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पंडितजी

#SwacchBharat स्वच्छ भारत को करना होगा । दम हम सब को भरना होगा ।। पेड़ कटे तो लड़ना होगा । स्वच्छ भारत को करना होगा -2 ----------------------------------------------------------- दोस्तों हम सबको मिलकर के भारत को स्वच्छ करना पड़ेगा क्योंकि इसको बुरा और बिगाड़ने में सिर्फ किसी एक व्यक्ति का हाथ नहीं है जिससे कि हम समझा कि उससे इसे स्वच्छ करवा सके इसे बिगाड़ने में हम सब का भाग और हिस्सेदारी है और इस को स्वच्छ बनाने के लिए भी हम सबको मिलकर कि आगे आना होगा अब जैसे आजादी के लिए हमारे पूर्वजों ने लड़ा #कविता #Yogeshpareek18

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स्वच्छ भारत स्वच्छ भारत को करना होगा ।
दम हम सब को भरना होगा ।।
पेड़ कटे तो लड़ना होगा ।

 स्वच्छ भारत को करना होगा -2 

पृथ्वी रूप जेवरात में पेड़ रत्न को जड़ना होगा ।

छोड़ मरे ज्यूँ तात हमारे वेसे हमको मरना होगा ।।

आने वाली पीढ़ी को जीवन हमको देना होगा ।।

भारत की स्वछता के खातिर गांधी हम को बनना होगा ।।

स्वछ भारत को करना होगा -2 

इस मतलब की दुनिया मे एक बेमतलबी प्रकृति है 
साधना करके इसे बचाओ ये ही अंतिम शक्ति है 
इसका कोप देख के पृथ्वी स्वयं भी इससे डरती है 
एक बार इसे प्यार से देखा माँ अपनी सी लगती है 

#Yogeshpareek18 




 #SwacchBharat स्वच्छ भारत को करना होगा ।
दम हम सब को भरना होगा ।।
पेड़ कटे तो लड़ना होगा ।

स्वच्छ भारत को करना होगा -2 

-----------------------------------------------------------
दोस्तों हम सबको मिलकर के भारत को स्वच्छ करना पड़ेगा क्योंकि इसको बुरा और बिगाड़ने में सिर्फ किसी एक व्यक्ति का हाथ नहीं है जिससे कि हम समझा कि उससे इसे स्वच्छ करवा सके इसे बिगाड़ने में हम सब का भाग और हिस्सेदारी है और इस को स्वच्छ बनाने के लिए भी हम सबको मिलकर कि आगे आना होगा अब जैसे आजादी के लिए हमारे पूर्वजों ने लड़ा

Poetry with Avdhesh Kanojia

चाह ----- अभी तो पिघली धातु सा हूँ है बारी आकार में ढलने की। अभी तो जुगनू सा हूँ मैं है चाह सूर्य सा बनने की।। देखे हैं कुछ स्वप्न जो मैंने #कविता

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चाह
....... चाह
-----
अभी तो पिघली धातु सा हूँ
है बारी आकार में ढलने की।
अभी तो जुगनू सा हूँ मैं
है चाह सूर्य सा बनने की।।

देखे हैं कुछ स्वप्न जो मैंने

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 8 - अर्चावतार 'स्वामी दयानन्दजी बच्चे थे, तभी वे समझ गये थे कि मूर्ति भगवान् नहीं है और आप........।' 'आप स्वामी दयानन्दजी की बात नहीं कर रहे हैं' उन विद्वान को बीच में ही रोक कर मैंने कहा - 'आप तो बालक मूलशंकर की बात कर रहे हैं इस समय। स्वामी दयानन्दजी तो वे बहुत पीछे हुए और आप भी जानते हैं कि स्वामी होने के बाद भी कई वर्षों तक दयानन्दजी शिवमूर्ति की पूजा करते रहे हैं।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
8 - अर्चावतार

'स्वामी दयानन्दजी बच्चे थे, तभी वे समझ गये थे कि मूर्ति भगवान् नहीं है और आप........।' 

'आप स्वामी दयानन्दजी की बात नहीं कर रहे हैं' उन विद्वान को बीच में ही रोक कर मैंने कहा - 'आप तो बालक मूलशंकर की बात कर रहे हैं इस समय। स्वामी दयानन्दजी तो वे बहुत पीछे हुए और आप भी जानते हैं कि स्वामी होने के बाद भी कई वर्षों तक दयानन्दजी शिवमूर्ति की पूजा करते रहे हैं।'

अमित नैथानी 'मिट्ठू'

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यह वही धातु है...
जो दौड़ती है देह में रक्त की तरह....
जो दौड़ती है कविता में वक़्त की तरह...
यही धातु
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश
यही रूपांतरित मेरी भाषा में जैसे ,
यही साकार मेरे आकार में !

Anil Siwach

।। श्री हरि।। 14 - नवीन परिभाषा कन्हाई नवीन-नवीन परिभाषाएँ बनाता रहता है। यह कब किस शब्द या क्रिया की क्या परिभाषा बना देगा, ब्रह्मा भी नहीं समझ सकते। अाज नियुद्ध-मल्लयुद्ध की सूझ गयी थी! गोचाण के लिए वन में आने पर बालकों का प्रतिदिन का बंधा क्रम है कि पहुंचते ही सब इधर-उधर बिखर जायेंगे। खड़िया, गैरिक, हरताल आदि वन-धातुएँ तथा नाना रंगों के कुसुम, किसलय, गुञ्जा, पक्षियों के गिरे पंख संग्रह करने रहते हैं। अपनी सामग्री एकत्र हुई और जुट जायेंगे एक दूसरे को सजाने-शृंगार करने में। दाऊ दादा और #Books

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।। श्री हरि।।
14 - नवीन परिभाषा  

कन्हाई नवीन-नवीन परिभाषाएँ बनाता रहता है। यह कब किस शब्द या  क्रिया की क्या परिभाषा बना देगा, ब्रह्मा भी नहीं समझ सकते।

अाज नियुद्ध-मल्लयुद्ध की सूझ गयी थी! गोचाण के लिए वन में आने पर बालकों का प्रतिदिन का बंधा क्रम है कि पहुंचते ही सब इधर-उधर बिखर जायेंगे। खड़िया, गैरिक, हरताल आदि वन-धातुएँ तथा नाना रंगों के कुसुम, किसलय, गुञ्जा, पक्षियों के गिरे पंख संग्रह करने रहते हैं। 
 
अपनी सामग्री एकत्र हुई और जुट जायेंगे एक दूसरे को सजाने-शृंगार करने में। दाऊ दादा और


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