Find the Best जायें Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about'"सबके ख़्वाबों में चलें नींदों में शामिल हो जायें लोग सोए हैं चलो शहर में', सबके ख़्वाबों में चलें नींदों में शामिल हो जायें लोग सोए हैं चलो शहर में दाखिल हो जायें, जायें तो जायें कहाँ, 'दाखिल हो जायें"', जायें,
Rishap Gautam
⛓The Evermore In Love❣ To You✨ ⛓#खुशनसीब कुछ #ऐसे #हम हो #जायें!!✨❣ ⛓#तुम हो.. #हम हो..#और #इश्क़ हो जाये.!!❤️✨ Courtesy : Rishap Gautam
Viswa Sachan
आमने-सामने आओ आमने-सामने बैठकर...... अपनीं चंद बातें हो जायें। तुम, हम से बन जाओ...... और हम, तुम से बन जायें।। ✍️"Viswa Sachan"✍️ #आमने_सामनें______Viswa
Ramji Tiwari
कब आये थे कब जायेंगे इसकी फिक्र कहाँ है फिक्र तो इस बात की है कि जानें से पहले कुछ अच्छा करके जायें दौलत तो साथ नहीं जाती लोगों की दुआएँ लेते जायें
श्याम कौशिक
तेरी मोहब्बत में कुछ ऐसे काम हो जायें अधूरे रह गये हैं जो,पूरे वो अरमान हो जायें श्याम कौशिक
M S Mansoori
काश एक दिन 📅 ऐसा भी आये हम दोनों एक दुज़े में समा 🎊 जायें, सिर्फ एक तुम 😻 हो और एक हम हो और वक्त ▶️ ठहर जायें। By M S Mansoori Sahab
Sanjay Tiwari "Shaagil"
सब सदायें चाहिये सब वफायें चाहिये आप सब की हमें सब दुआएँ चाहिये. दूर हर जख़्म हर दर्द से हम रहें, दीप जीवन के हर पल जलती रहे, वक्त जैसा भी हो परा कर जायें हम, साथ कंधो से कंधे मिला जायें हम, यह अदायें चाहिए, रब की दुआएँ चाहिये, आप सब की हमें, सब दुआएँ चाहिए.
Sanjay Tiwari "Shaagil"
हमारे विचार सुधर जायें तो हमारे.. अल्फ़ाज़ सुधर जाते हैं... हमारे अल्फ़ाज़ सुधर जायें तो हमारे काज सुधर जाते हैं... हमारे काज सुधर जायें तो हमारे अन्दाज सुधर जाते हैं... और येसे में हम अपने आप सुधर जाते हैं.......चलो...खुद को सुधारें.. ..................एक पहल.....शा़ग़िल
कवि सौरभ साहिल
मेरी नजरें तेरी नजरों से ओझल हो जायें खाल बदन की हल्की कोमल हो जायें आँखो से दिखना बंद हो जाये लब से बोलना कम हो जाये क्या तब भी तुम ऐसे ही मुझको चाहोगी जैसे अभी चाहती हो.... क्या तब भी तुम्हे मेरी इतनी ही जरूरत होगी.. कल शायद मै अपने पैरो पे न चल पाऊं कल शायद हद से जादा पागल हो जाऊं कल शायद तेरे कहने पर मिलने न आ पाऊँ तेरे लिए आसमाँ से चाँद तारे न ला पाऊँ क्या तब भी तुम ऐसे ही मुझको चाहोगी
राघव रमण
बीज अंकुरण पौध पेड़ पौधा वृक्ष तना टहनी डाली पत्ते फूल फल इन सबों का एक स्वरूप मिट्टी को पकड़कर हर परिस्थितियों में तब तक खड़ा है जबतलक इनकी खुद की भावना वासना में न बदल जायें और न हो जायें इनके स्वाभिमान का सर्वनाश हम मानव इसके उलट है हमारी वासना भावना बन जाती है और हमारा अहंकार स्वाभिमान इसलिए एक स्वरूप को पाकर भी हम विकृत रूप में खुद को सहज व संघटित समेटने का प्रयास करते है पर अफसोस नहीं हो पाता ये हम मानवों से हमारे खुद के परिवेश मे