Find the Best जाऊंगी Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about जाऊंगी मैं खींच के, जाऊंगी मैं, जाऊंगी तुम देखते रहियो, जाऊंगी तुम देखते, माहीया तुझसे बडी दुर चली जाऊंगी,
Anamika Sengar Rathore
तू ईश्क बनकर मुझमें घुले तो सही, मैं इत्र बनकर तुझमें महक जाऊँगी। #अनुकीकलमसे✍️ ©Anamika Sengar Rathore #Love #जाऊंगी #अनुकीकलमसे✍️ #लेखिका#अनामिकामानुषी
prajapati ❣️
Alone "ना किसी से रूठना है ना किसी को मनाना है" जिंदगी के आखिरी मोड़ पर हूं, बस निकल जाना हैं...!! #ks🇮🇳😊 ©komal #alone#sad#broken#shayri#निकल#जाऊंगी#इकदीन#ks🇮🇳😔 #alone
Golu Pathak Bhardwaj
#मैं तो चिराग हूं तेरे #आशियाने की... #कभी ना कभी तो बुझ #जाऊंगी... #आज शिकायत है #तुझे मेरे उजाले से... #कल अंधेरे में #बहुत याद आऊंगी...✍️ 🙏#हर_हर_महादेव 🙏
Arzooo
#Worldsmileday मुस्कुराऊंगी ऐसे के दर्द को रुसवा कर जाऊंगी मैं शबनम का कतरा हूं आखिर पिघल जाऊंगी ।। हां करार था तुझे मुकम्मल जीना का, लेकिन ज़िन्दगी मैं इस करार से जल्द मुकर जाऊंगी ।। शबनम - ओस, करार - contract #Smile #Nojotohindi #Nojotinews
kumar vishesh
Stop smoking because, एक सिगरेट ने कहा आदमी से तेरे होठों पर रहूंगी शान बनकर जिंदगी में रहूऊंगी तेरी गुलाम बनकर तू पीते रहना मेरे धूवे के छल्ले मैं रंग जाऊंगी तेरे संग शमशान बनकर मुझे भी जलना पसंद है मैं चली जाऊंगी तेरे संग तेरी याद बनकर सिगरेट हाले दिल बयान
sukriti Rai
अल्हड सी जवानी में बेखयाली की मस्तानी में गुम हुआ ज़माना ऐसा की खो गई मै किसी कहानी में वो कहानी आखिर थी तो मेरी कहा से आई थी कहा को जाऊंगी इसकी मतवाली हो जाऊंगी मै अल्हड सी जवानी में खो गई मै ना जाने की किस कहानी में मुकाम मेरा था कि किसी और का ये जब जान पड़ा तो तस्वीर किसी कोर का नज़रों ने देखा जो उसको ही मान पड़ा उधड़ मेढ़ की दुनिया में ना जाने ये कौन अान पड़ा अल्हड सी जवानी थी कि थी मेरी जुबानी कहनी सुननी सबकी हुई और बन गई एक नई कहानी मै उधेड़ सी जवानी में खो गई मै ना जाने किस बेखयाली में। #अल्हड सी जवानी में
Arzooo
आदत नहीं रोशनी की अब अंधेरे सजाऊंगी हर हद ऐ मोहब्बत से मैं गुजर जाऊंगी ।। ऐ खुदा मेरे दर्दे दिल में कर और इजाफे अब दर्द ना मिलेगा तो मैं मर जाऊंगी ।। हां करार था तुझे मुकम्मल जीने का लेकिन ज़िन्दगी मैं इस करार से जल्द मुकर जाऊंगी ।। फर्श से बोहत दूर जो रूह का है शहर उस शहर में अपना मैं आशियां बसाऊंगी ।। https://www.youtube.com/channel/UCROhsH-nIfvhzniEFRJoG_Q like subscribe nd join my youtube channel #karar- contract #izaafe- badhana, zyada karna #Farsh- zameen #Nojotshayri #Nojotoemotions #Nojotolove
dayal singh
जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है। हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है। वो सपने सुहाने ... छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन। तोतली व भोली भाषा बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं। जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया? जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है। वो पापा का साइकल पर घुमाना... हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां? साइकलिंग थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी। लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी। हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन! मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!! राह तक रहा हूँ मैं!!!जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है। हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है। वो सपने सुहाने ... छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन। तोतली व भोली भाषा बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं। जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया? जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है। वो पापा का साइकल पर घुमाना... हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां? साइकलिंग थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी। लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी। हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन! मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!! राह तक रहा हूँ मैं!!! bachpan ke din
Bhawana Mehra
तेरी मोहब्बत में मैं लिखती जाऊंगी कुछ इस कदर तेरी यादों को खुद में जिंदा रखती जाऊंगी । #mohabbt #love #nojotohindi #happy #feelings