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P Gokulakrishnan

Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

#jaggiquotes

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Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

jaggi

Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

आपकी हर दुआ कुबूल है, दुआ कीजिए,
ना करिए हिकारत, बस दुआ कीजिए,

आँधियों में बुझे दिए कह रहे हैं हमसे, 
मस'अले छोड़ दीजिए, दुआ कीजिए, 

हर इंसान ज़द की जकड़ में है यहाँ, 
बेहिसी छोड़ दीजिए, दुआ कीजिए,

वुस'अत शाद कीजिए मज़लूम के दरपेश, 
मसाइल तल्ख हों तो दुआ कीजिए,

सलाम कीजिए ग़र हो रकीब भी मस्जिद में नमाज को,
भूल कर शिकवे बस दुआ कीजिए,

मयस्सर हो इल्तिफात हर गाम पर, 'जग्गी',
उनके सजदे में ये ही बस दुआ कीजिए

हिकारत - नफ़रत
ज़द - चोट /निशाना
बेहिसी- बेशर्मी
वुस'अत- फैलाव
शाद - खुशी /ख़ुश 
गाम- कदम 
इल्तिफात- ध्यान

©Jagjeet Singh Jaggi #दुआ #dua #jaggiquotes #priya_sethi_batra 
#Night

Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

कविता-लेखन बहुत कठिन है दम लगता है बाबू जी
 उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

ख़ुद पवन-वेग उल्टा हो जाए बाल जो पीछे फेंके है
 जब झटक के गर्दन ज़ुल्फ़ सँवारे वक़्त ठहर कर देखे है 
हर शाम रसोई में थक हमको इत्मीनान से सोचे वो
 फिर कमर में साड़ी खोंस के उल्टे हाथ से माथा पोछे वो
 उसके छूने से ज़ख्मों पर मरहम लगता है बाबू जी
 उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

जाने क्यूँ उसके इर्द-गिर्द हर दौर शराबी लगता है 
उसकी आँखों में घुलकर काजल और गुलाबी लगता है 
हर शाम तमन्ना रहती है फिर नैन निहारें उसके हम 
आग़ोश में उसकी सर रख दें और केश सँवारे उसके हम 
उन होठों पर ठहरा क़तरा शबनम लगता है बाबू जी
 उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

बारिश में बाल झटक दोहरी बरसात करे तो जन्नत है
 फिर ज़ुल्फ़ को कान के पीछे लाकर बात करे तो जन्नत है
 वो शर्म को ओढ़े हमको अपने पास बिठाले जन्नत है 
फिर नज़र मिलाए नज़र मिलाकर नज़र झुकाले जन्नत है
 जब साथ चले तो स्याह सफ़र पूनम लगता है बाबू जी
 उसकी उपमा में ग्रन्थ लिखो पर कम लगता है बाबू जी

©Jagjeet Singh Jaggi #priya_sethi_batra #jaggiquotes 

#Books

Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

वो हँसाते हैं हमें सताने के बाद 
याद करते हैं भूल जाने के बाद

फ़िर ख़ुशबू नहीं बिखेरते कभी 
फूल एक दफ़ा मुरझाने के बाद

कश्ती को फिर पूछता है कौन 
भला दरिया पार लगाने के बाद

इसलिए भी इतना मदहोश हूँ मैं
 घर आता है मेरा मयख़ाने के बाद

ख़याल रखता है अब भी कोई "जग्गी" 
क्या तुम्हारा मुझ दीवाने के बाद

©Jagjeet Singh Jaggi #jaggiquotes #priya_sethi_batra #khyal 
#darkness

Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

"तेरी याद की ख़ुश्बू दिल में जब ठहरती है, 
प्यार की चांदनी हवा में रक्स करती है, 

तेरे लबों के हसीन तबस्सुम की कसम, 
मेरा दिल क्या रूह भी तुझ पे मरती है, 

जैसे-जैसे तुम गीली ज़ुल्फ़े झटकती हो, 
वैसे-वैसे फ़ज़ा में खुशबू सी बिखरती है, 

मेरी तो नींद लूटी है गम-ए-फ़िराक़ ने, 
वो शय है क्या जो तुम्हें जगाए रखती, 

है ये मेरी थकी, बे-ख़्वाब, बे-चैन सी नज़र, 
शब-ओ-रोज़ तेरा ही इंतिज़ार करती है, 

देखता हूं तुम्हे जब कभी रक़ीब के साथ, 
क्या बताऊँ मेरे दिल पे क्या गुज़रती है, 

'जग्गी' शब की तन्हाई में अकेले बैठे अक्सर, 
 गुफ्तगू तेरी तस्वीर से रहा करती है |"

©Jagjeet Singh Jaggi #jaggiquotes #priya_sethi_batra 
#Moon

Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

टूटे ख़्वाबों पे नज़र कौन करे
 सूखी लकड़ी को शजर कौन करे

हमसफ़र साथ न हो कोई अगर
 सर्द रातों में सफ़र कौन करे

बात निकले तो चले दूर तलक
 बात करनी है मगर कौन करे

जब कोई वजहे ज़िंदगी ही न हो 
ज़िंदगी ऐसे बसर कौन करे

दिल तो दरअस्ल एक गांव है 
दिल की बस्ती को नगर कौन करे

जब हो आसान रास्ते की ख़बर 
तंग राहों से गुज़र कौन करे 

आग तो दोनों तरफ़ ही है मगर 
अपनी हालत की ख़बर कौन करे

जब सदाक़त कोई एहसास न हो  "जग्गी" 
 ऐसी गलती को सहर कौन करे

©Jagjeet Singh Jaggi #brokenwindow
#soulmate #jaggiquotes #priya_sethi_batra #Nojoto

Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

कुछ इस तरह उनकी याद सताती है हमें,
किताबों से पुरानी खुशबुएं आती हैं हमें,
महकता है हर कोना उनके नूर से कुछ इस कदर,
रह रह कर लगता है उनकी सांसें बुलाती हैं हमें, 
हम हँसकर भी हाल अपना कैसे बयां करें ऐ अदम,
हम हँसते हैं तो मुस्कराहट खुद रुलाती है हमें,
एक परी है, फरिश्तों की हुक्मरान है मेरी,
रोती खुद, पर मुस्कुरा कर यूँ सुलाती है हमें,
इक राज़ है तेरे होने में उनके अंदर ऐ खुदा,
हूँ उदास जब भी माँ की तरह यूँ हँसाती है हमें, 
के अब जीने में सांसें महसूस होने लगीं हैं हमें,
कुछ इस तरह ज़िंदादिल ज़िंदगी बनाती है हमें

©Jagjeet Singh Jaggi #priya_sethi_batra_#jaggiquotes#Nojoto#memory#love 

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