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Saket Ranjan Shukla
White ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला सुकुन होती मयस्सर तो गमजदा फसाने क्यों ढूँढता भला, दे देते जो ये लब साथ, ख़ामोशी के तराने क्यों ढूँढता भला, रख पाता जो मशग़ूल ख़ुदको कहीं और उसके जाने के बाद, ज़माने के साथ चलता मैं, तन्हाई से याराने क्यों ढूँढता भला, क्यों मिटाता फिरता किसीकी याद दिल-ओ-दिमाग से बेवज़ह, भुला जो पाता उसे, तो कोई तस्वीर, सिरहाने क्यों ढूँढता भला, नहीं थी ख़बर, दरिया-ए-इश्क़ के मामूली थपेड़े नागवार गुजरेंगे, दूर ही रहता मैं, लहरों के किनारे, रेत में ठिकाने क्यों ढूँढता भला, था नासमझ मैं ही जो किसी बेगाने से उम्मीद पाल ली “साकेत", टूटना होता तो टूट ही गया होता दिल, ये बहाने क्यों ढूँढता भला। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला..! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength
ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला..! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength
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White अच्छा लगा मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा, दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा, मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम, ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा, ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे, सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा, मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे, अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा, खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla अच्छा लगा.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength
अच्छा लगा.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength
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White लक्ष्मी पूजन एवं दीपों के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं लौटें हैं राम अयोध्या, दीपोत्सव सम्पूर्ण भारतवर्ष मनाएगा, भू सजेगी रंगोलियों से, आकाशदीपों से गगन जगमगाएगा, अग्निक्रीड़ा से कर निशा गुंजित, जग ये हर्ष में डूबा जाएगा, बाँट सोहन पापड़ी व मिष्ठान, संसार हर बैर से मुक्ति पाएगा, जागेगी रजनी भी, तम पर दीपकों की आभा विजय पाएगी, नकारात्मक कोलाहल को अग्निक्रीड़ाओं की ध्वनि हराएगी, धान के लावे और शक्कर के सांचे से कड़वाहट मिट जाएगी, भर उन्हें घरौंदे में हर बहन, माँ लक्ष्मी को निमंत्रण भिजवाएगी, सियाराम व लखन लौटे अवध एवं धरा पर माँ लक्ष्मी पधारी हैं, समृद्धिदात्री, हरिवल्लभी, सिंधुसुता माँ पद्मालया अति न्यारी हैं, जगपालक श्रीहरि के जग संचालन में माँ भार्गवी ही सहकारी हैं, निर्धनों को समृद्धि व समृद्धों को संतुष्टि देती माँ सर्वहितकारी हैं, तो आओ दीपों के इस पर्व दीपावली को कुछ इस तरह मनाते हैं, कर प्रज्ज्वलित दीपक घर-आँगन में, अंतर्मन के तम को डराते हैं, करके पूजा-अर्चना माँ रमा, धनेश और विनायक की पूर्णश्रद्धा से, और लगाकर जयकारा श्री राम का दुःख और दारिद्र्य दूर भगाते हैं। IG :– @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla लक्ष्मी पूजन एवं दीपों के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
लक्ष्मी पूजन एवं दीपों के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
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White अच्छा लगा मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा, दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा, मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम, ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा, ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे, सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा, मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे, अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा, खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla अच्छा लगा.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
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Night sms quotes messages in hindi करूँ न करूँ शिकायतें तुझसे हाथों से रेत की तरह, हर दफ़ा फिसल जाती है तू, मुझे तन्हा छोड़, पता नहीं कहाँ निकल जाती है तू, मिन्नतें करवाती है तू हरेक मुलाकात के लिए मुझसे, और बिना दीदार दिए ही कहीं और टहल जाती है तू, मैं शायद मैं भी न रहूँ, जो तू ना मिले किसी रोज़ मुझे, मुझे कर बेकल इतना, न जाने कैसे सँभल जाती है तू, थकता हूँ सारा दिन कि तेरे आगोश में रातें गुजार सकूँ, मिले सुकून मुझे, इससे पहले ही तो बिछड़ जाती है तू, हैं और भी शिकायतें ऐ नींद “साकेत" के पास तेरे लिए, मगर डरता हूँ कहने से कि बड़ी जल्दी बिफ़र जाती है तू। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla करूँ न करूँ शिकायतें तुझसे.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
करूँ न करूँ शिकायतें तुझसे.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
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एक साधारण लेखक के तौर पर अत्याधिक प्रसन्नता और बड़े ही गर्व के साथ मैं पेश करता हूँ “काव्य Saga (बोलती कविताओं का संग्रह)" जो कि मेरे द्वारा लिखी कई (118) काव्य रचनाओं का संकलन है। ये पुस्तक मेरे लिए किसी अप्राप्य सपने से कम नहीं है, यह एक लेखक (कवि) के तौर पर मेरे लिए मेरे जीवन की सर्वप्रथम् और अब तक उच्चत्तम उपलब्धि है। मैं अपनी छाती चौड़ी कर, कलम को धार देते हुए बड़े गर्व के साथ कह सकता हूँ कि मैंने अपने सबसे पहले बड़े सपने को हासिल कर लिया है। तो पेश है... काव्य Saga बोलती कविताओं का संग्र
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