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Divyanshu Pathak

हुलस रहा माँटी का कणकण उमड़ रही रसधार है। त्योहारों का देश हमारा हमको इससे प्यार है। ❤🙏 कल हमने आपको #देवछठ के बारें बताया था। आज हम आपको बतायेंगे #सन्तानसप्तमी के बारे में।जैसा कि हमने आपको कहा था कि भादों का माह लगते ही व्रत,पर्व, उत्सव, त्योहार, मेले लगने आरंभ हो जाते हैं तो इसी कड़ी में आज का व्रत "सन्तानसप्तमी" के रुप में किया जाता है। माता-पिता मिलकर अपने बच्चों के भविष्य और जीवन को सफल बनाने का संकल्प माता पार्वती और भगवान शिव को साक्षी मानकर लेते हैं। : हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास #YourQuoteAndMine #picquote #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATpeacockfeather #पाठकपुराण

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अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः ।
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्मसमुद्भवः।।
(गी. अ.-03,श्लोक-14)

सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं।
अन्न वर्षा के माध्यम से प्राप्त करते हैं।
और वर्षा यज्ञ करने से होती है। यज्ञ--
सभी के कल्याण के लिए किए गए कर्म
कहलाते हैं।
:
सन्तान सप्तमी की आप सभी को,
हार्दिक शुभकामनाएं साथियो। हुलस रहा माँटी का कणकण उमड़ रही रसधार है।
त्योहारों का देश हमारा हमको इससे प्यार है।
❤🙏
कल हमने आपको #देवछठ के बारें बताया था। आज हम आपको बतायेंगे #सन्तानसप्तमी के बारे में।जैसा कि हमने आपको कहा था कि भादों का माह लगते ही व्रत,पर्व, उत्सव, त्योहार, मेले लगने आरंभ हो जाते हैं तो इसी कड़ी में आज का व्रत "सन्तानसप्तमी" के रुप में किया जाता है। माता-पिता मिलकर अपने बच्चों के भविष्य और जीवन को सफल बनाने का संकल्प माता पार्वती और भगवान शिव को साक्षी मानकर लेते हैं।
:
हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास

Divyanshu Pathak

हुलस_रहा_माँटी_का_कण_कण_उमड़_रही_रसधार_है_त्योहारों_का_देश_हमारा_हमको_इससे_प्यार_है_। भादों माह लगते ही हर दिन व्रत, पर्व, और उत्सव के रूप में हम मनाते हैं।कल #ऋषिपँचमी के बारे में बताया और आज आपको बतायेंगे #देवछठ के बारे में। भादों माह के शुक्ल पक्ष की छठमीं तिथि को हम "कालियावन" वध की ख़ुशी के रूप में मनाते हैं।इससे जुड़ी एक कथा विष्णु पुराण के पंचम अंश के तेईस वें अध्याय में मिलती है और उसे विस्तार से श्रीमद्भागवत पुराण के दशम स्कन्द के अध्याय इक्यावन में दिया गया है। : कथा इस प्रकार है कि- जब #yqhindi #पाठकपुराण

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विविक्तसेवी लघ्भाषी यतवाक्कायमानसः।
ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रित:।।
(गी. अ.- 18,श्लोक - 52)

पवित्र वातावरण में रह कर नित्य अपने शब्दों पर विचार करने वाला वैरागी मुझ पर आश्रित रहता है तो इस ध्यान से--

अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधम् परिग्रहम्।
विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते।।
(गी. अ.-18,श्लोक-53)

अपने अहंकार ,बल,घमण्ड,काम और क्रोध को त्याग देने में सक्षम होता है और अपने शान्त व्यवहार से पृथ्वी पर मुझे पाता है। #हुलस_रहा_माँटी_का_कण_कण_उमड़_रही_रसधार_है_त्योहारों_का_देश_हमारा_हमको_इससे_प्यार_है_।
भादों माह लगते ही हर दिन व्रत, पर्व, और उत्सव के रूप में हम मनाते हैं।कल #ऋषिपँचमी के बारे में बताया और आज आपको बतायेंगे #देवछठ के बारे में।
भादों माह के शुक्ल पक्ष की छठमीं तिथि को हम "कालियावन" वध की ख़ुशी के रूप में मनाते हैं।इससे जुड़ी एक कथा विष्णु पुराण के पंचम अंश के तेईस वें अध्याय में मिलती है और उसे विस्तार से श्रीमद्भागवत पुराण के दशम स्कन्द के अध्याय इक्यावन में दिया गया है।
:
कथा इस प्रकार है कि- जब


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