरानियों को मिटा कर तुमने महफिलें सजा दी है, मेरी तन्हा महफिल की जान हो तुम मुझको मेरी जिंदगी लगते हो। मैं गर साज हूँ तो तुम हो मेरी रागिनी मैं रात हूँ तो तुम हो मेरी चांँदनी, जीवन भर जिसे मैं गुनगुनाना चाहता हूंँ मुझको तुम वो ग़ज़ल लगते हो, खुदा से हर पल हमने इबादत और मन्नत में तुझको ही मांगा है, मेरी जिंदगी रोशन है जिसके नूर से तुम खुदा का वो करम लगते हो। ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
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