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Md. Tahseen
आज़ फिर मैं उस खण्डार को शयर कर आया हूँ, जो कभी महल हुआ करता था, है मैं अपनी ख़यालो कि बात कर रहा हूँ, जो कभी ग़ैरों के लिए हुआ करता था, आज़ ख़ुद पे वो ऐतवार कर रहा है || Ha mai taj mahal ki baat kr raha hu, #mahal #tajmahal #kheyal #khandar #lovetowrite #bewafa #nojoto #nojotowriter
Roshni Mehar
आज़ हम अपने मौत की गुहार लगाएंगे आज़ हम अपने मौत की पुकार लगाएंगे समझ के कोई जो खरीद ले मेरे दर्द को,, आज़ हम अपने ही दर्द का इश्तहार लगाएंगे
Saani
बिखरे बाल आशिक़ को अपने वो, संभलने नहीं दिया। दीद ए शौक में उनको, तड़पने नहीं दिया।। आज़ बिखरे बाल, तुमने चेहरे पर डाल के। आज़ क्यों तुमने चाँद, निकलने नहीं दिया।। (Saani) #BikhareBaal #Love #Music #Shayari #Poem Princesslappi Arzooo 😍😍 विभूति गोण्डवी Pratibha Tiwari(smile)🙂 aman6.1
NIKHIL TOMAR
आज़ भी तेरी यादों का दिया जलाये बैठा हूँ ... मैं तो ज़िस्म-ओ-जां में आग लगाये बैठा हूँ ... रोज़ सवेरे उठ कर चेहरा जिनका पढ़ता था ... आज़ उनकी तस्वीर को दिल से लगाये बैठा हूँ ... #SHAYARI#DIYA#JISM#AAG#SAVERE#CHEHRA#PADTA#DIL#LAGA#BAITHE#NIKHIL22P#KI#DIARY#SE
Anindita chatterjee
पास होकर भी एक दूसरे से दूरिया हैं क्या बताउ इंसानो मैं क्या क्या खुबिया हैं, तुम्हे देखे अगर दुर से तो नज़र फेर लेता हैं सोचता हैं के क्या बात करे सबकी एक ही दशा हैं, कतराते हैं लोग आज़ कल एक दूसरे से हाथ तक मिलाने को फ़ेसबूक पर लाईक टोकने का कुछ अलग ही नशा हैं, बाते बनाने मैं माहिर इंसान आज़ कल की दुनिया मैं घर पर झाको तो उनके हर एक इंसान कितना अकेला हैं, मोबाइल ने लूट ज़िन्देगी सबकी और फिर भी लगता सबको ये प्यारा हैं, जैसे इंसान अब इंसान की नहीं मोबाइल ही सबका सहारा हैं.!! #shortpoem #aboutmobile
Arc Kay
आज़ मेरे दोतरफा चेहरों मे ठन गई, कि पता हि न चला कब आत्मसम्मान, आत्मग्लानी बन गई। जिस काले रंग से मूंदी थी अपनो से आँखें मे मैने, उसी रंग से आज़ मेरी रूह भी सन गई, कि पता हि न चला कब आत्मसम्मान, आत्मग्लानी बन गई। जब कामयाबियों के पहाड़ों पर चड़ बिगुल बजाया मैंने, ज़मी पर लाने वाली माँ साथ नहीं थी। जब आसमानों पे पंख फैलाए जज़्बा दिखाया मैंने, वोह पापा कि सख्त निगाहें साथ नहीं थी। उन्का क्या कुसूर वोह तो सहमते ख्वाब मे भी थे साथ मेरे, कि मेरी हकीकतों कि दुनियां हि उनकी बेड़ियाँ बन गई। कि पता हि न चला कब आत्मसम्मान, आत्मग्लानी बन गई। #shaayavita #haqiqat #parents #ignorance #dotarfah #nojoto
Ramanuj Tiwari
दुश्मनों को भी दोस्त बनाया हमने आज़ पलकों से पर्दा हटाया हमने। गिर गए हैं जिन नज़रों में आज़ कभी नज़रों पे उनको बिठाया हमने। वक्त के नशे में चूर आईने चिढ़ाते हैं खुद को दर्पण से दूर भगाया हमने। उन पर जां लुटाते रह गए हम जिन्हें खुद से बहुत दूर पाया हमने। दिल में किसी को जब भी बसाया ज़ख्मों के सिवा न कुछ पाया हमने। लोग कहते हैं तू क़िस्मत में नहीं मेरी हर मोड़ पर क्यूं तुझी को पाया हमने। उदास दिल से बज़्म को जब भी निहारा खाली दिल सा, सारा जहां पाया हमने। रूठी चांदनी से क्या शिकवा करें जब झूंठा चांद ही दिल में बसाया हमने। रूठी चांदनी से क्या शिकवा करें जब झूंठा चांद ही दिल में बसाया हमने।
Ramanuj Tiwari
दुश्मनों को भी दोस्त बनाया हमने आज़ पलकों से पर्दा हटाया हमने। गिर गए हैं जिन नज़रों में आज़ कभी नज़रों पे उनको बिठाया हमने। वक्त के नशे में चूर आईने चिढ़ाते हैं खुद को दर्पण से दूर भगाया हमने। उन पर जां लुटाते रह गए हम जिन्हें खुद से बहुत दूर पाया हमने। दिल में किसी को जब भी बसाया ज़ख्मों के सिवा न कुछ पाया हमने। लोग कहते हैं तू क़िस्मत में नहीं मेरी हर मोड़ पर क्यूं तुझी को पाया हमने। उदास दिल से बज़्म को जब भी निहारा खाली दिल सा, सारा जहां पाया हमने। रूठी चांदनी से क्या शिकवा करें जब झूंठा चांद ही दिल में बसाया हमने। रूठी चांदनी से क्या शिकवा करें जब झूंठा चांद ही दिल में बसाया हमने।