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Ghumnam Gautam
बे-रंग बे-नूर न बे-स्वाद रहो मुल्क़ आज़ाद है,आज़ाद रहो ©Ghumnam Gautam #IndependenceDay #रंग #नूर #स्वाद #मुल्क़ #ghumnamgautam
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read moreअरफ़ान भोपाली
खूबसूरती है मेरे वतन की , रंग-बिरंगी रिवाजों में चाहे कोई तंग कपड़े पहने या कोई रहे हिजाबों में ©अरफ़ान भोपाली #वतन #वक़्त #मुल्क़ #रंग #प्रेम
NEERAJ SIINGH
और उनमें से कुछ इंसान कुछ मुसलमान कुछ हिन्दू हो गए जिन्हें नाज़ था हिन्द पर वो कहाँ हैं😢😢 #दीप #मुल्क़ #मुतमइन #yqbhaijan #दुनियावाले #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Deepti Aggarwal #neerajwriteson
जिन्हें नाज़ था हिन्द पर वो कहाँ हैं😢😢 #दीप #मुल्क़ #मुतमइन #yqbhaijan #दुनियावाले #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Deepti Aggarwal #neerajwriteson
read moreअरफ़ान भोपाली
उन्होंने हमें देशप्रेम के मायाजाल में ऐसा गिरफ़्तार किया है की उनकी हर नाक़ामियाँ , जालसाज़ी ,भी हमें ख़ैर लगती है ©अरफ़ान भोपाली #नेता #राजनीति #देशप्रेम #वतन #देश #मुल्क़ #nojotoindia #nojotourdu #Life
ER. SHASHI YADAV
प्यार मुहब्बत करने वाले, पत्थर के हक़दार नहीं। तिलक हो या टोपी हो, यहाँ कौन गुनहगार नहीं।। सब मसला है सियासत का, लहू का दाग़ कहाँ ढूंढे। ख़ाकी हो या खादी हो, यहाँ कौन दाग़दार नहीं।। मुल्कों के बीच लकीरों का, सिर्फ नेहरू तो ज़िम्मेदार नहीं। ज़रा अपनी गिरेबाँ में देखो, क्या तुम जिन्ना के सरदार नहीं।। तहज़ीब ये गाँधी का हमने, रग-रग में बसाये रखा है, छीन न सकें अपने हक़ को, हम इतने भी लाचार नहीं।। बोले थे हम बोलेंगे, सब राज़ तुम्हारा खोलेंगे, गर मिटना है तो मिट के रहेंगे, हम दो धारी तलवार नहीं।। "शशि" #मुल्क़ के मौजूदा हालात पर...
#मुल्क़ के मौजूदा हालात पर...
read moreअरफ़ान भोपाली
बिन्त-ए-हव्वा हूँ मगर शिकवा-ए-ज़ौर-ए-जफ़ा किससे करु या इलाही रहम करना हम पर इन क़ौम-ओ-मज़हब के बीच #मुल्क़ #इश्क़ #तलबगार #तलब #poetry #hindi #hindishayri #nojoto #nojotohindi #nojotonews #writersofindia
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read moreAlpDev
#OpenPoetry ऐ_मेरे_वतन_2. जैसे अंश माँ भारती के सारे, एक अंश माँ का निलाम करने चले थे, वो कश्मीर तो युगों से हमारा ही था मगर फ़िर भी क्यों, बगावत फ़िज़ूल की वो हमसे करने चले थे।। कि भीतर हर एक हिंदुस्तानी के, देश प्रेम रगों से रागों तक बसा है, शायद भूल बैठे थे सारे, ज़र्रे ज़र्रे में हमारे, देश प्रेम का एक अलग ही नशा है।। ऐ वतन मेरे मुझपर हैं तेरे कई एहसान, मेरी पहचान मेरा ईमान है तू, मेरे वतन मेरी जान है तू।। मेरा अस्तित्व मेरी शक्सियत है तूझसे, संतान हम सारे तेरे, हमारा अभिमान है तू, माँ हमारा अभिमान है तू।। जान की बात करते हो रुह भी निलाम कर देंगे, गुरूर है अभिमान है ये हिंदुस्तान हमारा, आंच आई ज़रा भी हमारे मुल्क़ पर, सरेआम गद्दारों का कत्लेआम कर देंगे।। माँ भारती की संतान हैं हम, मौत को भी हम डरते नहीं, जो दाग माँ पे लगाने की करोगे कोशिश, हर कोशिश हम गद्दारों की नाकाम कर देंगे,
जान की बात करते हो रुह भी निलाम कर देंगे, गुरूर है अभिमान है ये हिंदुस्तान हमारा, आंच आई ज़रा भी हमारे मुल्क़ पर, सरेआम गद्दारों का कत्लेआम कर देंगे।। माँ भारती की संतान हैं हम, मौत को भी हम डरते नहीं, जो दाग माँ पे लगाने की करोगे कोशिश, हर कोशिश हम गद्दारों की नाकाम कर देंगे, #OpenPoetry
read moreAlpDev
#OpenPoetry ऐ_वतन_मेरे_1. ऐ वतन मेरे मुझपर हैं तेरे कई एहसान, मेरी पहचान मेरा ईमान है तू, मेरे वतन मेरी जान है तू।। मेरा अस्तित्व मेरी शक्सियत है तूझसे, संतान हम सारे तेरे, हमारा अभिमान है तू।। इक तरफ़ अम्मी का प्यार इक ओर माँ का दुलार, इक ओर भाईजान के संग मस्ती, इक तरफ़ भाईयों के साथ शरारतें बेशुमार, सलाम करता सम्मान से हमारे, इस मुल्क को सारा संसार।। गुजरात से मनिपुर हो या फ़िर, कश्मिर से हो कन्याकुमारी, सुकून की नींद हो या पेट भर भोजन हो, ऐ भाई जवान ऐ भाई मेरे किसान, आवाम ये सारी तुम्हारे आभारी।। जान की बात करते हो रुह भी निलाम कर देंगे, गुरूर है अभिमान है ये हिंदुस्तान हमारा, आंच आई ज़रा भी हमारे मुल्क़ पर, सरेआम गद्दारों का कत्लेआम कर देंगे।। माँ भारती की संतान हैं हम, मौत को भी हम डरते नहीं, जो दाग माँ पे लगाने की करोगे कोशिश, हर कोशिश हम गद्दारों की नाकाम कर देंगे,
जान की बात करते हो रुह भी निलाम कर देंगे, गुरूर है अभिमान है ये हिंदुस्तान हमारा, आंच आई ज़रा भी हमारे मुल्क़ पर, सरेआम गद्दारों का कत्लेआम कर देंगे।। माँ भारती की संतान हैं हम, मौत को भी हम डरते नहीं, जो दाग माँ पे लगाने की करोगे कोशिश, हर कोशिश हम गद्दारों की नाकाम कर देंगे, #OpenPoetry
read moreAshok Kumar
जो फैलाने चले हैं मुल्क़ में दहशत धमाकों से , वही छुपते फिरा करते हैं इक मुद्दत धमाकों से. न ख़बरों में उछाल आया, न बाज़ारों में सूनापन , न बिगड़ी मुल्क़ के माहौल की सेहत धमाकों से. वही हल्ला, वही चीखें, वही ग़ुस्सा, वही नफ़रत , हमें अब हो गई इस शोर की आदत, धमाकों से. ये दहशतग़र्द अब इस बात से आगाह हो जाएँ , कि अब आवाम की बढ़ने लगी हिम्मत धमाकों से. वज़ूद अपना जताने के लिए वहशी बने हैं जो, उन्हें हासिल नहीं होती कभी शोहरत धमाकों से.